जकार्ता: इंडोनेशिया के एक अधिकारी ने इस महीने खुलासा किया है कि उनका देश चीनी J-10C लड़ाकू खरीदने का इरादा रखता है। उन्होंने कहा कि कम से कम 42 लड़ाकू विमान खरीदने की कोशिश हो रही है। इंडोनेशिया के अधिकारी के इस बयान ने कई डिफेंस एक्सपर्ट को चौंका दिया है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इंडोनेशिया पहले ही तुर्की से KAAN पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान, दक्षिण कोरिया से KF-21 बोरामे और अमेरिका से F-15EX ईगल II खरीदने में भी दिलचस्पी दिखा चुका है। इंडोनेशिया ने तो तुर्की से KAAN लड़ाकू विमान खरीदने के लिए समझौते पर दस्तखत भी कर दिए हैं।
इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या इंडोनेशिया सिर्फ समझौते कर रहा है या फिर वाकई वो कोई फाइटर जेट खरीदने वाला भी है? ऐसा इसलिए, क्योंकि उसके पास लड़ाकू विमानों की खरीददारी के लिए पहले से ही पैसे नहीं हैं। वहीं, जबकि उसका चीन के साथ पहले ही दक्षिण चीन सागर में विवाद चल रहा है, तो फिर चीनी लड़ाकू विमान खरीदना कितना समझदारी भरा फैसला है?
क्या इंडोनेशिया वाकई खरीदेगा चीनी लड़ाकू विमान?
इंडोनेशियाई वायु सेना पहले से ही लॉकहीड-मार्टिन F-16 मल्टी रोल फाइटर जेट इस्तेमाल कर रही है। इसके अलावा उसके पास रूसी सुखोई Su-27/30, दक्षिण कोरियाई KAI T-50 हल्के लड़ाकू विमान और पुराने BAE हॉक हल्के हमलावर विमान/प्रशिक्षक भी हैं। लेकिन ये सभी विमान अब पुराने हो चुके हैं और सरकार की कोशिश देश के लिए नये विमान खरीदने की है। इस बीच इंडोनेशिया, फ्रांस से भी 42 राफेल फाइटर जेट खरीद रहा है, जिसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने वाली है। इसीलिए सवाल ये भी हैं कि क्या वो चीनी और फ्रांसीसी लड़ाकू विमान एक साथ ऑपरेट कर पाएगा?
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी लड़ाकू विमानों को अगर इंडोनेशिया खरीदता है तो जियो-पॉलिटिकल स्थिति काफी जटिल हो जाएगा। ब्रेकिंग डिफेंस की एक रिपोर्ट में कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इंडोनेशिया का चीनी लड़ाकू विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखाना जियो-पॉलिटिकल समीकरण साधने की कोशिश लगती है। ऑस्ट्रेलिया स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) में रक्षा रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के वरिष्ठ विश्लेषक यूआन ग्राहम ने कहा, "राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो एक विदेशी साझेदारी से दूसरी विदेशी साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं, बिना किसी साफ रणनीति के। वो बहुपक्षीय गठबंधन का संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "एक बात ये भी हो सकती है कि वो अलग अलग घोषणाएं कर रहा है, ताकि वो बेहतर डील हासिल कर सके।"
चीनी लड़ाकू विमान खरीदने के पीछे चाल?
सिंगापुर के एस. राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ फेलो कॉलिन कोह ने ब्रेकिंग डिफेंस को बताया है कि इंडोनेशिया ऐसा चीन के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए भी कर रहा होगा। उन्होंने आगे कहा कि चीन से मजबूत राजनीतिक संबंध बनाने के अलावा उसकी कोशिश अपने रक्षा उपकरणों में विविधता लाने की भी कोशिश हो सकती है।
दरअसल, इंडोनेशिया एक 14 हजार द्वीपों वाला देश है और उसे कम से कम लड़ाकू विमानों के 10 स्क्वार्ड्रन चाहिए। लेकिन उसके पास बजट की समस्या है। इसीलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर वो अलग अलग फाइटर जेट खरीदता है, तो उसका ऑपरेशन संभालना उसके लिए मुसीबत बन जाएगी, क्योंकि हर फाइटर जेट के लिए अलग अलग मिसाइलें होती हैं, उनका अलग नेटवर्क इंटीग्रेशन होता है, तो क्या वो ऐसा कर पाएगा? ये एक बड़ा सवाल है, जिसपर पहले इंडोनेशिया के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
इसीलिए सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या इंडोनेशिया सिर्फ समझौते कर रहा है या फिर वाकई वो कोई फाइटर जेट खरीदने वाला भी है? ऐसा इसलिए, क्योंकि उसके पास लड़ाकू विमानों की खरीददारी के लिए पहले से ही पैसे नहीं हैं। वहीं, जबकि उसका चीन के साथ पहले ही दक्षिण चीन सागर में विवाद चल रहा है, तो फिर चीनी लड़ाकू विमान खरीदना कितना समझदारी भरा फैसला है?
क्या इंडोनेशिया वाकई खरीदेगा चीनी लड़ाकू विमान?
इंडोनेशियाई वायु सेना पहले से ही लॉकहीड-मार्टिन F-16 मल्टी रोल फाइटर जेट इस्तेमाल कर रही है। इसके अलावा उसके पास रूसी सुखोई Su-27/30, दक्षिण कोरियाई KAI T-50 हल्के लड़ाकू विमान और पुराने BAE हॉक हल्के हमलावर विमान/प्रशिक्षक भी हैं। लेकिन ये सभी विमान अब पुराने हो चुके हैं और सरकार की कोशिश देश के लिए नये विमान खरीदने की है। इस बीच इंडोनेशिया, फ्रांस से भी 42 राफेल फाइटर जेट खरीद रहा है, जिसकी डिलीवरी जल्द शुरू होने वाली है। इसीलिए सवाल ये भी हैं कि क्या वो चीनी और फ्रांसीसी लड़ाकू विमान एक साथ ऑपरेट कर पाएगा?
डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीनी लड़ाकू विमानों को अगर इंडोनेशिया खरीदता है तो जियो-पॉलिटिकल स्थिति काफी जटिल हो जाएगा। ब्रेकिंग डिफेंस की एक रिपोर्ट में कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स ने कहा है कि इंडोनेशिया का चीनी लड़ाकू विमान खरीदने में दिलचस्पी दिखाना जियो-पॉलिटिकल समीकरण साधने की कोशिश लगती है। ऑस्ट्रेलिया स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ASPI) में रक्षा रणनीति और राष्ट्रीय सुरक्षा के वरिष्ठ विश्लेषक यूआन ग्राहम ने कहा, "राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो एक विदेशी साझेदारी से दूसरी विदेशी साझेदारी की ओर बढ़ रहे हैं, बिना किसी साफ रणनीति के। वो बहुपक्षीय गठबंधन का संकेत देने की कोशिश कर रहे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "एक बात ये भी हो सकती है कि वो अलग अलग घोषणाएं कर रहा है, ताकि वो बेहतर डील हासिल कर सके।"
चीनी लड़ाकू विमान खरीदने के पीछे चाल?
सिंगापुर के एस. राजारत्नम स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ फेलो कॉलिन कोह ने ब्रेकिंग डिफेंस को बताया है कि इंडोनेशिया ऐसा चीन के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए भी कर रहा होगा। उन्होंने आगे कहा कि चीन से मजबूत राजनीतिक संबंध बनाने के अलावा उसकी कोशिश अपने रक्षा उपकरणों में विविधता लाने की भी कोशिश हो सकती है।
दरअसल, इंडोनेशिया एक 14 हजार द्वीपों वाला देश है और उसे कम से कम लड़ाकू विमानों के 10 स्क्वार्ड्रन चाहिए। लेकिन उसके पास बजट की समस्या है। इसीलिए एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर वो अलग अलग फाइटर जेट खरीदता है, तो उसका ऑपरेशन संभालना उसके लिए मुसीबत बन जाएगी, क्योंकि हर फाइटर जेट के लिए अलग अलग मिसाइलें होती हैं, उनका अलग नेटवर्क इंटीग्रेशन होता है, तो क्या वो ऐसा कर पाएगा? ये एक बड़ा सवाल है, जिसपर पहले इंडोनेशिया के अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
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