एक बेहतर भविष्य की तलाश में विदेश जाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए यह खबर सावधान करने वाली है। तेलंगाना से लेकर म्यांमार तक फैले एक अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड रैकेट ने दर्जनों भारतीय युवाओं को अपना शिकार बनाया है। उन्हें डाटा एंट्री जैसी नौकरी का झांसा देकर म्यांमार बुलाया गया और जबरन साइबर ठगी करवाने वाले गिरोहों में धकेल दिया गया। यह सिर्फ धोखा नहीं, आधुनिक गुलामी की एक साजिश है।
तेलंगाना से म्यांमार तक फैला साइबर फ्रॉड जालम्यांमार के KK2 पार्क में फंसे दर्जनों भारतीय युवकों ने एक SOS संदेश भेजकर मदद की गुहार लगाई है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, ये लोग हैदराबाद, करीमनगर और अन्य इलाकों से हैं। युवकों को वादा किया गया था कि उन्हें डाटा एंट्री या कस्टमर सपोर्ट जैसी वैध नौकरी दी जाएगी, लेकिन म्यांमार पहुंचने पर पासपोर्ट जब्त कर लिया गया और उन्हें ऑनलाइन ठगी करने की ट्रेनिंग दी गई।
पीटाई, धमकी और जबरन साइबर अपराधएक फंसे हुए युवक ने बताया,
"हमने जब 20 जून को विरोध किया, तो 200 से ज्यादा सिक्योरिटी गार्ड्स ने हमें पीटा। जो वीडियो बना रहे थे, उनके फोन तोड़ दिए गए और कुछ लोगों को अंधेरे कमरों में बंद कर दिया गया।"
वह आगे बताता है कि वहां श्रीलंका, नेपाल और अन्य देशों के नागरिक भी फंसे हुए हैं। सभी से जबरन फर्जी वेबसाइट, इन्वेस्टमेंट स्कीम और डेटिंग ऐप के जरिए लोगों को ठगने का काम करवाया जाता है।
KK2 पार्क: एक नया साइबर क्राइम हबम्यांमार के Myawaddy जिले में स्थित KK2 पार्क अब साइबर ठगी का अड्डा बन चुका है, जहां से भारत, नेपाल, श्रीलंका जैसे देशों के युवाओं को नियंत्रित किया जा रहा है। विरोध करने पर:
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इलेक्ट्रिक शॉक
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शारीरिक प्रताड़ना
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मारने की धमकियां
जैसी सजा दी जाती है।
कौन है इस गिरोह के पीछे?इस फ्रॉड रैकेट में राजशेखर श्याम राव, जो तेलंगाना से है, का नाम सामने आया है। वह भारत में पहले भी साइबर फ्रॉड मामलों में आरोपी रह चुका है। वहीं गुजरात का हितेश सोमैया नामक व्यक्ति फरवरी 2025 में करीमनगर पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, जो इसी गिरोह से जुड़ा था।
भारतीय दूतावास का क्या कहना है?भारतीय दूतावास ने अभी तक कोई नया आधिकारिक SOS कॉल स्वीकार नहीं किया है, लेकिन सोशल मीडिया और परिवारों की ओर से लगातार मदद की मांग की जा रही है।
ऐसे बचें इस साइबर रैकेट से:1. विदेशी नौकरी का ऑफर मिलने पर यह जांचें:
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क्या कंपनी की वेबसाइट असली है?
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क्या आपको वर्क वीजा और जॉब लेटर दिया गया है?
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क्या कंपनी का नाम भारत सरकार के emigrate.gov.in पोर्टल पर रजिस्टर्ड है?
2. इन संकेतों को नजरअंदाज न करें:
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सोशल मीडिया या वॉट्सऐप पर अचानक आया “वर्क फ्रॉम होम” या “डाटा एंट्री” जॉब ऑफर
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पासपोर्ट, आधार या बैंक डिटेल देने की मांग
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टिकट, वीजा और होटल बुकिंग की वेरिफिकेशन में टाल-मटोल
3. तुरंत करें ये काम:
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अगर कोई एजेंसी विदेश भेजने की बात करे, तो उसी राज्य के पुलिस साइबर सेल से पुष्टि करें।
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विदेश जाने से पहले मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर नाम और दस्तावेजों की जांच कराएं।
विदेशी नौकरी का सपना कभी भी आपकी जिंदगी को नरक बना सकता है, अगर सतर्कता नहीं बरती जाए। म्यांमार में फंसे भारतीय युवकों की दुर्दशा इस बात का संकेत है कि गैरकानूनी रूट और अनजानी एजेंसियों के जरिए विदेश जाना कितना खतरनाक हो सकता है।
अपने सपनों को सही रास्ते से पूरा करें और किसी भी ऐसे ऑफर को लेकर पूरी जांच-पड़ताल जरूर करें।
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