बेंगलुरु : कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार ने राज्य में मिलने वाले 5 किलो चावल के कोटे को बदलकर इंदिरा फूड किट देने का फैसला किया है। इस किट में अनाज, नमक और खाने का तेल शामिल है। इस फैसले के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर तंज कसा है। बीजेपी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चावल ही एकमात्र गारंटी है। कांग्रेस ने 2023 विधानसभा चुनाव में पांच बड़े चुनावी वादे किए थे, जिनमें से एक वादा था गरीब परिवारों को 10 किलो मुफ्त चावल देना।
कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में हुआ फैसला
कर्नाटक कैबिनेट की बैठक में गुरुवार को राज्य को मिलने वाले 5 किलो चावल में कुछ बदलाव करने का निर्णय लिया गया। जिसके तहत अब गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्डधारकों को चावल की जगह एक किट दिया जाएगा। इस किट में एक-एक किलो हरी मूंग, अरहर दाल, चीनी, नमक और खाने का तेल होगा। सरकार ने बताया कि इस पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम में चावल का दुरुपयोग बताया है। सरकार का कहना है कि कर्नाटक के एक सर्वे में लाभार्थियों ने चावल के बजाय दाल, चीनी और खाने के तेल जैसी चीजों को ज्यादा पसंद किया है। वहीं, बीजेपी ने इस फैसले को 'अन्ना भाग्य' योजना की विफलता बताया है। बीजेपी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करके बताया कि कांग्रेस का पांच किलो चावल का वादा सिर्फ एक छलावा था।
सरकार बीपीएल परिवारों को हर महीने 170 रुपये दे रही
देशभर में कहीं भी गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्डधारक नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत पांच किलो चावल या अनाज पाने के हकदार होते हैं। लेकिन अगर कोई राज्य अपने बीपीएल कार्डधारकों को अतिरिक्त अनाज देना चाहता है, तो उसे इसका खर्च खुद उठाना पड़ता है। सत्ता में आने के तुरंत बाद सिद्धारमैया सरकार को एफसीआई की कीमत पर चावल खरीदने में दिक्कतें आने लगीं। तेलंगाना और छत्तीसगढ़ से जो चावल मिल रहा था, वह काफी महंगा था। जिसके बाद से राज्य सरकार बीपीएल परिवारों को उनके पांच किलो चावल के बदले हर महीने 170 रुपये दे रही है।
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