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संताल परगना की जमीन पर देशी विदेशी कंपनियों और कार्पोरेट घरानों की नजर: वृंदा कारात

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दुमका, 29 जून (Udaipur Kiran) । संताल परगना क्षेत्र में जमीन का सवाल एक प्रमुख मामला है। देशी विदेशी कंपनियों और कार्पोरेट घरानों की नजर यहां की खनिज संपदा पर है। हाल ही में निजी कंपनियों को कोयला खनन के लिए कोल ब्लाक आवंटित किए गए हैं।

ये निजी कोल कंपनियां यहां के आदिवासियों और अन्य गरीबों की जमीन की रक्षा के लिए बने संताल परगना काश्तकारी कानून की धज्जिया उड़ाते हुए स्थानीय दलालों के माध्यम से रैयतों के जमीन की लूट रही है।

ये बातें संताल परगना क्षेत्रीय कमेटी की बैठक में सीपीएम नेता वृंदा कारात ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि पाकुड़ के अमड़ापाड़ा के पचुआडा नार्थ कोल ब्लाक के समीप बसे गांवों में इन दलालों का इतना आतंक है कि आम आदिवासी रैयत कंपनी के खिलाफ मुंह तक नहीं खोलते हैं।

दूसरी ओर सार्वजनिक क्षेत्र के उधम कोल इंडिया की कंपनी ईसीएल ने भी कोयला खनन का काम कुख्यात आउटसोर्सिंग कंपनियों के हवाले कर दिया है। जिन्हें नहीं तो कामगारों के हितों की परवाह है और नही रैयतों के अधिकारों की।

इस अवसर पर राज्य सचिव प्रकाश विप्लव ने कहा कि मोदी सरकार की ओर से कोयला उधोग का निजीकरण किए जाने की दिशा में कदम उठाते हुए कार्पोरेट घरानों को कोल ब्लाकों की नीलामी की जा रही है। इससे एक बड़ी समस्या यहां कोयला कंपनियों की ओर से आउटसोर्सिंग के माध्यम से कोयले का उत्खनन करने के बाद उसके परिवहन से आ रही है।

आमड़ापाड़ा के ओपेन कास्ट कोयला खानों से कोयला निकाल कर निजी कंपनियों की ओर से बड़े-बड़े बड़े डंपर, हाइवा वाहनों से कोयला दुमका और पाकुड़ के डम्पिंग यार्ड तक सड़क मार्ग से भेजा जाता है। कोयला के परिवहन में सैकड़ों वाहन कोयले की धुल उड़ाते हुए राजमार्ग से गुजरते हैं। इसके चलते भारी प्रदूषण हो रहा है और कभी हरा भरा दिखने वाला यह इलाका कोयले के काले डस्ट से रोड के किनारे बसे गांवों को अपने आगोश में ले लिया है।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा कोयले को ढंक कर ले जाने और रास्ते में पानी का छिड़काव करने का दिशा-निर्देश केवल कागजों तक सीमित रह गया है। इस प्रदूषण के कारण यहां का पर्यावरण संतुलन भी नष्ट होता जा रहा है। कोयला परिवहन से उड़ने वाली डस्ट से वातावरण में कोयले के महीन कणों की मौजूदगी से लोगों को श्वांस की बीमारी हो रही है। इसके अलावा अनियंत्रित बड़े वाहनों के परिचालन से रोज दुघर्टनाएं भी होती हैं। कोयला की ढुलाई से अगल बगल के इलाके की खेती भी चौपट हो रही है।

इस ज्वलंत मुद्दे पर आज सीपीएम की दुमका और पाकुड़ जिला कमेटी की संयुक्त बैठक में चर्चा करते हुए आंदोलन की एक कार्य योजना बनायी गयी। बैठक की अध्यक्षता पार्टी के जिला सचिव सुभाष हेम्ब्रम ने की। बैठक में संताल हूल की 170 वीं वर्षगांठ पर कार्यक्रम किए जाने का निर्णय लिया गया.। बैठक में सचिवमंडल सदस्य एहतेशाम अहमद, शिवानी पाल, प्रफुल्ल लिंडा आदि मौजूद रहे।

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(Udaipur Kiran) / नीरज कुमार

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