इस्लामाबाद: पाकिस्तान में बीते कुछ वर्षों सेना के लेकर एक बड़े वर्ग में गुस्सा देखा जा रहा था। खासतौर से पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान के निशाने पाक फौज थी। भारत के साथ हालिया सैन्य संघर्ष के बाद पाकिस्तान की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। दूसरे राजनीतिक दलों की तरह इमरान खान की पीटीआई अब सेना के आगे नतमस्तक दिख रही है। पाकिस्तान की सेना और इमरान खान के बीच बातचीत शुरू होने की भी खबर है। इसकी वजह ये है कि पाकिस्तान आर्मी ने भारत के साथ संघर्ष में अपनी जीत का दावा करते हुए आम लोगों को अपने पक्ष में कर लिया है। पाकिस्तान की लेखिका और राजनीति की जानकार आयशा सिद्दीक का कहना है कि भारत के साथ संघर्ष के बाद बने माहौल और इमरान खान के चुप होने से पाकिस्तान में सेना को खुला मैदान मिल गया है।द प्रिंट में आयशा सिद्दीक लिखती हैं कि इमरान खान के साथ कुछ नरमी बरती जा रही है। इमरान को उनकी बहन से मिलने दिया जा रहा है और जेल में बेहतर बर्ताव हो रहा है। इससे लगता है कि इमरान खान और सेना के बीच सुलह की कोशिश हो रही है। कुछ सैन्य अधिकारियों ने जेल में इमरान से मुलाकात कर अपने समर्थकों को सेना के खिलाफ बोलने से रोकने के लिए कहा है। इमरान खान के भी हालिया बयानों से लगता है कि उन्होंने हालात को समझ लिया है और सेना को चुनौती देना संभव नहीं है। इमरान का नरेंद्र मोदी पर निशानाइमरान खान ने हाल ही में जेल से बयान जारी करते हुए पाक फौज की तारीफ की और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बातें कहीं। इससे लगता है कि इमरान खान सेना के साथ सुलह करना चाहते हैं। पीटीआई के कुछ नेता कह रहे हैं कि सेना और इमरान खान के बीच कोई सुलह नहीं हो रही है। इससे लगता है कि इमरान खान सेना को बताना चाहते हैं कि यह उनकी लोकप्रियता और सेना को मिलाकर राजनीतिक फायदा उठाने का सही समय है।इमरान खान सेना को यह भी बताना चाहते हैं कि उन्हें सेना की विदेश नीति से कोई दिक्कत नहीं है। उन्हें सिर्फ सेना के चुने हुए नेताओं से परेशानी है। उनका मानना है कि अगर सेना उन्हें वापस सत्ता में लाती है तो इससे सेना को ही फायदा होगा। हालांकि ज्यादातर एक्सपर्ट मानते हैं कि सेना इमरान खान के बारे में अपनी नीति नहीं बदलेगी। सेना सिर्फ इमरान खान के समर्थकों को शांत करना चाहती है। इसके लिए इमरान खान को घर भी शिफ्ट किया जा सकता है। शरीफ और जरदारी को नहीं छोड़ेंगे मुनीर!पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर भले ही इमरान पर नरम दिख रहे हों लेकिन वह शाहबाज शरीफ परिवार से रिश्ता नहीं तोड़ेंगे। मुनीर को आसिफ जरदारी और बिलावल भुट्टो से कोई परेशानी नहीं है। पाकिस्तान में सेना फिर से मजबूत हो रही है तो मुनीर सिर्फ यह चाहते हैं कि माहौल का फायदा उठाते हुए इमरान खान को भी चुप करने के लिए कोई डील कर ली जाए।पाकिस्तान की सेना का अब कोई भी राजनीतिक पार्टी विरोध नहीं कर रही है और सेना के लिए ज्यादा फंड की मांग का भी विरोध अब नहीं है। सेना के अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण और व्यापारिक हितों की आलोचना फिलहाल नहीं हो रही है। भारत से संघर्ष के बाद पाकिस्तान के सोशल मीडिया पर भी सेना विरोधी पाकिस्तानियों में शांति है। इसने मुनीर के हौसले को काफी बढ़ा दिया है।
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