लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने सावरकर मुद्दे पर राहुल गांधी के खिलाफ किसी भी प्रकार की राहत का विरोध किया है। दरअसल, वीर सावरकर के खिलाफ की गई टिप्पणियों पर लखनऊ की कोर्ट से जारी समन को रद्द करने के संबंध में राहुल गांधी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका पर कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी किया था। नोटिस के जवाब में 23 जुलाई को दायर एक हलफनामे में राज्य सरकार ने राहुल गांधी को किसी भी राहत के खिलाफ तर्क दिया।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ टिप्पणी करके जानबूझकर नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। टिप्पणियों पर लखनऊ की अदालत से जारी समन को रद्द करने की राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस के जवाब में हलफनामा दायर किया गया। मामले में शुक्रवार यानी आज मामले की सुनवाई होनी थी। इससे पहले राज्य सरकार किसी भी राहत के खिलाफ तर्क दिया गया है।
याचिका में की गई मांगराहुल गांधी की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में लखनऊ कोर्ट की ओर से जारी समन और मामले को खारिज करने की गुहार लगाई गई है। सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 505 के तहत दुश्मनी और सार्वजनिक उपद्रव को बढ़ावा देने के आरोप राहुल गांधी पर लागू होते हैं। अदालत ने मामले की जांच का हवाला दिया। इसमें कहा है कि यह पूर्व नियोजित कार्रवाइयों के जरिए जानबूझकर नफरत फैलाने का संकेत देता है।
अप्रैल में आया था फैसलाअप्रैल में कोर्ट ने राहुल गांधी की ओर से सावरकर को अंग्रेजों का 'दास' कहने पर उनकी कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि यह बयान महाराष्ट्र में दिया गया था, जहां सावरकर को भगवान की तरह पूजा जाता है। अदालत ने कहा कि उन्हें इतिहास या भूगोल जाने बिना स्वतंत्रता सेनानियों पर कोई बयान नहीं देना चाहिए।
कोर्ट ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए वीर सावरकर की प्रशंसा में एक पत्र लिखा था। इसमें महात्मा गांधी का जिक्र था, जिन्होंने ब्रिटिश वायसराय से संवाद करते हुए खुद को एक वफादार 'दास' बताया था।
राहुल गांधी ने दिया था तर्कराहुल गांधी ने सावरकर को अंग्रेजों से मिलने वाली पेंशन का जिक्र करते हुए उन्हें अंग्रेजों का दास कहा था। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि कोई यूं ही दास नहीं बन जाता। अदालत ने कहा कि एक दिन आप कहेंगे कि गांधीजी भी अंग्रेजों के दास थे। स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता।
राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि आगे कोई बयान नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आगे कोई बयान दिया जाता है, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर उस पर विचार करेगी। हम किसी को भी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कोई बयान देने की अनुमति नहीं देंगे।
हाई कोर्ट के फैसले को चुनौतीराहुल गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 4 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ शिकायत रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। वकील नृपेंद्र पांडे ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि वीर सावरकर के खिलाफ उनकी टिप्पणी से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने तर्क दिया कि राहुल गांधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले एक नेता का अपमान किया।
निचली अदालत ने अपने सम्मन में कहा कि राहुल गांधी ने सावरकर के खिलाफ अपने भाषण के माध्यम से समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई। उनके खिलाफ शिकायत को जून 2023 में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद पुनरीक्षण याचिका दायर की गई। राहुज गांधी ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि उनके खिलाफ आरोप उन अपराधों के बराबर नहीं हैं, जिनका उन पर आरोप लगाया गया है।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। इसमें कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर 2022 की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिंदुत्व विचारक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ टिप्पणी करके जानबूझकर नफरत फैलाने का आरोप लगाया गया है। टिप्पणियों पर लखनऊ की अदालत से जारी समन को रद्द करने की राहुल गांधी की याचिका पर नोटिस के जवाब में हलफनामा दायर किया गया। मामले में शुक्रवार यानी आज मामले की सुनवाई होनी थी। इससे पहले राज्य सरकार किसी भी राहत के खिलाफ तर्क दिया गया है।
याचिका में की गई मांगराहुल गांधी की ओर सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में लखनऊ कोर्ट की ओर से जारी समन और मामले को खारिज करने की गुहार लगाई गई है। सरकार के हलफनामे में कहा गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 505 के तहत दुश्मनी और सार्वजनिक उपद्रव को बढ़ावा देने के आरोप राहुल गांधी पर लागू होते हैं। अदालत ने मामले की जांच का हवाला दिया। इसमें कहा है कि यह पूर्व नियोजित कार्रवाइयों के जरिए जानबूझकर नफरत फैलाने का संकेत देता है।
अप्रैल में आया था फैसलाअप्रैल में कोर्ट ने राहुल गांधी की ओर से सावरकर को अंग्रेजों का 'दास' कहने पर उनकी कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, उनके खिलाफ कार्यवाही पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि यह बयान महाराष्ट्र में दिया गया था, जहां सावरकर को भगवान की तरह पूजा जाता है। अदालत ने कहा कि उन्हें इतिहास या भूगोल जाने बिना स्वतंत्रता सेनानियों पर कोई बयान नहीं देना चाहिए।
कोर्ट ने राहुल गांधी को याद दिलाया कि उनकी दादी इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए वीर सावरकर की प्रशंसा में एक पत्र लिखा था। इसमें महात्मा गांधी का जिक्र था, जिन्होंने ब्रिटिश वायसराय से संवाद करते हुए खुद को एक वफादार 'दास' बताया था।
राहुल गांधी ने दिया था तर्कराहुल गांधी ने सावरकर को अंग्रेजों से मिलने वाली पेंशन का जिक्र करते हुए उन्हें अंग्रेजों का दास कहा था। कोर्ट ने इस मामले में कहा कि कोई यूं ही दास नहीं बन जाता। अदालत ने कहा कि एक दिन आप कहेंगे कि गांधीजी भी अंग्रेजों के दास थे। स्वतंत्रता सेनानियों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता।
राहुल गांधी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को आश्वासन दिया कि आगे कोई बयान नहीं दिया जाएगा। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर आगे कोई बयान दिया जाता है, तो वह स्वतः संज्ञान लेकर उस पर विचार करेगी। हम किसी को भी स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ कोई बयान देने की अनुमति नहीं देंगे।
हाई कोर्ट के फैसले को चुनौतीराहुल गांधी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के 4 अप्रैल के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ शिकायत रद्द करने की याचिका खारिज कर दी थी। वकील नृपेंद्र पांडे ने राहुल गांधी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि वीर सावरकर के खिलाफ उनकी टिप्पणी से हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने तर्क दिया कि राहुल गांधी ने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले एक नेता का अपमान किया।
निचली अदालत ने अपने सम्मन में कहा कि राहुल गांधी ने सावरकर के खिलाफ अपने भाषण के माध्यम से समाज में नफरत और दुर्भावना फैलाई। उनके खिलाफ शिकायत को जून 2023 में खारिज कर दिया गया था। इसके बाद पुनरीक्षण याचिका दायर की गई। राहुज गांधी ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि उनके खिलाफ आरोप उन अपराधों के बराबर नहीं हैं, जिनका उन पर आरोप लगाया गया है।
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