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फर्जी कोर्ट सम्मन और वारंट से रहें सावधान: राजस्थान पुलिस ने जारी की साइबर अलर्ट एडवाइजरी

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जयपुर, 24 अक्टूबर (Udaipur Kiran News). Rajasthan पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने आमजन को एक नए प्रकार के साइबर फ्रॉड — फर्जी कोर्ट सम्मन और वारंट धोखाधड़ी के बारे में सचेत किया है. ठग अब खुद को न्यायालय अधिकारी या पुलिस अधिकारी बताकर लोगों को धमकाते हैं और ऑनलाइन माध्यम से जमानत या केस निपटाने के नाम पर पैसे ऐंठ रहे हैं.

उपमहानिरीक्षक पुलिस (साइबर क्राइम) विकास शर्मा ने बताया कि यह नया साइबर ठगी का तरीका तेजी से फैल रहा है, जिसमें अपराधी झूठी एफआईआर, फर्जी वारंट या कोर्ट सम्मन दिखाकर नागरिकों को डरा-धमका रहे हैं.

ऐसे करते हैं अपराधी ठगी
  • धमकी भरा नोटिस: ठग खुद को कोर्ट अधिकारी, पुलिस अधिकारी या वकील बताकर पीड़ित को भयभीत करते हैं.

  • फर्जी दस्तावेज: ये अपराधी डिजिटल हस्ताक्षर वाले नकली कोर्ट सम्मन, वारंट या FIR नोटिस तैयार करते हैं और WhatsApp या Email के जरिए भेजते हैं.

  • ऑनलाइन पेमेंट की मांग: लोगों को डराकर वे “जमानत राशि” या “केस निरस्तीकरण शुल्क” के नाम पर UPI, वॉलेट या बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पैसे मांगते हैं.

  • साइबर ठगी से बचने के लिए जरूरी सावधानियां
  • सत्यापन करें: किसी भी कोर्ट सम्मन या वारंट मिलने पर उसकी सत्यता संबंधित न्यायालय या पुलिस थाने से अवश्य जांचें.

  • संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें: सोशल मीडिया या ईमेल से आए किसी फर्जी नोटिस में दिए लिंक पर क्लिक न करें.

  • ऑनलाइन भुगतान से बचें: किसी अनजान व्यक्ति या संस्था द्वारा मांगी गई राशि का ऑनलाइन ट्रांसफर न करें.

  • जांच करें: किसी भी संदिग्ध वीडियो कॉल, लिंक या दस्तावेज की प्रामाणिकता की जांच करें.

  • गोपनीय जानकारी साझा न करें: आधार, बैंक विवरण या OTP किसी के साथ साझा न करें.

  • धोखाधड़ी होने पर तुरंत करें शिकायत

    डीआईजी विकास शर्मा ने बताया कि अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार की ठगी का शिकार हो जाए तो तुरंत सूचना दें —

    • निकटतम पुलिस थाने या साइबर पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराएं.

    • राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल: https://cybercrime.gov.in

    • साइबर हेल्पलाइन नंबर: 1930

    • Rajasthan साइबर हेल्पडेस्क नंबर: 9256001930, 9257510100

    पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी न्यायालय या पुलिस से संबंधित ऑनलाइन नोटिस को तुरंत प्रमाणित कराएं, ताकि इस तरह के साइबर ठगों से खुद को और दूसरों को सुरक्षित रख सकें.

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