गयाजी: बिहार के गया शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIET पंचायती अखाड़ा GAYA) में सत्र 2023-25 में डीएलएड टीचर ट्रेनिंग बैच की फेयरवेल पार्टी हुई। भोजपुरी गानों पर ट्रेनी टीचरों की मस्ती देखने को मिली। इस दौरान DIET में ट्रेनिंग दे रहे टीचरों ने भी खूब मस्ती की। दरअसल, फेयरवेल पार्टी में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजन किया गया था। प्रशिक्षण पूरी करने वाले ये टीचर विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाएंगे। ये इनकी करियर की शुरुआत है।
DIET क्या है और क्यों जरूरी है ट्रेनिंगगया में शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIET) भारत में जिला स्तर पर स्थापित एक सरकारी शिक्षक शिक्षा संस्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है, जिसके लिए ये शिक्षकों और शैक्षिक प्रशासकों को प्रशिक्षण, संसाधन और सहायता प्रदान करता है। DIET, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) के तहत स्थापित किए गए थे। DIET शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करता है और शिक्षकों को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे शिक्षण विधियों में सुधार हो सके। अच्छी और बेहतर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा विकसित करने के इरादे से इस अनुसंधान संस्थान का निर्माण किया गया ताकि समय-समय पर शिक्षकों को बेहतर से और बेहतर किया जा सके, जिससे भारत के बच्चों का भविष्य निखारा जाए।
डीएलएड पास करने के बाद क्या होता है?डीएलएड (D.El.Ed) का मतलब है डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन। ये दो साल का पूर्णकालिक डिप्लोमा कोर्स है जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 8) में शिक्षक बनने के इच्छुक लोगों के लिए डिजाइन किया गया है। ये कोर्स, जिसे पहले बीटीसी के नाम से जाना जाता था, शिक्षण के विभिन्न पहलुओं, जैसे बाल मनोविज्ञान, शिक्षण विधियों और शिक्षक की भूमिका पर केंद्रित है। इस अनुसंधान केंद्र में एक प्रशिक्षण संस्थान में DIET के प्राचार्य अजय शुक्ला की ओर से 2023-25 बैच के ट्रेनी के लिए फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया गया था।
DIET में कैसे दिया जाता है फेयरवेल?इसी संस्थान में विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को भी प्रशिक्षण पहले से चलता रहा है। 28 जुलाई से प्रशिक्षण दिया जाना है। उनके पांच दिवसीय प्रशिक्षण भी होना है। विदाई समारोह में शिक्षक जो पहले पांच दिवसीय प्रशिक्षण में प्राप्त किए थे, वो अपने विचार रखते हैं जो प्रशिक्षु डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त किए उनसे कहा जाता है कि आपने 2 सालों में क्या अनुभव किया? क्या सीखा? अगर आप शिक्षक बनेंगे, आने वाले समय में तो क्या-क्या बच्चों के बीच जाकर रखेंगे। सभी प्रशिक्षुओं को अंतिम समय में अपने-अपने विचार प्रकट करना होता है। इसके बाद शुरू होता है मस्ती का दौर, जिसमें कैंडिडेट अपने-अपने हिसाब से परफॉर्म करते हैं।
DIET क्या है और क्यों जरूरी है ट्रेनिंगगया में शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान (DIET) भारत में जिला स्तर पर स्थापित एक सरकारी शिक्षक शिक्षा संस्थान है। इसका मुख्य उद्देश्य प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना है, जिसके लिए ये शिक्षकों और शैक्षिक प्रशासकों को प्रशिक्षण, संसाधन और सहायता प्रदान करता है। DIET, राष्ट्रीय शिक्षा नीति (1986) के तहत स्थापित किए गए थे। DIET शिक्षा के क्षेत्र में अनुसंधान करता है और शिक्षकों को अनुसंधान के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे शिक्षण विधियों में सुधार हो सके। अच्छी और बेहतर गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा विकसित करने के इरादे से इस अनुसंधान संस्थान का निर्माण किया गया ताकि समय-समय पर शिक्षकों को बेहतर से और बेहतर किया जा सके, जिससे भारत के बच्चों का भविष्य निखारा जाए।
डीएलएड पास करने के बाद क्या होता है?डीएलएड (D.El.Ed) का मतलब है डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन। ये दो साल का पूर्णकालिक डिप्लोमा कोर्स है जो प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा 1 से 8) में शिक्षक बनने के इच्छुक लोगों के लिए डिजाइन किया गया है। ये कोर्स, जिसे पहले बीटीसी के नाम से जाना जाता था, शिक्षण के विभिन्न पहलुओं, जैसे बाल मनोविज्ञान, शिक्षण विधियों और शिक्षक की भूमिका पर केंद्रित है। इस अनुसंधान केंद्र में एक प्रशिक्षण संस्थान में DIET के प्राचार्य अजय शुक्ला की ओर से 2023-25 बैच के ट्रेनी के लिए फेयरवेल पार्टी का आयोजन किया गया था।
DIET में कैसे दिया जाता है फेयरवेल?इसी संस्थान में विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को भी प्रशिक्षण पहले से चलता रहा है। 28 जुलाई से प्रशिक्षण दिया जाना है। उनके पांच दिवसीय प्रशिक्षण भी होना है। विदाई समारोह में शिक्षक जो पहले पांच दिवसीय प्रशिक्षण में प्राप्त किए थे, वो अपने विचार रखते हैं जो प्रशिक्षु डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त किए उनसे कहा जाता है कि आपने 2 सालों में क्या अनुभव किया? क्या सीखा? अगर आप शिक्षक बनेंगे, आने वाले समय में तो क्या-क्या बच्चों के बीच जाकर रखेंगे। सभी प्रशिक्षुओं को अंतिम समय में अपने-अपने विचार प्रकट करना होता है। इसके बाद शुरू होता है मस्ती का दौर, जिसमें कैंडिडेट अपने-अपने हिसाब से परफॉर्म करते हैं।
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