बैंक द्वारा किसानों को दी जाने वाली फसल बीमा राशि के मामले में एक अजीबो-गरीब मामला सामने आया है, जिसमें बैंक ने बीमा दस्तावेज कोरियर के माध्यम से भेजे थे, लेकिन डाक नहीं पहुंची और इसके कारण 45 किसानों को दो साल बाद भी बीमा राशि नहीं मिल पाई। इस मामले में किसानों ने जिला उपभोक्ता आयोग की बेंच क्रमांक-2 में शिकायत दर्ज कराई है।
क्या है पूरा मामला?बैंक ने फसल बीमा योजना के तहत किसानों के दस्तावेज तैयार किए थे और उन्हें बीमा कंपनी के भोपाल स्थित कार्यालय में भेजने के लिए एक कोरियर कंपनी का इस्तेमाल किया था। दस्तावेजों में किसानों की सूची, डिक्लेरेशन फॉर्म, और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज शामिल थे, जिन्हें कोरियर के माध्यम से बीमा कंपनी तक पहुंचाना था। लेकिन दुर्भाग्यवश, कोरियर बीमा कंपनी तक नहीं पहुंच पाया, और इस कारण से बीमा कंपनी को इन दस्तावेजों का सही समय पर मिलना संभव नहीं हो सका।
इस तकनीकी त्रुटि की वजह से 45 किसानों को उनकी फसल बीमा राशि नहीं मिल पाई। दो साल का समय बीत चुका है, और अब तक किसानों को उनके बीमा का लाभ नहीं मिल पाया है। इसके बाद, प्रभावित किसानों ने अपनी शिकायत जिला उपभोक्ता आयोग के पास दर्ज करवाई, जिससे मामले में कानूनी पहलू सामने आया।
उपभोक्ता आयोग में शिकायतकिसानों ने इस मामले में उपभोक्ता आयोग से गुहार लगाई है, क्योंकि उनका आरोप है कि बैंक और बीमा कंपनी दोनों ने अपनी जिम्मेदारी को सही से नहीं निभाया। किसानों का कहना है कि यदि दस्तावेज सही समय पर बीमा कंपनी तक पहुंचते, तो उन्हें समय पर फसल बीमा राशि मिल जाती और उनका आर्थिक नुकसान बच सकता था।
किसानों की ओर से यह आरोप भी लगाया गया है कि बैंक ने कोरियर कंपनी का चुनाव सही तरीके से नहीं किया और इसकी जिम्मेदारी लेने से बचने के लिए केवल आधिकारिक प्रक्रिया को पूरा किया, जबकि बीमा राशि का भुगतान किसानों के लिए जरूरी था।
बैंक और बीमा कंपनी की प्रतिक्रियाइस मामले में बैंक और बीमा कंपनी की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। हालांकि, सूत्रों से यह जानकारी मिली है कि दोनों ही पक्ष मामले को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं और आगे की प्रक्रिया के बारे में उपभोक्ता आयोग से मार्गदर्शन प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।
उपभोक्ता आयोग का रुखजिला उपभोक्ता आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई शुरू कर दी है और बीमा राशि का भुगतान दिलाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की दिशा में कार्रवाई शुरू की है। आयोग ने दोनों पक्षों को नोटिस जारी किया है और उनसे अगले आदेश तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा है।
किसानों को मिलेगा राहत?यह मामला उपभोक्ता आयोग में लंबी कानूनी प्रक्रिया का सामना कर सकता है, लेकिन अगर कृषि बीमा राशि के भुगतान में कोई दोष पाया जाता है तो किसानों को आर्थिक राहत मिल सकती है। किसानों की उम्मीद है कि इस मामले का न्यायसंगत समाधान निकलेगा और उन्हें समय पर बीमा राशि मिलेगी, ताकि उनकी कृषि गतिविधियों में कोई रुकावट न आए।
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