भोपाल: भोपाल के एम्स अस्पताल में डॉक्टरों ने एक 44 वर्षीय मरीज की जान बचाई। मरीज को 6 महीने से सीने में दर्द था और घबराहट भी होती थी। जांच में पता चला कि उसके दिल में खून लीक हो रहा था। यह एक गंभीर स्थिति थी। डॉक्टरों ने जटिल बेंटॉल सर्जरी करके मरीज की जान बचाई। मरीज सीहोर का रहने वाला है। उसे पहले लगा कि यह सामान्य बीमारी है, जैसे अपच या गैस। लेकिन दवा लेने के बाद भी आराम नहीं मिला।
एम्स के कार्डियोथोरेसिक एवं वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने यह मुश्किल सर्जरी की। डॉक्टरों के अनुसार मरीज की छाती की महाधमनी (एओर्टा) में 8-10 सेमी की सूजन थी। यह सूजन लगातार बढ़ रही थी और कभी भी फट सकती थी। इसके अलावा मरीज का एओर्टिक वॉल्व (दिल का वॉल्व) भी लीक कर रहा था। इस गंभीर स्थिति के इलाज के लिए मरीज का वॉल्व बदला गया और आर्टिफिशियल महाधमनी लगाई गई। इसे बेंटॉल सर्जरी कहते हैं।
डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती
डॉक्टर के लिए सबसे बड़ा चैलेंज मरीज का ब्लड ग्रुप बी-नेगेटिव होना था। यह खून मिलना मुश्किल होता है। इसलिए कई प्राइवेट अस्पतालों ने सर्जरी करने से मना कर दिया था। लेकिन एम्स में डॉक्टरों ने बिना खून चढ़ाए ही सर्जरी कर दी। एम्स के निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि एम्स में इलाज कितना अच्छा होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। इसलिए मरीज को कोई पैसा नहीं देना पड़ा।
इन डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन
डॉक्टरों की टीम में डॉक्टर योगेश के निवारिया, डॉक्टर एम किशन, डॉक्टर सुरेंद्र सिंह यादव, डॉक्टर राहुल शर्मा, डॉक्टर विक्रम वट्टी और डॉक्टर आदित्य सिरोही शामिल थे। इन डॉक्टरों ने ही मिलकर मरीज की जान बचाई।
एम्स के कार्डियोथोरेसिक एवं वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) विभाग ने यह मुश्किल सर्जरी की। डॉक्टरों के अनुसार मरीज की छाती की महाधमनी (एओर्टा) में 8-10 सेमी की सूजन थी। यह सूजन लगातार बढ़ रही थी और कभी भी फट सकती थी। इसके अलावा मरीज का एओर्टिक वॉल्व (दिल का वॉल्व) भी लीक कर रहा था। इस गंभीर स्थिति के इलाज के लिए मरीज का वॉल्व बदला गया और आर्टिफिशियल महाधमनी लगाई गई। इसे बेंटॉल सर्जरी कहते हैं।
डॉक्टरों के लिए सबसे बड़ी चुनौती
डॉक्टर के लिए सबसे बड़ा चैलेंज मरीज का ब्लड ग्रुप बी-नेगेटिव होना था। यह खून मिलना मुश्किल होता है। इसलिए कई प्राइवेट अस्पतालों ने सर्जरी करने से मना कर दिया था। लेकिन एम्स में डॉक्टरों ने बिना खून चढ़ाए ही सर्जरी कर दी। एम्स के निदेशक प्रोफेसर डॉ. अजय सिंह ने कहा कि यह मामला दिखाता है कि एम्स में इलाज कितना अच्छा होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह पूरा इलाज आयुष्मान भारत योजना के तहत किया गया। इसलिए मरीज को कोई पैसा नहीं देना पड़ा।
इन डॉक्टरों ने किया ऑपरेशन
डॉक्टरों की टीम में डॉक्टर योगेश के निवारिया, डॉक्टर एम किशन, डॉक्टर सुरेंद्र सिंह यादव, डॉक्टर राहुल शर्मा, डॉक्टर विक्रम वट्टी और डॉक्टर आदित्य सिरोही शामिल थे। इन डॉक्टरों ने ही मिलकर मरीज की जान बचाई।
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