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युनुस की नीयत पर संदेह: क्या यह सचमुच हिंदुओं की चिंता है या वोटबैंक की सियासत?

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ढाका : बांग्लादेश में इस समय राजनीतिक अस्थिरता का माहौल है। मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की मांग हो रही है। मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि वह इस्तीफा नहीं देंगे, लेकिन बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और अपराध को लेकर लोग गुस्से में हैं। इस्तीफे की बातचीत के दौरान यूनुस ने हिंदुओं को इसी तरह याद किया। उन्होंने हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को लेकर बड़ी घोषणा की है।

यूनुस ने सोमवार को अमेरिकी धार्मिक आयोग के अध्यक्ष स्टीफन श्नेक से मुलाकात की। इस यात्रा के दौरान यूनुस ने हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का आश्वासन दिया। यूनुस ने कहा, “बांग्लादेश में करीब 17 करोड़ लोग रहते हैं। मेरा प्रयास सभी समुदायों के लोगों को एक साथ लाना और उनकी सुरक्षा करना होगा। मैं किसी भी अल्पसंख्यक पर अत्याचार नहीं होने दूंगा।” राजनीतिक विशेषज्ञ यूनुस के बयान पर संदेह व्यक्त कर रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या यूनुस को वाकई हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की चिंता है या फिर यह सिर्फ अपनी कुर्सी बचाने की चाल है।

 

लेकिन कहा जा रहा है कि इस घोषणा के पीछे एक अलग ही उद्देश्य छिपा है। क्योंकि पिछले कुछ महीनों में बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर लगातार हमले हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में हिंदुओं पर अत्याचार की एक हजार से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। साथ ही, यूनुस सरकार इन सभी घटनाओं को रोकने और उन पर कार्रवाई करने में विफल रही है। इन हमलों के पीछे कट्टरपंथी इस्लामी समूहों का हाथ बताया जा रहा है। यूनुस सरकार को वैश्विक स्तर पर भी आलोचना का सामना करना पड़ा है।

इसके अलावा भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर भी नाराजगी जताई है। यूनुस के अधिकार पर सवाल उठाया जा रहा है। उनके इस्तीफे की भी मांग की जा रही है। इस बीच यूनुस ने हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा ऐलान किया है। इससे संदेह पैदा होता है कि यूनुस ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए यह चाल चली। विपक्ष और सेना के दबाव के कारण यूनुस के लिए सत्ता में बने रहना मुश्किल हो रहा है, जिसके कारण उन्होंने हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, यूनुस का यह रुख उनकी छवि सुधारने का एक प्रयास है। सत्ता से बाहर होने के डर से उन्होंने हिंदुओं की सुरक्षा का मुद्दा उठाया है। इस प्रकार यूनुस का दोहरा चेहरा सामने आ गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यूनुस के बयान से साफ पता चलता है कि यह स्थिति राजनीतिक आवश्यकता के चलते पैदा की गई है।

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