शिमला, 12 जुलाई (Udaipur Kiran) । आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हैल्परज़ यूनियन (सीटू) का 14वां दो दिवसीय राज्य सम्मेलन शनिवार को ऊना में शुरू हुआ। ध्वजारोहण यूनियन की राज्याध्यक्षा नीलम जसवाल ने किया और उद्घाटन राष्ट्रीय अध्यक्ष ऊषा रानी ने किया। सम्मेलन की रिपोर्ट राज्य महासचिव वीना शर्मा ने प्रस्तुत की। सम्मेलन को सीटू के राष्ट्रीय सचिव डॉ कश्मीर ठाकुर, प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, महासचिव प्रेम गौतम, उपाध्यक्ष जगत राम, कोषाध्यक्ष अजय दुलटा सहित कई नेताओं ने संबोधित किया।
सम्मेलन में शामिल नेताओं ने 9 जुलाई को आयोजित राष्ट्रव्यापी हड़ताल को ऐतिहासिक बताते हुए आंगनबाड़ी कर्मियों को बधाई दी। उन्होंने बताया कि इस हड़ताल में हिमाचल प्रदेश के दस हजार से अधिक आंगनबाड़ी कर्मियों ने भाग लिया, जिसके चलते अधिकांश आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहे और जिला व ब्लॉक मुख्यालयों पर जोरदार प्रदर्शन हुए। नेताओं ने कहा कि यह प्रदेश के इतिहास की सबसे बड़ी हड़ताल रही।
सम्मेलन में प्रमुखता से आंगनबाड़ी कर्मियों की मांगों को उठाया गया। नेताओं ने केंद्र सरकार से मांग की कि मिनी आंगनबाड़ी को पूर्ण आंगनबाड़ी का दर्जा दिया जाए और समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने किसी भी मिनी आंगनबाड़ी केंद्र को बंद न करने, सभी कर्मियों के वेतन में बढ़ोतरी और उन्हें नियमित कर्मचारी बनाने की भी मांग की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ग्रेच्युटी लागू करने और गुजरात हाई कोर्ट के आदेशानुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नियमित करने की भी जोरदार मांग की गई।
नेताओं ने आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-प्राइमरी स्कूल का दर्जा देने, वरिष्ठता के आधार पर सुपरवाइजर के पदों पर भर्ती, सुपरवाइजर बनने के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय की डिग्री को मान्य करने की मांग भी रखी। हरियाणा की तर्ज पर वेतन और वरिष्ठता लाभ, पंजाब की तर्ज पर मेडिकल सहित अन्य छुट्टियां, रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष करने, वर्दी के लिए आर्थिक सहायता, मोबाइल रिचार्ज व स्टेशनरी की सुविधा देने की भी मांग की गई।
सम्मेलन में पोषण ट्रैकर ऐप की दिक्कतों को दूर करने, डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और तीस प्रतिशत बजट कटौती के खिलाफ भी विरोध दर्ज किया गया। नेताओं ने कहा कि नंद घर बनाने की आड़ में आईसीडीएस को निजी कंपनी वेदांता के हवाले कर निजीकरण की साजिश रची जा रही है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित कर्मचारी घोषित नहीं किया गया तो आंदोलन और तेज होगा। 2013 में हुए 45वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश के अनुसार भी कर्मियों को नियमित करने की मांग की गई। साथ ही हरियाणा की तर्ज पर वेतन, पेंशन, ग्रेच्युटी, मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने और चुनाव ड्यूटी पर इंसेंटिव देने की भी मांग उठाई गई।
नेताओं ने नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी आंगनबाड़ी वर्करज़ को सौंपने की भी मांग की, ताकि प्रशिक्षित कर्मियों का सही उपयोग हो और इसके बदले उनका वेतन भी बढ़ाया जाए। साथ ही आंगनबाड़ी वर्करज़ एवं हेल्परज़ के खाली पदों को तुरंत भरने और अतिरिक्त काम का डबल भुगतान करने की भी जोरदार मांग की गई।
सम्मेलन में यह संकल्प लिया गया कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो प्रदेश भर में संघर्ष और भी तेज किया जाएगा और आईसीडीएस के निजीकरण का डटकर विरोध किया जाएगा।
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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा
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