– “परंपरागत चिकित्सा का स्वास्थ्य संवर्धन में योगदान एवं सिकल सैल एनीमिया प्रबंधन” पर मण्डला में हुई कार्यशाला
भोपाल, 20 अगस्त (Udaipur Kiran) । मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि सिकल सैल से पीड़ित व्यक्ति का चिन्हांकन एवं त्वरित रोग उपचार ही इस बीमारी से बचाव का कारगर उपाय है। जितनी जल्दी इस रोग का पता चलेगा, इसे नियंत्रित करने की संभावना उतनी अधिक होगी। आमजन स्वास्थ्य केन्द्रों में जाकर सिकल सैल एनीमिया की जांच अवश्य करवाएं। उन्होंने कहा कि मां के गर्भ में और बच्चे के जन्म के 72 घंटे में इसकी जांच की सुविधा है। विवाह के पहले आनुवांशिक कार्ड का मिलान अवश्य कराना चाहिए। सिकल सैल एनीमिया की बीमारी आनुवांशिक है। इसके उन्मूलन के लिए व्यापक जनजागरूकता आवश्यक है।
राज्यपाल पटेल बुधवार को मण्डला जिले के ग्राम सेमरखापाके एकलव्य आदर्श विद्यालय ऑडीटोरियम में “परंपरागत चिकित्सा का स्वास्थ्य संवर्धन में योगदान एवं सिकल सैल एनीमिया प्रबंधन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शहडोल जिले से वर्ष 2023 से सिकल सैल उन्मूलन का अभियान शुरू हुआ है। तब से लेकर अब तक देश में 7 करोड़ लोगों की जाँच की जा चुकी है, जिसमें मध्य प्रदेश में एक करोड़ 14 हजार व्यक्तियों की जांच की गई।
जनजातीय कार्य मंत्री डॉ. विजय शाह ने कहा कि प्रदेश में प्राचीन औषधियों को अस्तित्व में बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है। मंडला में डी-मार्ट की तर्ज पर ट्रायबल मार्ट बनाया जायेगा। जनजातीय बंधु इसका संचालन करेंगे। यहां मिलने वाले उत्पाद की कीमत बाजार की तुलना में 25-30 प्रतिशत कम होगी। स्थानीय लोगों को भी रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सम्पतिया उइके ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जनजातीय जीवन को बेहतर बनाया जा रहा है। प्रदेश में सिकल सैल एनीमिया उन्मूलन के लिए युद्ध स्तर पर कार्य हो रहे हैं। केन्द्र व राज्य की डबल इंजन सरकार के प्रयासों की बदौलत स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्यापक बदलाव आए हैं।
आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य सिकल सैल एनीमिया उन्मूलन के संबंध में चिकित्सकों एवं परंपरागत वैद्यों से आवश्यक जानकारी प्राप्त करना और उसे वृहद स्तर पर लोगों तक पहुंचाना है। बालाघाट में आयुर्वेद रिसर्च सेंटर खोलने की स्वीकृति भारत सरकार ने दी है। रिसर्च के क्षेत्र में अच्छा काम करने वालों के साथ एम.ओ.यू. भी किए जा रहे हैं। परंपरागत वैद्यों के ज्ञान को सहेजने और शोध के दस्तावेजीकरण की तरफ बढ़ रहे हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परंपरागत रूप से काम कर रहे पारंपरिक वैद्यों को आधुनिक तकनीक से भी जोड़ा जा रहा है।
जिले के प्रभारी मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि राज्यपाल पटेल अति संवेदनशील हैं, जो जनजातीय जिलों के सुदूर अंचलों तक जाकर इस बीमारी की रोकथाम के लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं। नर सेवा ही नारायण सेवा है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पूजा अर्चना से परमेश्वर दर्शन देंगे या नहीं यह तो नहीं पता लेकिन जब दीन-हीन बीमार व्यक्ति की सेवा होगी तो उसकी आंखों में परमेश्वर के दर्शन स्वतः हो जाएंगे।
राज्यपाल पटेल ने कार्यक्रम में सिकल सैल एनीमिया से ग्रसित बच्चों ने भी अपने अनुभव साझा किए। राज्यपाल एवं अन्य अतिथियों ने मिशन नेत्रज्योति अंतर्गत चश्मा, सिकल सैल दिव्यांगता प्रमाण पत्र, आयुष्मान कार्ड, पोषण किट, विधवा पेंशन कार्ड एवं स्व-सहायता समूह को राशि वितरित की। भगवान धनवंतरी एवं जननायक बिरसामुण्डा के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। राज्यपाल पटेल का स्वागत अंगवस्त्र, तुलसी पौधा एवं गोंडी पेंटिंग भेंट कर किया गया। कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने स्मृति चिन्ह स्वरूप गोंडी पेंटिंग भेंट कर अभिनंदन किया। कार्यशाला में आयुष विभाग के प्रमुख सचिव डी.पी. आहूजा, आयुक्त उमा महेश्वरी, राष्ट्रीय आयुर्वेद महासम्मेलन के प्रो. रविनारायण आचार्य एवं परंपरागत वैद्य शामिल हुए।
(Udaipur Kiran) तोमर
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