मंदसौर, 2 नवंबर (Udaipur Kiran) . रेवास देवड़ा रोड़ स्थित 151 सीढ़ी वाली जय अम्बें, देव डूंगरी माताजी मंदिर चमत्कारी, श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. यहां इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक मनमोहक माहौल मे आगंतुकों को मन कि शांति भी मिलती है. देव डुगंरी माता मंदिर परिक्षेत्र में प्रति sunday यहां हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं और शांत प्राकृतिक वातावरण में अध्यात्म और प्रकृति दोनों का अनुभव करते हैं.
जय अम्बे, देवडूगंरी माता भक्त मंण्डल रेवास देवड़ा रोड़, मंदसौर के अध्यक्ष बंशी राठौर, सदस्य राधेश्याम मारू, जगदीश बैरागी ने बताया कि हाल ही में मंदिर परिसर से जुड़ी एक छोटी सी गलतफहमी सामने आई थी. दर्शनार्थियों ने बताया कि वन विभाग ने नगर वन समिति के नाम से 10 रू का टोकन चालु किया है, दुर्भाग्यवश, कुछ लोगों द्वारा इसे मंदिर दर्शन शुल्क के रूप में प्रचारित किया गया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी. मौक पर विवाद जैसी स्थिति बनी.
वर्तमान में विभाग ने लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए शुल्क संग्रह को स्थगित कर दिया है. वहीं भविष्य में यदि इस स्थल को एक आदर्श धार्मिक-पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना है, तो पंच कचेलिया तेल समाज मंदिर प्रबंध समिति, स्थानीय जनता, प्रशासन और श्रद्धालुओं के कि मंशा अनुसार प्राप्त सुझावों के बाद एसी कोई व्यवस्था नगर वन के लिए बनाई जाएगी.
देव डूंगरी माता मंदिर के लिए आगंतुक दर्शनार्थी से किसी प्रकार कोई शुल्क वसुली नहीं हो रहा. यह क्षेत्र अब केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि आस्था, पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण विकास का मॉडल बन रहा है. वास्तव में, वन विभाग द्वारा यहां एक सुंदर बगीचे और वन पर्यटन क्षेत्र (इक्को पार्क) का निर्माण किया गया, जिसका उद्देश्य यहां देव डूंगरी स्थल को नगर वन के रूप में विकसित करना और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार एवं पर्यटन के अवसर उत्पन्न करना है. पूर्व जिला पंचायत सदस्य अंशुल बैरागी ने भी देव डूंगरी मंदिर स्थल पहुंचे और पूरी स्थिति के बारे में जानकारी ली.
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(Udaipur Kiran) / अशोक झलोया
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