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अजब-गजब गणेश धाम: कटारगामा गणेश मंदिर, जहां हिन्दू-बौद्ध श्रद्धा मिलती है एक बिंदु पर

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श्रीलंका के दक्षिणी भाग में बसा कटारगामा सिर्फ एक तीर्थस्थल नहीं है, यह एक ऐसा स्थल है जहां विभिन्न धर्मों की आस्थाएं एक-दूसरे से मिलकर आध्यात्मिक एकता का संदेश देती हैं। यहां स्थित कटारगामा गणेश मंदिर (Kataragama Ganapathi Temple) एक ऐसा चमत्कारी स्थल है जिसे देख हर कोई हैरान रह जाता है – क्योंकि यह मंदिर एक साथ हिन्दू, बौद्ध, मुस्लिम और वेदिक परंपराओं का केंद्र है।

यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है, जिन्हें यहां "पिल्लैयार" नाम से पुकारा जाता है। स्थानीय तमिल और सिंहली दोनों समुदायों के लोग इस मंदिर में गहरी आस्था रखते हैं और यहां आकर बप्पा से विघ्नों को हरने की प्रार्थना करते हैं।

कहां स्थित है यह मंदिर?

कटारगामा श्रीलंका के मोनारगला ज़िले में स्थित है और यह रूहुना राष्ट्रीय उद्यान के करीब स्थित है। यह स्थान “कटरगम” देवता (भगवान मुरुगन) की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन गणेश जी का यह मंदिर यहां एक विशेष और अनोखी पहचान रखता है।

अजब-गजब विशेषताएं
  • चार धर्म, एक मंदिर परिसर
    यह शायद दुनिया के उन गिने-चुने स्थानों में से एक है जहां हिंदू, बौद्ध, इस्लाम और वेदिक संस्कृति एक साथ एक ही स्थान पर पूजा करते हैं। यहां भगवान मुरुगन के साथ-साथ गणेश जी की पूजा भी बड़े धूमधाम से होती है।

  • बिना छत का मंदिर
    कटारगामा गणेश मंदिर की अजब बात यह है कि इसकी छत नहीं है। मान्यता है कि खुले आसमान के नीचे की गई गणेश पूजा जल्दी फल देती है और भगवान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

  • प्रसाद में खास नारियल और केला
    यहां बप्पा को विशेष नारियल और केलों का भोग लगाया जाता है, जिसे "कटारगामा प्रसाद" कहा जाता है। लोग मानते हैं कि यह प्रसाद खाने से मानसिक शांति और स्वास्थ्य लाभ होता है।

  • नदी पार कर मंदिर जाना
    मंदिर तक पहुँचने से पहले श्रद्धालुओं को एक छोटी नदी पार करनी पड़ती है। यह प्रतीक है कि भक्त को बप्पा तक पहुँचने से पहले अपने पाप और अहंकार को धो देना चाहिए।

  • बुद्ध और गणेश का संगम
    मंदिर परिसर में गणेश प्रतिमा के साथ एक बुद्ध प्रतिमा भी विराजमान है, जहां बौद्ध श्रद्धालु गणेश जी को 'बुद्धि का देवता' मानकर प्रणाम करते हैं। यह सांस्कृतिक और धार्मिक एकता की अद्भुत मिसाल है।

  • हर साल लगता है बड़ा मेला

    हर साल जुलाई-अगस्त के महीने में यहां एक भव्य पर्व मनाया जाता है जिसे “कटारगामा पर्व” कहा जाता है। इसमें हजारों श्रद्धालु तमिलनाडु और श्रीलंका के विभिन्न हिस्सों से पैदल यात्रा कर यहां पहुंचते हैं। इस यात्रा को “कवडी अट्टम” कहा जाता है, जिसमें भक्त कांटों और अग्निपरीक्षा जैसी कठिनाइयों के बावजूद बप्पा के लिए समर्पित रहते हैं।

    निष्कर्ष

    कटारगामा गणेश मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी अजब-गजब जगह है जो धर्म, संस्कृति, आस्था और मानवता के संगम का अद्भुत उदाहरण है। यहां की हर दीवार, हर आहट और हर मंत्र यह बताता है कि भगवान गणेश सिर्फ विघ्नहर्ता ही नहीं, संप्रदायों को जोड़ने वाले देवता भी हैं।

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