मुरैना: मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सबलगढ़ एसडीएम कार्यालय में मंगलवार को जमकर हंगामा हुआ। SDM कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान माहौल तनावपूर्ण हो गया। दरअसल, रामपुर निवासी एक समाजसेवक ने प्रशासन की लापरवाहियों और समस्याओं को लेकर सवाल किया। इसके बाद अधिकारियों और समाजसेवी के बीच जमकर बहस हो गई। बाद में समाजसेवी का हाथ पकड़कर उसे बाहर का रास्ता दिखाया गया।
जनसुनवाई के दौरान समाजसेवी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने SDM अरविंद माहौर के सामने पेयजल संकट, भ्रष्टाचार और ग्राम पंचायतों की अनियमितताओं का मुद्दों उठाया। समाजसेवी ने कहा कि कई बार शिकायतों के बावजूद स्थानीय प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसी बात को लेकर एसडीएम और समाजसेवक के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।
एसडीएम ने कहा थप्पड़ जड़ दूंगा
मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि दोनों के बीच बहस इस कदर बढ़ गई कि गुस्से में आकर एसडीएम अरविंद माहौर ने समाजसेवक से कहा – "जाते हो या थप्पड़ मारूं?" इस बयान ने जनसुनवाई के माहौल को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया। वहां मौजूद अन्य फरियादी और आमजन भी असमंजस में पड़ गए। घटना का वीडियो वहां उपस्थित लोगों ने बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
एसडीएम के थप्पड़ मारने की बात सुनकर समाजसेवी भी गुस्से में आ गया। उसने कहा कि आप पद में बैठे हैं तो गलत नहीं करेंगे। इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं है। इसके बाद एसडीएम कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए। बाद में मौजूद लोगों ने समाजसेवी को वहां से बाहर किया।
लोगों ने एसडीएम के व्यवहार पर उठाए सवाल
इस पूरे मामले की स्थानीय समाजसेवियों और नागरिकों ने कड़ी निंदा की है। आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेवी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि, "जनसुनवाई लोकतंत्र की सबसे अहम प्रक्रिया है, अगर उसमें जनता को अपमानित किया जाएगा, तो फिर वे अपनी समस्याएं कहां लेकर जाएं?" इस बात को लेकर उन्होंने सत्याग्रह भी किया। जिसे अन्य अधिकारियों की समझाइश पर खत्म किया था।
घटना के बाद से सबलगढ़ में प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
जनसुनवाई के दौरान समाजसेवी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने SDM अरविंद माहौर के सामने पेयजल संकट, भ्रष्टाचार और ग्राम पंचायतों की अनियमितताओं का मुद्दों उठाया। समाजसेवी ने कहा कि कई बार शिकायतों के बावजूद स्थानीय प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसी बात को लेकर एसडीएम और समाजसेवक के बीच तीखी बहस शुरू हो गई।
एसडीएम ने कहा थप्पड़ जड़ दूंगा
मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि दोनों के बीच बहस इस कदर बढ़ गई कि गुस्से में आकर एसडीएम अरविंद माहौर ने समाजसेवक से कहा – "जाते हो या थप्पड़ मारूं?" इस बयान ने जनसुनवाई के माहौल को और ज्यादा तनावपूर्ण बना दिया। वहां मौजूद अन्य फरियादी और आमजन भी असमंजस में पड़ गए। घटना का वीडियो वहां उपस्थित लोगों ने बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।
एसडीएम के थप्पड़ मारने की बात सुनकर समाजसेवी भी गुस्से में आ गया। उसने कहा कि आप पद में बैठे हैं तो गलत नहीं करेंगे। इस तरह का व्यवहार अच्छा नहीं है। इसके बाद एसडीएम कुर्सी छोड़कर खड़े हो गए। बाद में मौजूद लोगों ने समाजसेवी को वहां से बाहर किया।
लोगों ने एसडीएम के व्यवहार पर उठाए सवाल
इस पूरे मामले की स्थानीय समाजसेवियों और नागरिकों ने कड़ी निंदा की है। आरटीआई कार्यकर्ता और समाजसेवी धर्मेंद्र चतुर्वेदी ने कहा कि, "जनसुनवाई लोकतंत्र की सबसे अहम प्रक्रिया है, अगर उसमें जनता को अपमानित किया जाएगा, तो फिर वे अपनी समस्याएं कहां लेकर जाएं?" इस बात को लेकर उन्होंने सत्याग्रह भी किया। जिसे अन्य अधिकारियों की समझाइश पर खत्म किया था।
घटना के बाद से सबलगढ़ में प्रशासनिक कार्यशैली को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। फिलहाल, प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
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