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सिक्ख गुरुओं ने सनातन के लिए दिया अपना बलिदान, गोंदपुर में कथा संपन्न

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ऊना, 29 जून (Udaipur Kiran) । उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की धर्मपत्नी स्वर्गीय प्रो. सिम्मी अग्निहोत्री की आत्मिक शांति के लिए गोंदपुर में चल रहा सात दिवसीय श्रीमद् भागवत महापुराण यज्ञ रविवार को संपन्न हो गया। कथा के अंतिम दिन श्रद्धा का ऐसा सैलाब उमड़ा कि कथा पंडाल छोटा पड़ गया और श्रद्धालुओं ने पंडाल के बाहर खड़े होकर अमृत रूपी श्रीमद् भागवत कथा का रसपान किया। कथाब्यास जगतगुरू राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि पता चला है कि जिनकी आत्मिक शांति के लिए ये कथा हो रही है वो श्री वृंदावन धाम जाकर महाराज प्रेमानंद जी के दर्शन करना चाहती थीं लेकिन उससे अगले ही दिन वह इस नश्वर संसार को छोड़कर चलीं गई।

उन्होंने कहा कि उनकी अंतिम ईच्छा वृंदावन जाने की थी तो हमारा ये विश्वास है कि वे वृंदावन में पहुंच गई होंगी। उनकी आत्मिक शांति के लिए करवाया गया ये धार्मिक समागम पूर्ण रूप से सफल संपन्न हुआ है। समागम में उनके पति उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के ह्दय की भावना भी बहुत प्रबल रही है। इन्होंने बहुत ही विनम्र, श्रद्धा और निष्काम भाव से जो इस श्रीमद् भगवत महापुराण का आयोजन करवाया है उसका प्रत्यक्ष परिणाम भी जल्द ही सामने आएगा। सात दिनों तक उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री इस कथा क्षेत्र से कहीं बाहर नही गए।

कथा को आगे बढ़ाते हुए महाराज जगतगुरू राजेंद्रदास जी ने भगवान के चरित्रों का वर्णन करते हुए श्रद्धालुओं से मांसाहार को त्यागने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जीवन में एक बार में जिस मनुष्य ने मांस खाया हो तो उसे नरक भोगना पड़ता है, राक्षसी योनि उसे प्राप्त होती है। आजकल बहुत से लोग ऐसा कहते है कि क्षत्रिय तो मांसाहार कर सकते हैं। लेकिन महाराणा प्रताप ने अकबर से संधि ने की और घास की रोटियां खाते रहे उन्होंने जंगल में रहते हुए भी कोई शिकार करके अपनी भूख नहीं मिटाई। महाराज छत्रपति शिवाजी पूर्ण रूप शाकाहारी थे उन्होंने जीवन में कभी भी मांस का सेवन और मदिरा का पान नही किया।

कथाब्यास ने कहा कि मुगल काल में मांसाहार और मदिरा पान का दोष भारत में आया और उन क्षत्रियों के माध्यम से आया जो मुगलों से मिल गए थे। लेकिन बड़े खुद की बात है कि पहले से 14 गुना ज्यादा मांस का निर्यात हो रहा है। उन्होंने कहा कि शाकाहारी और मांसाहारी प्राणियों में भेद बताते हुए कहा कि जो शाकाहारी प्राणी है वो नाक से स्वांस लेते जबकि मांसाहारी प्राणी जीभ बाहर निकालकर सांस लेते है। मांसाहार मनुष्य की प्रवृति के विरुद्ध है और अब तो वैज्ञानिक भी ये बोल रहे है कि अगर स्वस्थ और दीर्घायु रहना है तो भारतीय शाकाहार का सेवन करना चाहिए।

इस अवसर पर विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय शर्मा, स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल, वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ठाकुर कौल सिंह, भाजपा के पूर्व मंत्री राकेश पठानिया, विधायक बाबा हरदीप सिंह, संजय रत्न, बंबर ठाकुर, सुदर्शन बबलू सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालूगण मौजूद रहे।

कथा ब्यास ने कहा कि पंजाब की धरती पर प्रकट सिक्ख पंरपरा के महान गुरूओं ने भारतीय सनातन धर्म, वैदिक धर्म की रक्षा हिंदू धर्म की रक्षा के लिए मुगलों के इतने अत्याचार सहन किए। अगर वे गुरू केवल मन से संकल्प करते तो मुगल भस्म हो जाते, लेकिन किसी ने अपना शीश दे दिया और किसी ने अपनी चमड़ी उतरवा दी। जिन्होंने उन पर इतना अत्याचार किया उनके प्रति गुरूओं के मुख से श्राप नही निकला। उन्होंने ये इसलिए सहन किया कि अगर इस नाशवान शरीर को कष्ट सहन करने से अगर संपूर्ण देश का धर्म सुरक्षित हो जाता है तो ये बलिदान कुछ नही है ऐसा भाव हमारे गुरूओं में था। आज उनके संकट सहने का ही प्रभाव है कि हम लोग ये कथा सुन रहे हैं नही पूरे भारतवर्ष में मंदिरों के दर्शन दुर्लभ हो जाते।

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(Udaipur Kiran) / विकास कौंडल

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