जब बात देश के सबसे अमीर लोगों की आती है, तो हमारे जेहन में आलीशान महल, चमचमाती लग्जरी कारें और शानो-शौकत से भरी जिंदगी की तस्वीरें उभरती हैं। लेकिन सवाल यह है कि ये अरबपति अपनी अकूत दौलत को आखिर कहां लगाते हैं? क्या वे इसे बैंक की फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते हैं, शेयर बाजार में दांव लगाते हैं, या फिर सोने-चांदी जैसे पारंपरिक रास्तों पर चलते हैं?
हकीकत में, भारत के सबसे रईस लोग अब ऐसी राह चुन रहे हैं, जो आम आदमी के लिए शायद कल्पना से परे हो। उनकी नजर अब प्राइवेट इक्विटी, विदेशी स्टार्टअप्स और अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) जैसे हाई-रिटर्न वाले विकल्पों पर है। यह सिर्फ पैसे की बात नहीं, बल्कि भविष्य को देखते हुए रणनीतिक सोच और दूरदृष्टि का खेल है। आइए, एक नजर डालते हैं कि देश के टॉप अरबपति अपनी दौलत को कैसे बढ़ा रहे हैं और उनकी रणनीतियों से हम क्या सीख सकते हैं।
निवेश की नई दिशा
भारत के अल्ट्रा-रिच, यानी अरबों की संपत्ति वाले लोग, अब पुराने ढर्रे से हटकर निवेश कर रहे हैं। पहले जहां शेयर बाजार, रियल एस्टेट या सोना उनके पसंदीदा विकल्प हुआ करते थे, अब वे ऐसे स्मार्ट और जोखिम भरे, लेकिन भारी मुनाफा देने वाले रास्तों पर चल रहे हैं, जिनके बारे में आम निवेशक शायद ही सोच पाएं।
उनकी रणनीति अब सिर्फ दौलत बढ़ाने तक सीमित नहीं, बल्कि यह जोखिम को बांटने और भविष्य के उभरते सेक्टरों में हिस्सेदारी सुनिश्चित करने की है।
प्राइवेट इक्विटी और AIFs का बढ़ता आकर्षण
आजकल देश के अरबपति प्राइवेट इक्विटी, वेंचर कैपिटल और AIFs जैसे विकल्पों की ओर तेजी से झुक रहे हैं। ये निवेश जोखिम भरे तो हैं, लेकिन सही समय पर सही फैसला लेने पर इनका रिटर्न पारंपरिक निवेशों से कहीं ज्यादा होता है। AIFs, यानी अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स, ऐसे खास फंड्स हैं जो स्टार्टअप्स, इंफ्रास्ट्रक्चर, हेल्थटेक और फिनटेक जैसे उभरते क्षेत्रों में पैसा लगाते हैं।
ये फंड्स न सिर्फ विविधता लाते हैं, बल्कि लंबे समय में जबरदस्त मुनाफे का मौका भी देते हैं। 2024 तक भारत में AIFs में 11.35 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हो चुका है, जो इस ट्रेंड की ताकत को दर्शाता है।
वैश्विक बाजारों पर नजर
भारत के अमीरों की नजर अब सिर्फ देसी बाजारों तक सीमित नहीं रही। वे अमेरिका, यूरोप और एशिया के स्टार्टअप्स, हेज फंड्स और कंपनियों में खुलकर निवेश कर रहे हैं। सरकार ने हाल के वर्षों में विदेशी निवेश के नियमों में ढील दी है, जिसका फायदा इन अरबपतियों ने बखूबी उठाया है। यह रणनीति न सिर्फ उनके पोर्टफोलियो को मजबूत करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर उनकी मौजूदगी को भी बढ़ाती है।
फैमिली ऑफिस
देश के कई हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) अब अपनी संपत्ति को फैमिली ऑफिस के जरिए मैनेज कर रहे हैं। ये फैमिली ऑफिस एक ऐसी प्रोफेशनल टीम होती है, जो निवेश, टैक्स प्लानिंग, इनहेरिटेंस और फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी को संभालती है। यह न सिर्फ परिवार की संपत्ति को सुरक्षित रखता है, बल्कि इसे बढ़ाने के लिए रिसर्च-बेस्ड और स्मार्ट फैसले भी लेता है।
रियल एस्टेट और स्टार्टअप्स की चमक बरकरार
हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के अल्ट्रा-रिच अपनी संपत्ति का 32% शेयर बाजार में, 29% रियल एस्टेट में और 18% प्राइवेट इक्विटी, AIFs और क्रिप्टोकरेंसी जैसे नए क्षेत्रों में लगा रहे हैं। खास तौर पर हेल्थटेक, ग्रीन एनर्जी और फिनटेक जैसे सेक्टर उनकी पहली पसंद बने हुए हैं। ये सेक्टर न सिर्फ मुनाफे का मौका देते हैं, बल्कि भविष्य की जरूरतों को भी पूरा करते हैं।
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