वॉशिंगटन : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H1-B वीजा को लेकर बड़ा ऐलान किया है। H1-B वीजा के लिए आवेदन शुल्क को बढ़ाकर 100000 डॉलर यानी लगभग 84 लाख रुपये कर दिया गया है। इस घोषणा के बाद अमेरिका में काम कर रहे भारतीयों में हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका में H1B वीजा धारकों की सबसे बड़ी संख्या भारतीयों की है, जिन्हें अब अपनी नौकरी पर खतरा नजर आ रहा है। असमंजस की स्थिति और बढ़ गई जब अमेरिकी दिग्गज कंपनियों ने कर्मचारियों को 20 सितम्बर तक हर हाल में अमेरिका वापस लौटने की सलाह दी। इस बीच वॉइट हाउस ने बयान जारी कर स्थिति को साफ किया है।
वॉइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने शनिवार को स्पष्ट किया है कि हाल ही में घोषित 10000 डॉलर का एच1-बी वीजा शुल्क केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा। उन्होंने साफ कहा कि यह वार्षिक शुल्क नहीं है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप की एच1-बी वीजा में व्यापक बदलाव की योजना ने भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों में यह आशंका पैदा कर दी है कि अमेरिका से बाहर रहने वाले वीजा होल्डर को वापस लौटने के लिए तत्काल समय सीमा का सामना करना पड़ सकता है।
वॉइट हाउस ने आशंकाओं का दिया जवाब
इन आशंकाओं के बाद वॉइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने स्थिति को 3 पॉइंट में स्पष्ट किया।
1- यह वार्षिक शुल्क नहीं है। यह एक बार लिया जाने वाला शुल्क है जो केवल आवेदन पर लागू होता है।
2- जिन लोगों के पास पहले से ही H1-B वीजा है और जो इस समय देश से बाहर हैं, उनसे दोबारा प्रवेश के लिए 100000 डॉलर नहीं लिए जाएंगे। H1-B वीजा धारक देश से बाहर जा सकते हैं और सामान्य रूप से उसी सीमा तक पुनः प्रवेश कर सकते हैं। कल की घोषणा से उनकी जो भी क्षमता है, उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
3- यह केवल नए वीजा पर लागू होता है, नवीनीकरण पर नहीं, और मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।
कंपनियों की एडवाइजरी
वॉइट हाउस की सफाई उन खबरों के बीच आई है, जिनमें कहा गया है कि कंपनियों ने भारत दौरे पर आए कर्मचारियों से शुल्क से बचने के लिए जल्दी वापस लौटने को कहा है। माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसे दिग्गजों ने अपने कर्मचारियों को इस बारे में सूचित किया था। इस बीच अमेरिकी प्रशासन एक वरिष्ठ अधिकारी ने ANI को बताया कि 'जो लोग भारत आ रहे हैं, जा रहे हैं या भारत की यात्रा कर रहे हैं, उन्हें रविवार से पहले जल्दी वापस आने या 100000 डॉलर फीस देनी की जरूरत नहीं है।'
वॉइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लेविट ने शनिवार को स्पष्ट किया है कि हाल ही में घोषित 10000 डॉलर का एच1-बी वीजा शुल्क केवल नए वीजा आवेदनों पर लागू होगा। उन्होंने साफ कहा कि यह वार्षिक शुल्क नहीं है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप की एच1-बी वीजा में व्यापक बदलाव की योजना ने भारतीय आईटी पेशेवरों और कंपनियों में यह आशंका पैदा कर दी है कि अमेरिका से बाहर रहने वाले वीजा होल्डर को वापस लौटने के लिए तत्काल समय सीमा का सामना करना पड़ सकता है।
वॉइट हाउस ने आशंकाओं का दिया जवाब
इन आशंकाओं के बाद वॉइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी ने स्थिति को 3 पॉइंट में स्पष्ट किया।
1- यह वार्षिक शुल्क नहीं है। यह एक बार लिया जाने वाला शुल्क है जो केवल आवेदन पर लागू होता है।
2- जिन लोगों के पास पहले से ही H1-B वीजा है और जो इस समय देश से बाहर हैं, उनसे दोबारा प्रवेश के लिए 100000 डॉलर नहीं लिए जाएंगे। H1-B वीजा धारक देश से बाहर जा सकते हैं और सामान्य रूप से उसी सीमा तक पुनः प्रवेश कर सकते हैं। कल की घोषणा से उनकी जो भी क्षमता है, उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
3- यह केवल नए वीजा पर लागू होता है, नवीनीकरण पर नहीं, और मौजूदा वीजा धारकों पर नहीं।
कंपनियों की एडवाइजरी
वॉइट हाउस की सफाई उन खबरों के बीच आई है, जिनमें कहा गया है कि कंपनियों ने भारत दौरे पर आए कर्मचारियों से शुल्क से बचने के लिए जल्दी वापस लौटने को कहा है। माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसे दिग्गजों ने अपने कर्मचारियों को इस बारे में सूचित किया था। इस बीच अमेरिकी प्रशासन एक वरिष्ठ अधिकारी ने ANI को बताया कि 'जो लोग भारत आ रहे हैं, जा रहे हैं या भारत की यात्रा कर रहे हैं, उन्हें रविवार से पहले जल्दी वापस आने या 100000 डॉलर फीस देनी की जरूरत नहीं है।'
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