‘सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन’ ने एक ऐसा सर्वे किया है, जिसके नतीजे सुनकर आप चौंक जाएंगे। यह संगठन महिलाओं के सम्मान, सामाजिक मुद्दों और गाली-गलौज जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए काम करता है। लेकिन जब इसने गाली-गलौज पर सर्वे किया, तो उत्तर प्रदेश का कानपुर शहर सबसे ऊपर निकला। जी हां, कानपुर के लोग सबसे ज्यादा गालियां देते हैं!
गालियों का गणितसर्वे के आंकड़ों ने सबको हैरान कर दिया। कानपुर तो पहले नंबर पर है ही, लेकिन लखनऊ, वाराणसी और मुरादाबाद जैसे चार शहर दूसरे स्थान पर हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि देश में सबसे ज्यादा 78% गालियां पंजाब में बोली जाती हैं। यानी कानपुर और पंजाब के लोग गाली देने में एक-दूसरे से होड़ लेते हैं। लेकिन रुकिए, दिल्ली और केंद्र शासित प्रदेशों में तो गालियों का इस्तेमाल 80% तक पहुंच जाता है, जो सबसे ज्यादा है। वहीं, पूर्वोत्तर राज्यों में गालियों का इस्तेमाल सबसे कम देखा गया।
11 साल का मेहनती सर्वे‘सेल्फी विद डॉटर फाउंडेशन’ के संस्थापक और महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक के प्रोफेसर सुनील जागलान बताते हैं कि यह सर्वे 11 साल की कड़ी मेहनत का नतीजा है। इसमें 17 हजार लोगों से सीधे बातचीत की गई और 1 लाख लोगों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सवाल पूछे गए। प्रो. जागलान कहते हैं, “यह सर्वे समाज में अपशब्दों के बढ़ते चलन को सामने लाता है।” संगठन ‘गाली बंद घर अभियान’ भी चला रहा है, जिसका मकसद अपमानजनक भाषा को कम करना है। इस सर्वे में स्थानीय लोगों पर फोकस किया गया, ताकि उनकी भाषाई आदतों का सही अंदाजा लगाया जा सके।
गाली-गलौज क्यों है समस्या?पीपीएन कॉलेज के प्राचार्य और समाजशास्त्री प्रो. अनूप कुमार सिंह का कहना है कि गाली-गलौज अब हमारी भाषा का हिस्सा बन चुका है, जो आपकी छवि को नुकसान पहुंचाता है। वे कहते हैं, “अभिभावक और शिक्षक बच्चों को संस्कार देकर इस आदत को रोक सकते हैं। परिवार इसकी पहली सीढ़ी है, और स्कूल दूसरी।” समाज में जागरूकता लाकर इस समस्या को कम किया जा सकता है।
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