राज्य सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक, जननी सुरक्षा योजना इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रही है। गर्भवती महिलाओं के लिए जीवनरेखा मानी जाने वाली इस योजना के तहत प्रसव के बाद महिलाओं को निर्धारित सहायता राशि प्रदान की जाती है। लेकिन तीन महीनों से राज्य में योजना की राशि का भुगतान ठप पड़ा हुआ है, जिससे प्रदेशभर की लगभग 50 हजार महिलाएं परेशान हैं और सहायता राशि का इंतजार कर रही हैं।
नियमों के मुताबिक देरी की वजह क्या?
योजना के नियमों के अनुसार, प्रसव के सात दिनों के भीतर महिलाओं के खाते में सहायता राशि का भुगतान हो जाना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार द्वारा घोषित इस व्यवस्था को लागू करने में लापरवाही साफ देखी जा रही है। पिछले तीन महीनों से इस योजना के भुगतान में देरी हो रही है, जिसके कारण गर्भवती महिलाएं अपने आवश्यक खर्चों के लिए संघर्ष कर रही हैं। योजना का उद्देश्य था कि महिलाएं प्रसव के बाद आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकें, ताकि उनके पास जरूरी संसाधन हो, लेकिन यह उद्देश्य अब सवालों के घेरे में है।
रायपुर जिले में 2200 महिलाएं परेशान
रायपुर जिले की बात करें तो यहां तीन महीनों में करीब 6200 प्रसव हुए हैं, जिनमें से 2200 महिलाएं बैंकों और अस्पतालों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं। इन महिलाओं को न तो सहायता राशि मिली है और न ही किसी अधिकारी से स्पष्ट जवाब मिल पा रहा है। अनेक महिलाएं शिकायत कर चुकी हैं कि उन्होंने बार-बार अस्पताल और बैंक का चक्कर लगाया, लेकिन वहां से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला।
महिलाओं के लिए भारी संकट
इस योजना का उद्देश्य उन महिलाओं को मदद पहुंचाना था, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और प्रसव के दौरान उन्हें किसी प्रकार की वित्तीय समस्या का सामना न करना पड़े। लेकिन इस देरी के कारण कई महिलाओं को दवाइयों, पोस्ट-प्रसव देखभाल और बच्चों के लिए जरूरी सामान खरीदने में दिक्कतें आ रही हैं। इसने योजना के उद्देश्य को पूरी तरह से पंगु बना दिया है।
अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल
कई महिलाओं का आरोप है कि अस्पतालों और बैंकों में अधिकारियों की लापरवाही के कारण उन्हें अपनी राशि समय पर नहीं मिल पा रही। वहीं, कुछ महिलाओं का कहना है कि बैंक के कर्मचारियों ने उन्हें यह जानकारी दी है कि सरकारी प्रशासन से कोई आदेश नहीं आया है, इसलिए उनके खाते में भुगतान नहीं हो सकता। इस देरी ने उन महिलाओं को भी निराश किया है, जो सरकार के इस उपहार का सही समय पर लाभ लेना चाहती थीं।
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