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What Is Golden Dome In Hindi: क्या है गोल्डन डोम?, अमेरिका की सुरक्षा के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने बनवाने का किया फैसला

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वॉशिंगटन। आप सभी ने इजरायल के आयरन डोम सिस्टम के बारे में तो सुना ही होगा। आयरन डोम मिसाइलों, ड्रोन और लड़ाकू विमानों को ध्वस्त करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम है। इजरायल का दावा है कि आयरन डोम से वो 90 फीसदी से ज्यादा हमलों को रोक देता है। अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अत्याधुनिक गोल्डन डोम एयर डिफेंस सिस्टम लाने का एलान किया है। ट्रंप ने कहा है कि 2029 में अमेरिका का राष्ट्रपति पद छोड़ने से पहले गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह तैनात कर दिया जाएगा। ट्रंप ने दावा किया है कि अगर अमेरिका पर अंतरिक्ष के जरिए भी मिसाइल से हमला किया जाएगा, तो गोल्डन डोम एयर डिफेंस सिस्टम उसे भी नष्ट कर देगा।

इजरायल का आयरन डोम कम गति वाली मिसाइलों वगैरा को रोकता है। साथ ही इसके एयर डिफेंस वाले रॉकेट कम दूरी तक ही कारगर होते हैं। जबकि, अमेरिका का गोल्डन डोम इससे काफी अलग होने वाला है। इजरायल का क्षेत्रफल छोटा है। जबकि, अमेरिका का क्षेत्रफल बहुत ज्यादा है। ऐसे में अमेरिका के गोल्डन डोम एयर डिफेंस सिस्टम के रॉकेट लंबी दूरी तक मार करने वाले बनाए जाएंगे। साथ ही अंतरिक्ष से आने वाली मिसाइलों को नष्ट करने के लिए भी गोल्डन डोम के रॉकेट ज्यादा दूरी वाले होंगे। इजरायल पर हमास रॉकेटों से हमले करता है। ये रॉकेट छोटे होते हैं। जबकि, अमेरिका को रूस और चीन की मिसाइलों से खतरा है। रूस और चीन के पास इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। ये मिसाइलें बड़ी और हमास के रॉकेट से ज्यादा ताकतवर होती हैं। रूस और चीन की मिसाइलों में हमास के रॉकेट से ज्यादा विस्फोटक भी होता है। साथ ही इनसे परमाणु हथियार भी दागे जा सकते हैं।

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रूस और चीन हाइपरसोनिक मिसाइलें भी बना रहे हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलों को हवा में ही मार गिराने के लिए ऐसा सिस्टम चाहिए, जो अंतरिक्ष में स्थापित हो। माना जा रहा है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जिस गोल्डन डोम मिसाइल डिफेंस सिस्टम का एलान किया है, उसका एक हिस्सा अंतरिक्ष में भी स्थापित होगा। ऐसे में रूस और चीन के साथ अब अमेरिका की अंतरिक्ष में भी टक्कर हो सकती है। एनपीआर की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका अंतरिक्ष में ऐसे सैटेलाइट स्थापित करेगा, जो रूस और चीन की तरफ से मिसाइल दागे जाने के साथ ही उनको ट्रैक कर लेगा। हालांकि, इसके लिए अमेरिका को इन सैटेलाइट को अंतरिक्ष में ऐसी कक्षा में रखना होगा, जो वक्त रहते किसी भी मिसाइल के दागे जाने और उसके उड़ान पथ की सटीक जानकारी दें। इसके लिए अमेरिका को अंतरिक्ष में 16000 सैटेलाइट रखने होंगे। ऐसे में इस योजना पर काफी पैसा भी खर्च होगा।

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