भारत के सभी छोटे-बड़े शहरों में लोग अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देकर मोटी कमाई कर रहे हैं। आम लोग ही नहीं, बल्कि बड़ी हस्तियां भी अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देकर पैसा कमा रही हैं, लेकिन प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले घर के मालिकों को कुछ ज़रूरी कानूनों के बारे में जानना ज़रूरी है।आज हम 1963 के किरायेदारी अधिनियम के बारे में जानेंगे, जिसके तहत किरायेदार मकान मालिक की संपत्ति पर कब्जा कर सकता है।सीमा अधिनियम 1963 के तहत, यदि किसी संपत्ति का मालिक 12 वर्षों तक अपने स्वामित्व का दावा करने में विफल रहता है, तो किरायेदार संभावित रूप से संपत्ति के स्वामित्व का दावा कर सकता है, बशर्ते किरायेदार इन 12 वर्षों तक संपत्ति पर कब्जा बनाए रखे।इसे प्रतिकूल कब्ज़ा कहते हैं। किरायेदार प्रतिकूल कब्ज़े के ज़रिए स्वामित्व का दावा तब करते हैं जब पट्टा समाप्त हो जाता है या जब मकान मालिक किराये के भुगतान से संबंधित किराये के समझौते के प्रावधानों का उल्लंघन करता है।भारत में प्रतिकूल कब्ज़ा कानून क्या है? अगर कोई संपत्ति मालिक 12 साल की अवधि के भीतर किरायेदार को बेदखल करने के लिए कदम नहीं उठाता है, तो उसे अपने मालिकाना हक खोने का खतरा होता है। लगातार कब्ज़ा ज़रूरी है, और ज़रूरी अवधि स्वामित्व के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकती है।भारत में, एक किरायेदार 12 वर्षों तक लगातार निवास करने के बाद किसी संपत्ति का स्वामित्व प्राप्त कर सकता है।1963 के परिसीमा अधिनियम के अनुसार, निजी संपत्ति पर स्वामित्व का दावा करने की समय सीमा 12 वर्ष है, जबकि सार्वजनिक या सरकारी संपत्ति के लिए यह 30 वर्ष तक है।(अस्वीकरण: यदि आपके पास कोई विशिष्ट मामला है, तो कानूनी विशेषज्ञ (वकील) से परामर्श करना उचित है। यहां दी गई जानकारी केवल अदालती फैसलों और लेखों पर आधारित है। यदि आप किसी भी मामले के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप एक उपयुक्त वकील से परामर्श कर सकते हैं।) (सभी छवि क्रेडिट- कैनवा)
You may also like
जेल में शुरू हुई थी इस क्रिकेटर` की Love Story, सजा काटते-काटते वकील को ही पटा लिया था
सूचना का अधिकार सशक्त हथियार, जनजागरूकता जरूरी : पीएन द्विवेदी
आईएमए ब्लड बैंक के सहयोग से मंडल रेल चिकित्सालय में लगा रक्तदान शिविर, 35 व्यक्तियों ने किया रक्तदान
पिता ने कहा कमाकर दिखाओ YouTube पर` सीखी तरकीब… तमंचा चाकू लेकर साइकिल से लूटने पहुंचा SBI बैंक
राशिफल 2 अक्टूबर 2025: सफलता के लिए अनुशासन और संतुलन का महत्व