ओट्टावा: कनाडा के प्रमुख विपक्षी कंजर्वेटिव नेता पियरे पोलीवरे दीपावली पर लिखी गई सोशल मीडिया पोस्ट के चलते निशाने पर आ गए हैं। आलोचकों ने पोलीवरे पर खालिस्तान समर्थक को खुश करने के लिए उनकी चापलूसी करने का आरोप लगाया है। पोलीवरे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, कनाडा भर में सिख, हिंदू, जैन और बौद्ध बंदी छोड़ दिवस और दिवाली मना रहे हैं- प्रकाश, स्वतंत्रता और आशा का त्योहार। यह दिन सभी के लिए शांति, न्याय और समृद्धि का संदेश लेकर आए।
पोस्ट के आखिर में उन्होंने लिखा, 'दिवाली और बंदी छोड़ दिवस की बधाई।' पोलीवरे की सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत आलोचना के घेरे में आ गई। आलोचकों ने कहा कि पोलीवरे ने अपने शब्दों से अलगवादी समूहों की बातों का प्रतिनिधित्व किया। पोलीवरे की आलोचना कोई बाहरी नहीं बल्कि उनके अपने ही देश के लोग कर रहे हैं।
पोलीवरे की हो रही आलोचना
कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने बंदी छोड़ दिवस का जिक्र करने के लिए आलोचना की और कहा कि जो राजनेता इसका उल्लेख करते हैं, वे या तो खालिस्तानियों से सलाह ले रहे हैं या अपनी पार्टी को फंड करने के लिए ड्रग्स का पैसा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया भर में सिख दिवाली मनाते हैं और बताया कि बंदी छोड़ दिवस दरअसल हिंदुओं और सिखों में फूट डालने के लिए खालिस्तानियों द्वारा फरवरी से अलग किया गया एक रैंडम सिख दिवस है।
कंजर्वेटिव नेता पोलीवरे पर पहली बार नहीं है, जब हिंदुओं के त्योहार को लेकर विवादों में आए हैं। पिछले साल हिंदू-कनाडाई समुदाय ने पोलीवरे पर हिंदुओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था, जब कंजर्वेटिव नेता ने भारत के साथ राजनीतिक तनाव के बीच दिवाली कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति रद्द कर दी थी। हालांकि, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी बंदी छोड़ दिवस के लिए शुभकामनाएं भेजीं, लेकिन अपना संदेश सिर्फ सिख समुदाय के लिए रका। उन्होंने दिवाली के बारे में बधाई देते हुए अलग से पोस्ट किया।
पोस्ट के आखिर में उन्होंने लिखा, 'दिवाली और बंदी छोड़ दिवस की बधाई।' पोलीवरे की सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत आलोचना के घेरे में आ गई। आलोचकों ने कहा कि पोलीवरे ने अपने शब्दों से अलगवादी समूहों की बातों का प्रतिनिधित्व किया। पोलीवरे की आलोचना कोई बाहरी नहीं बल्कि उनके अपने ही देश के लोग कर रहे हैं।
पोलीवरे की हो रही आलोचना
कनाडाई पत्रकार डैनियल बोर्डमैन ने बंदी छोड़ दिवस का जिक्र करने के लिए आलोचना की और कहा कि जो राजनेता इसका उल्लेख करते हैं, वे या तो खालिस्तानियों से सलाह ले रहे हैं या अपनी पार्टी को फंड करने के लिए ड्रग्स का पैसा ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत और दुनिया भर में सिख दिवाली मनाते हैं और बताया कि बंदी छोड़ दिवस दरअसल हिंदुओं और सिखों में फूट डालने के लिए खालिस्तानियों द्वारा फरवरी से अलग किया गया एक रैंडम सिख दिवस है।
कंजर्वेटिव नेता पोलीवरे पर पहली बार नहीं है, जब हिंदुओं के त्योहार को लेकर विवादों में आए हैं। पिछले साल हिंदू-कनाडाई समुदाय ने पोलीवरे पर हिंदुओं के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था, जब कंजर्वेटिव नेता ने भारत के साथ राजनीतिक तनाव के बीच दिवाली कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति रद्द कर दी थी। हालांकि, प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने भी बंदी छोड़ दिवस के लिए शुभकामनाएं भेजीं, लेकिन अपना संदेश सिर्फ सिख समुदाय के लिए रका। उन्होंने दिवाली के बारे में बधाई देते हुए अलग से पोस्ट किया।
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