साओ पाउलो: अमेरिकी टैरिफ से दुनिया में मचे आतंक के बीच आज ब्रिक्स शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन को वर्चुअली आयोजित किया गया। इस बैठक को ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा ने आयोजित किया था, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हिस्सा लिया। बड़ी बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक से किनारा किया और भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मोर्चा संभाला। यह बैठक हाल में ही चीन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के बाद हुई है।
ब्राजील ने ट्रंप पर साधा सीधा निशाना
ब्रिक्स बैठक की अध्यक्षता करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने कहा कि विकासशील देशों के ब्रिक्स समूह के बीच अधिक व्यापार और वित्तीय एकीकरण संरक्षणवाद के प्रभावों को कम करने में मदद करेगा। ब्रिक्स नेताओं की इस वर्चुअल बैठक में लूला ने अमेरिका का सीधे तौर पर जिक्र किए बिना कहा, "टैरिफ ब्लैकमेल को बाजारों पर कब्जा करने और घरेलू मुद्दों में दखलंदाजी करने के एक हथियार के रूप में सामान्य माना जा रहा है।"
अमेरिकी टैरिफ से BRICS सदस्य सबसे ज्यादा प्रभावित
ब्रिक्स के सदस्य ब्राजील और भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर नए प्रतिबंध लगने की आशंका जताई जा रही है। अन्य सदस्यों चीन और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी अमेरिकी प्रशासन मोर्चा खोले हुए है। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों पर अत्याचार का आरोप लगाया है। वहीं, इस देश की सरकार पर रूस का मददगार होने का दावा किया है।
ब्राजील पर क्यों भड़के हुए हैं ट्रंप
लूला ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा ब्रिक्स के सामने उठाएंगे। अधिकांश ब्राजीलियाई निर्यातों पर 50% टैरिफ, ट्रंप के सहयोगी और पूर्व ब्राजीलियाई राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों से जुड़ा है। वर्तमान में बोल्सोनारो के खिलाफ कथित तौर पर तख्तापलट करने की साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चल रहा है। वहीं, भारत पर रूसी तेल खरीद के कारण ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% तक कर दिया था।
BRICS बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल
ब्राजील सरकार ने एक अलग बयान में कहा, डेढ़ घंटे तक चली इस वर्चुअल बैठक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया के नेता शामिल हुए। बयान में कहा गया है कि समूह ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एकतरफा टैरिफ लगाने से पैदा हुई जोखिमों पर चर्चा की और ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता, समन्वय और व्यापार के तंत्र को मजबूत करने के तरीकों की खोज की।
ब्राजील ने ट्रंप पर साधा सीधा निशाना
ब्रिक्स बैठक की अध्यक्षता करते हुए ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा ने कहा कि विकासशील देशों के ब्रिक्स समूह के बीच अधिक व्यापार और वित्तीय एकीकरण संरक्षणवाद के प्रभावों को कम करने में मदद करेगा। ब्रिक्स नेताओं की इस वर्चुअल बैठक में लूला ने अमेरिका का सीधे तौर पर जिक्र किए बिना कहा, "टैरिफ ब्लैकमेल को बाजारों पर कब्जा करने और घरेलू मुद्दों में दखलंदाजी करने के एक हथियार के रूप में सामान्य माना जा रहा है।"
अमेरिकी टैरिफ से BRICS सदस्य सबसे ज्यादा प्रभावित
ब्रिक्स के सदस्य ब्राजील और भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में शामिल हैं। वहीं, यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर नए प्रतिबंध लगने की आशंका जताई जा रही है। अन्य सदस्यों चीन और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भी अमेरिकी प्रशासन मोर्चा खोले हुए है। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों पर अत्याचार का आरोप लगाया है। वहीं, इस देश की सरकार पर रूस का मददगार होने का दावा किया है।
ब्राजील पर क्यों भड़के हुए हैं ट्रंप
लूला ने पिछले महीने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह ट्रंप के टैरिफ का मुद्दा ब्रिक्स के सामने उठाएंगे। अधिकांश ब्राजीलियाई निर्यातों पर 50% टैरिफ, ट्रंप के सहयोगी और पूर्व ब्राजीलियाई राष्ट्रपति जेयर बोल्सोनारो के खिलाफ सरकार की कार्रवाइयों से जुड़ा है। वर्तमान में बोल्सोनारो के खिलाफ कथित तौर पर तख्तापलट करने की साजिश रचने के आरोप में मुकदमा चल रहा है। वहीं, भारत पर रूसी तेल खरीद के कारण ट्रंप प्रशासन ने भारतीय आयात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% तक कर दिया था।
BRICS बैठक में कौन-कौन हुआ शामिल
ब्राजील सरकार ने एक अलग बयान में कहा, डेढ़ घंटे तक चली इस वर्चुअल बैठक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इंडोनेशिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया के नेता शामिल हुए। बयान में कहा गया है कि समूह ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एकतरफा टैरिफ लगाने से पैदा हुई जोखिमों पर चर्चा की और ब्रिक्स देशों के बीच एकजुटता, समन्वय और व्यापार के तंत्र को मजबूत करने के तरीकों की खोज की।
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