नई दिल्ली, 18 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सोमवार को बताया कि दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम 2025 मंजूर हो गया है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है। यह ऐतिहासिक कानून अब शिक्षा के व्यावसायीकरण पर अंकुश लगाएगा और स्कूलों की फीस निर्धारण में पारदर्शिता, जवाबदेही व निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।
मुख्यमंत्री ने एक बयान में बताया कि दिल्ली विधानसभा में 8 अगस्त को यह विधेयक पारित किया गया था। यह विधेयक दिल्ली के लाखों अभिभावकों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है। वर्षों से अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी शुल्क वृद्धि से परेशान थे। इस कानून ने स्कूलों में एक सुदृढ़, पारदर्शी और सहभागी शुल्क विनियमन प्रणाली स्थापित की है। अब शिक्षा कोई व्यावसायिक सौदा नहीं होगी, बल्कि एक अधिकार और लोक-कल्याण का साधन बनी रहेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि यह विधेयक अभिभावक, शिक्षक, प्रबंधकों और सरकार के प्रतिनिधित्व वाली स्कूल स्तरीय फीस नियंत्रित समितियों को अनिवार्य बनाता है। अब किसी भी प्रकार की फीस बढ़ोतरी के लिए पूर्व अनुमोदन आवश्यक है। यह विधेयक बहु-स्तरीय शिकायत निवारण प्रदान करेगा और विवादित शुल्क के लिए छात्रों के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगाएगा। स्वीकृत की गई निर्धारित फीस तीन वर्षों तक यथावत रहेगी, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ का असर कम होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकारों ने इस मामले को कभी गंभीरता से नहीं लिया, जिसके चलते अभिभावकों को लगातार परेशानी का सामना करना पड़ा। पूर्व सरकार ने अपने शिक्षा मॉडल का झूठ फैलाया लेकिन न तो फीस सिस्टम को दुरुस्त किया और न ही शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रयत्न किए।
उन्होंने कहा कि अब कोई भी स्कूल तय की गई फीस से ज्यादा धनराशि नहीं वसूल सकेगा। हर स्कूल में फीस समिति होगी। इस समिति में प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक, महिलाएं और वंचित वर्ग के लोग शामिल होंगे, ताकि फीस तय करने में सबकी भागीदारी होगी। उन्होंने बताया कि जिले में शिकायत निवारण समिति होगी। फीस से जुड़ी शिकायतें और विवाद वरिष्ठ शिक्षा अधिकारियों की अध्यक्षता में बनी समिति तुरंत सुलझाएगी। जिला स्तर के फैसलों पर अपील की जांच के उच्चस्तरीय पुनरीक्षण समिति भी होगी, ताकि कोई भी पक्षपात न हो। स्वीकृत फीस का ब्योरा नोटिस बोर्ड, वेबसाइट और हिंदी, अंग्रेजी व स्कूल की भाषा में खुले रूप में प्रदर्शित होगा। एक बार तय हुई फीस तीन शैक्षणिक वर्षों तक यथावत रहेगी। ज्यादा या अवैध फीस लेने वाले स्कूलों पर भारी आर्थिक दंड लगाया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उस दृष्टिकोण के अनुरूप व्यवस्था, जिसका उद्देश्य शिक्षा में मुनाफाखोरी पर अंकुश लगाना है।
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(Udaipur Kiran) / धीरेन्द्र यादव
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