समाजवादी पार्टी की सरकार ने मेधावी छात्रों को लैपटॉप देने की योजना शुरू की थी, उसी योजना के तहत नोडल सेंटर के लिए राजकीय विद्यालय बरेली को चुना गया था। वर्ष 2016 में सपा सरकार के कार्यकाल में लैपटॉप वितरण का काम चल रहा था, लेकिन जनवरी 2017 में आचार संहिता लग गई और लैपटॉप वितरण का कार्य रोक दिया गया। राजकीय विद्यालय के कमरा नंबर 16 के अंदर 73 लैपटॉप रखकर सील कर दिए गए। पिछले आठ वर्षों से यह कमरा बंद है और उनकी निगरानी के लिए दो कांस्टेबल तैनात हैं।
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73 लैपटॉप की निगरानी कुछ समय तक स्थाई कांस्टेबल द्वारा हो रही थी, लेकिन अब जो नए कांस्टेबल भर्ती हो रहे हैं, उन्हें ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। एक कांस्टेबल की सैलरी प्रतिमाह 28000 रुपए के करीब है, इस तरह दो कांस्टेबल की हर माह तनख्वाह 56000 रुपए बैठती है, जो विगत 8 सालों में 54 लाख के आसपास है। जबकि लैपटॉप की कुल कीमत 14 लाख 60 हजार रुपए थी।इस प्रकरण पर जिला विद्यालय निरीक्षक अजित कुमार का कहना है कि यह लैपटॉप वर्ष 2015-16 एवं 2016-17 के हैं। उस दौरान के मेधावी छात्राओं को लगभग 2127 लैपटॉप मिले थे। अधिकांश लैपटॉप छात्रों को वितरित कर दिए गए थे। जिला विद्यालय निरीक्षक बरेली के रूप में जनवरी 2025 में पदभार ग्रहण किया है। मेरे संज्ञान में जब यह मामला आया तो स्टाफ से जानकारी ली।
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पता चला कि शेष बचे हुए लगभग 73 लैपटॉप वर्तमान में जीआईसी (राजकीय इंटर कॉलेज) में रखे हुए हैं। इस संबंध में कार्यालय द्वारा विभाग और शासन को लिखित पत्राचार किया गया है। शासन से निर्देश के मुताबिक लैपटॉप पर विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित होगी। वहीं जब यह लैपटॉप आए थे उनकी संख्या ज्यादा थी और सुरक्षा के लिए कांस्टेबल लगे, अब हमें जैसे निर्देश शासन देगा उसी के अनुरूप कार्य करेंगे।बरेली में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जैसे ही लैपटॉप की जानकारी मिली तो वह आक्रोशित हो गए। सपा नेता का कहना है कि अखिलेश यादव ने गरीब बच्चों के हाथों में लैपटॉप पहुंचाया है। उन्होंने गरीब छात्रों का सपना पूरा किया, लेकिन बरेली के राजकीय विद्यालय के एक कमरे में 73 लैपटॉप बंद किए हुए है जो सपा सरकार की योजना के हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक को ज्ञापन देकर लैपटॉप वितरण की बात कही है।
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