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अमेरिका से महंगा एफ-35 क्यों खरीदे भारत..अपना तेजस एमके2 कम है क्या...इन मामलों में कहीं बेहतर है स्वदेशी फाइटर जेट

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नई दिल्ली: पांचवीं पीढ़ी के अमेरिकी स्टील्थ फाइटर जेट F-35 के सौदे को लेकर अभी काफी चर्चा चल रही है। इसकी वजह ये है कि इस साल की शुरुआत में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका गए थे तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई बातचीत के बाद जारी हुए संयुक्त बयान में इस पर विचार करने की बात कही गई थी। लेकिन, अब सरकार ने संसद को बता दिया है कि अमेरिका से इसपर कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं आया है। वहीं, खबरें हैं कि भारत ने पीएम मोदी की यात्रा के दौरान ही अमेरिका को संकेत दे दिया था कि उसे F-35 खरीदने में कोई दिलचस्पी नहीं है। अभी जिस तरह से ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ वाला बम फोड़ा है, उसके बाद यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं अमेरिकी राष्ट्रपति अपना माल नहीं बेच पाने से तो नहीं भड़के हुए हैं? ऐसे में यह समझना जरूरी है कि भारत अपने यहां जो तेजस एमके2 (Tejas Mk2)बना रहा है, उसके महंगे फाइटर जेट से किस मायने में कम है?



एफ-35, तेजस एमके2 की कीमत

अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन F-35 लड़ाकू विमानों के मुख्य रूप से तीन वर्जन बनाती है। इनमें सबसे कम वाले की कीमत भी 82.5 मिलियन डॉलर से ज्यादा है। वहीं केरल में 39 दिनों तक फंसे रहने वाले F-35B की कीमत तो 109 मिलियन डॉलर है। वहीं भारतीय कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) जिस तेजस एमके2 पर काम कर रही है, इसकी अनुमानित लागत करीब 50 से 60 मिलियन डॉलर ही रहने वाली है।



स्पीड और ताकत में आगे कौन?

अमेरिकी फाइटर जेट F-35 43,000एलबी थर्स्ट इंजन इस्तेमाल करता है। इसकी स्पीड मैच 1.6 (mach 1.6) होती है। मतलब 1,960 किलोमीटर प्रति घंटे। जबकि,Tejas Mk2 में जो GE F414 इंजन इस्तेमाल किया जा रहा है, वह 98 किलोन्यूटंस की थर्स्ट पैदा करता है। मतलब इसकी स्पीड Mach 1.8 होगी यानी यह प्रति घंटे 2,205 की रफ्तार से हवाओं को चीड़ सकता है। ऐसी कई रिपोर्ट हैं, जिसके अनुसार स्पीड के मामले में अगली पीढ़ी या 4.5 पीढ़ी का यह लड़ाकू विमान रफ्तार में बाजी मारने जा रहा है।



एवियोनिक्स और सेंसर में भारी कौन?

F-35 बहुत ही अत्याधुनिक फाइटर जेट है। इसमें इंटीग्रेटेड एईएसए रडार, 360 डिग्री कैमरा और डेटा फ्यूजन वाले एडवांस उपकरण लगे हैं, जो पायलट को दुश्मनों की रियल टाइम लोकेशन की जानकारी देते हैं। वहीं अपने Tejas Mk2 को भी उत्तम एईएसए रडार से लैस किया जा रहा है, इसमें इंफ्रारेड सर्च और ट्रैक उपकरण लगाए जा रहे हैं और कॉकपिट की ऐसी स्मार्ट डिजाइनिंग की जा रही है, जिससे एक साथ कई टारगेट को ट्रैक किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसमें भी दुनिया की अगुवा विमान कंपनी की ओर से इस्तेमाल की जाने वाले सेंसर फ्यूजन उपकरण लगाए जा रहे हैं, जिससे यह दुनिया का एक बहुत ही एडवांस फाइटर जेट बनने जा रहा है।



हथियार और पेलोड की क्षमता

F-35 8,160 किलो तक हथियार लेकर मिशन पर निकल सकता है। Tejas Mk2, 4.5 पीढ़ी का होते हुए भी 6,500 किलो हथियार ले जाने में सक्षम है। भारतीय फाइटर स्वदेशी, पश्चिमी और रूसी हथियार,बम और मिसाइलें एकसाथ लेकर उड़ने में भी सक्षम है।



मारक क्षमता और उड़ान क्षमता

F-35 की कॉम्बैट रेंज लगभग 1,500 किमी है, जबकि यह एक बार में बिना ईंधन भरे (फेरी रेंज) 2,200 किमी तक उड़ान भर सकता है। Tejas Mk2 की कॉम्बैट रेंज लगभग 3,000 किमी (ड्रॉप या अतिरिक्त टैंकों के साथ) है; और हवा में ईंधन भरने और बड़े ईंधन टैंकों की क्षमता के दम पर यह लंबे मिशन के लिए उड़ने में सक्षम है। मतलब,यहां भी दोनों का फर्क साफ है।



स्टील्थ टेक्नोलॉजी से कितना फर्क?

F-35 पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट है। यह टेक्नोलॉजी इसे दुश्मनों के रडार, इंफ्रारेड सेंसर और अन्य डिटेक्शन सिस्टम से छिपे रहने में सक्षम बनाता है। यह सब इसकी खास डिजाइन और इसमें लगने वाले विशेष मटेरियल की वजह से होता है, जिससे यह रडार को धोखा देने में सक्षम होते हैं। वहीं Tejas Mk2 में रडार से बचने वाले तत्व लगाए गए हैं,वहीं इसके बेहतर और नए कैनार्ड विंग्स इसे इसके पिछले वर्जन से 75% ज्यादा एडवांस बनाते हैं।



F-35 की डिलिवरी में भी हो रही देरी

Tejas Mk2 के निर्माण की प्रक्रिया अब काफी रफ्तार पकड़ने जा रही है। इसे इंजन मिलने में हो रही देरी की समस्या लगभग दूर होने लगी है। प्रोटोटाइप पर काम जारी है और 2026 की शुरुआत में विमान तैयार होने वाला है और संभावना है कि वर्ष के अंत तक यह उड़ान भरने लगेगा। सबकुछ ठीक रहा तो 2029 तक इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होने की संभावना है। अगर मान लिया जाए कि अमेरिका से F-35 खरीदने का सौदा किया भी जाए तो लॉकहीड मार्टिन की स्थिति अभी ऐसी है कि वह तुरंत डिलिवरी दे सके। क्योंकि, अमेरिकी सेना को ही समय पर डिलिवरी नहीं दे पा रही है तो भारत आते-आते तो कई वर्ष गुजर सकते हैं। वहीं हाल में इसके साथ कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं, जिससे इसकी टेक्नोलॉजी को लेकर सवाल भी उठने लगे हैं।



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