News India Live, Digital Desk : Yogini Ekadashi 2025 : हर साल आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली योगिनी एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को न केवल सभी पापों से मुक्ति मिलती है, बल्कि मृत्यु के बाद स्वर्ग लोक की भी प्राप्ति होती है। अगर आप धन संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं या पितृ दोष से मुक्ति चाहते हैं, तो यह व्रत आपके लिए विशेष फलदायी हो सकता है।
योगिनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
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तिथि: 5 जुलाई, 2025, शनिवार को योगिनी एकादशी मनाई जाएगी।
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एकादशी तिथि का प्रारंभ: 4 जुलाई, 2025 की रात 10 बजकर 53 मिनट से।
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एकादशी तिथि का समापन: 5 जुलाई, 2025 की रात 11 बजकर 20 मिनट पर।
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पारण (व्रत तोड़ने) का समय: 6 जुलाई, 2025 को सुबह 05 बजकर 20 मिनट से सुबह 08 बजकर 08 मिनट तक।
योगिनी एकादशी का महत्व
मान्यता है कि योगिनी एकादशी का व्रत अष्टम कुल का उद्धार कर मोक्ष प्रदान करता है। इसे ‘कष्ट कोठ की बीमारी’ को दूर करने वाली एकादशी भी कहते हैं, जिसका अर्थ है यह शरीर से जुड़ी कई व्याधियों को शांत कर सकती है। जो लोग सच्ची श्रद्धा और नियमानुसार यह व्रत करते हैं, उन्हें श्री हरि विष्णु और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है, जिससे घर में सुख-समृद्धि आती है और पूर्वजों को भी शांति मिलती है।
योगिनी एकादशी व्रत में क्या करें? (Dos)
व्रत का संकल्प: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु का स्मरण करते हुए हाथ में जल, फूल, और चावल लेकर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें। उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं। गंगाजल, तुलसी दल, पीली मिठाई, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
कथा श्रवण: भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें और योगिनी एकादशी की व्रत कथा को पढ़ें या सुनें।
जागरण और भजन: रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन में समय बिताएं।
पारण विधि: द्वादशी (एकादशी के अगले दिन) को शुभ मुहूर्त में ब्राह्मण को भोजन कराकर दान दें और उसके बाद ही स्वयं व्रत का पारण करें।
धन-दौलत और आशीर्वाद पाने के उपाय (Remedies)
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केले के पेड़ की पूजा: एकादशी के दिन भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय माने जाने वाले केले के पेड़ की पूजा करें। पेड़ को जल दें और शुद्ध घी का दीपक जलाकर आरती करें। यह आर्थिक परेशानियों को दूर करता है।
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तुलसी की पूजा: एकादशी के दिन तुलसी के पौधे में जल अर्पित करें और उसके सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए तुलसी जी की 11 या 21 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
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भोलेनाथ को प्रसाद: भोलेनाथ को भांग, धतूरा और बेलपत्र के साथ केसर, दूध और चीनी मिलाकर बनी मिठाई या खीर अर्पित करें।
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पितरों को प्रसन्न करें: किसी नदी या जलाशय में काले तिल और चावल मिलाकर पितरों का तर्पण करें। यह पितृदोष को कम करने में मदद करता है।
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शत्रुओं से मुक्ति: विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। यह आपको हर संकट से बचाता है।
योगिनी एकादशी व्रत में क्या न करें? (Don’ts)
अनाज का सेवन: इस दिन चावल या किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित होता है। फलाहार पर रहें।
तामसिक भोजन: प्याज, लहसुन, मांस और शराब का सेवन बिल्कुल न करें।
बुरे कर्म: जुआ खेलना, किसी की निंदा करना, झूठ बोलना या चोरी करना पाप माना जाता है।
क्रोध और वाद-विवाद: मन को शांत रखें। किसी से झगड़ा या विवाद न करें।
बाल और नाखून: इस दिन बाल और नाखून काटने से बचें।
बड़ों का अनादर: घर के बड़े-बुजुर्गों या ब्राह्मणों का अनादर न करें।
योगिनी एकादशी का यह व्रत निष्ठा और श्रद्धा से करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
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