पन्ना, 27 जून (Udaipur Kiran) । पन्ना शहर में शुक्रवार को परंपरागत तरीके से पन्ना की एतिहासिक रथयात्रा धूमधाम के साथ शाम 7 बजे निकाली गई। रथयात्रा निकालने के पूर्व विधिवत भगवान की पूजा अर्चना की गई और बारी बारी से भगवान जगन्नाथ स्वामी, भगवान बलभद्र एवं बहिन सुभद्रा जी को अलग अलग रथों में सवार कर परंपरागत तरीके से राज परिवार की ओर से राजपरिवार की ओर से महाराजा छत्रसाल द्वितीय द्वारा उनकी आरती उतारी गई चंवर डुलाई हुई और इसके बाद रथ रवाना किये गये।
ज्ञात हो कि पन्ना का जगन्नाथ स्वामी मंदिर पूरी के बाद विश्व का अद्वितीय मंदिर है ये मंदिर और इसकी महिमा अपरंपार है इस मंदिर का निर्माण महाराजा किशोर सिंह ने 1700 में करवाया था पन्ना के राजा को भगवान ने सपना दिया था कि वे पुरी आकर वो उनकी प्रतिमा लेकर पन्ना जाये और वह के लोगो को कलयुगी दुनिया के अँधेरे से बचाये उसके बाद किशोर सिंह महाराज भगवान् को लेने जाते है और भगवान की मूर्तियों को 2 साल की यात्रा के बाद बड़े पराक्रम से पन्ना लाके विराजमान कराया था। उसके बाद रथयात्रा की शुरुआत होती है जो हर साल जून और जुलाई माह के दरमियान निकाली जाती है ये रथयात्रा पूरी के तर्ज़ पे ही निकाली जाती है और विश्व में इस रथयात्रा का दूसरा स्थान है इस मंदिर में 26 छोटे छोटे मंदिर भी है जो बहुत ही सिद्धि वाले मंदिर है यहाँ सबकी मन्नतें अटका चढ़ाने से पूरी होती है।
कार्यक्रम में पन्ना विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह प्रशासनिक अधिकारियों ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती वंदना सिंह चौहान, एसडीओपी पन्ना, टीआई रोहित मिश्रा सहित पुलिस बल एवं भारी संख्या में श्रृद्धालु गण उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि बुंदेलखंड क्षेत्र के पन्ना शहर में हर साल आयोजित होने वाली रथयात्रा की परम्परा अनूठी है देश की तीन सबसे पुरानी व बड़ी रथयात्राओं में पन्ना की रथयात्रा भी शामिल है। आज रथयात्रा शुभारंभ के अवसर पर सशस्त्र पुलिस के जवानों द्वारा गॉड ऑफ ऑनर के तहत सलामी दी गई। ओडिशा के जगन्नाथपुरी की तर्ज पर यहां आयोजित होने वाले इस भव्य धार्मिक समारोह में राजशी ठाठ बाट और वैभव की झलक देखने को मिलती है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ स्वामी की एक झलक पाने समूचे बुंदेलखंड क्षेत्र से हजारों की संख्या में श्रृद्धालु यहां पहुंचते हैं। पन्ना जिले के इस सबसे बड़े धार्मिक समारोह के दरम्यान यहां की अद्भुत और निराली छटा देखते ही बनती है पन्ना की यह ऐतिहासिक रथयात्रा 169 वर्ष पूर्व तत्कालीन पन्ना नरेश महाराजा किशोर सिंह द्वारा शुरू कराई गई थी, जो परम्परानुसार अनवरत जारी है।
एक किवदंती यह भीः- जगन्नाथ स्वामी मंदिर से निकली ऐसी किवंदती है कि जिस वर्ष यहां मंदिर का निर्माण हुआ तो यहां पर अटका चढ़ाया गया। महाराजा किशोर सिंह को स्वप्न आया कि पन्ना में अटका न चढ़ाया जाये अन्यथा पुरी का महत्व कम हो जायेगा। इसलिये यहां भगवान जगन्नाथ स्वामी को अंकुरित मूंग का प्रसाद चढ़ाया जाता है। आज भी यहां पर अंकुरित मूंग व मिश्री का प्रसाद चढ़ता है शहर के पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि राजाशाही जमाने में पन्ना की रथयात्रा बडे ही शान शौकत व वैभव के साथ निकलती थी। इस रथयात्रा में सैंकड़ों हांथी, घुडसवार, सेना के जवान, राजे महाराजे व जागीरदार सब शामिल होते थे। रुस्तम गज हांथी की कहानी भी यहां काफी प्रचलित है। बताते हैं कि तत्कालीन महाराज का यह प्रिय हाथी रथयात्रा में अपनी सूड से चांदी का चंवर हिलाते हुये चलता था। हिंदु पंचाग के अनुसार आषाढ़ शुक्ल माह की द्वितीय तिथि को यहां पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तरह हर साल रथयात्रा निकलती है। रथयात्रा के दौरान बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ मंदिर से बाहर सैर के लिये निकलते हैं। यह अनूठी रथयात्रा पन्ना से शुरू होकर तीसरे दिन जनकपुर पहुंचती है। तत्कालीन पन्ना नरेशों द्वारा जनकपुर में भी भव्य मंदिर का निर्माण कराया गया है। रथयात्रा के जनकपुर पर पहुंचने पर यहां के मंदिर को बडे ही आकर्षक ढंग से सजाया जाता है तथा यहां पर मेला भी लगता है।
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(Udaipur Kiran) / सुरेश पांडे
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