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आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से भी नहीं मिली राहत

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जोधपुर, 03 सितम्बर (Udaipur Kiran) । रेप केस के मामले में सजा काट रहे आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली है। बुधवार को आसाराम की ओर से अंतरिम जमानत अवधि बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने अंतरिम जमानत बढ़ाने से इंकार कर दिया। हालांकि, आसाराम की ओर से गुजरात केस में सजा को चुनौती देने के लिए वहां की हाईकोर्ट में दायर याचिका और अंतरिम जमानत की याचिका पर एक साथ सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी जोधपुर केस में सजायाप्ता आसाराम की अंतरिम जमानत बढ़ाने से इनकार करते हुए जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर करने के निर्देश दिए थे। इससे पहले आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से 29 अगस्त तक की अंतरिम जमानत मिली हुई थी। कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद आसाराम ने तीस अगस्त की सुबह 11 बजे जोधपुर की सेंट्रल जेल में सरेंडर कर दिया था। बता दे कि राजस्थान हाईकोर्ट के निर्देश पर सिविल हॉस्पिटल (अहमदाबाद) प्रशासन ने मेडिकल बोर्ड गठित कर आसाराम के स्वास्थ्य की जांच की थी। इसकी रिपोर्ट सीधे राजस्थान हाईकोर्ट को ईमेल से भेजी गई थी। इसके बाद सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सिविल हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार आसाराम की सेहत इतनी गंभीर नहीं है कि उसकी अंतरिम जमानत को बढ़ाया जाए। हालांकि कोर्ट ने जेल में आसाराम को व्हील चेयर की सुविधा और एक सहायक उपलब्धता की छूट दी है। इसके साथ ही जरूरत पडऩे पर जोधपुर एम्स में जांच करवाई जा सकती है।

गुजरात हाईकोर्ट में यह हुआ

गुजरात हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत को मेरिट के आधार पर नहीं बढ़ाया है। अगर राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, तो उसके फैसले का इंतज़ार करें। गुजरात हाईकोर्ट एक ही मेडिकल रिपोर्ट पर अलग रुख कैसे अपना सकता है? इसके बाद हाईकोर्ट ने आसाराम की ज़मानत नहीं बढ़ाई। हालांकि, अंतरिम जमानत बढ़ाने की अर्जी पर सुनवाई के दौरान आसाराम के वकील ने कहा कि वे जोधपुर में कोर्ट के आदेश के खिलाफ नहीं है, लेकिन सिविल हॉस्पिटल के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट पर गौर किया जाना चाहिए। आसाराम की तबीयत बिगड़ रही है लेकिन आरटीआई में मिली जानकारी के मुताबिक़ ज़रूरी रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई हैं। आसाराम आज भी बीमार हैं। वहीं, पीडि़ता के वकील ने दलील दी कि गुजरात हाईकोर्ट को राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश की समीक्षा नहीं करनी चाहिए। राजस्थान हाईकोर्ट ने नहीं माना कि आसाराम की तबीयत लगातार बिगड़ रही है।

(Udaipur Kiran) / सतीश

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