नई दिल्ली: पिछले कुछ समय में दुनिया तेजी से बदली है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर ने सबको एक चीज सिखाई है। वह यह है कि निर्भरता आपकी दुश्मन है। चीन की ओर से रेयर अर्थ (दुर्लभ पृथ्वी खनिज) के एक्सपोर्ट कंट्रोल के कारण सुपरपावर अमेरिका को तेवर ढीले करने पड़े। भविष्य में किसी चुनौती से निपटने के लिए भारत ने भी कमर कस ली है। सरकार देश में महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू खनन को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर कुशल श्रमिकों का पूल तैयार करने की दिशा में काम कर रही है। यह पहल स्वच्छ ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग के लिए जरूरी खनिजों की बढ़ती मांग को पूरा करने के साथ चीन पर आयात निर्भरता को घटाने के उद्देश्य से की जा रही है।
इस मिशन के तहत खान मंत्रालय ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत स्किल काउंसिल फॉर माइनिंग सेक्टर के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन (एनसीएमएम) के तहत 2025-30 के लिए एक स्किल्स गैप स्टडी करेगी।
क्या करेगी यह कमेटी?
यह अध्ययन खनन क्षेत्र में विभिन्न नौकरियों के लिए वर्तमान और भविष्य की कार्यबल की जरूरतों का पता लगाएगा। इसमें मिनरल्स की खोज, खनन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन जैसे सभी चरण शामिल होंगे। इसका मुख्य लक्ष्य कौशल और प्रशिक्षण के बुनियादी ढांचे में मौजूद कमियों की पहचान करना और क्षेत्र के तेजी से विकास का समर्थन करने के लिए एक तैयार कार्यबल बनाने को ठोस समाधान सुझाना है।
सूत्रों के अनुसार, यह रिपोर्ट लाखों श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगी। इसमें नए लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ मौजूदा श्रमिकों के कौशल को बढ़ाना भी शामिल होगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत लिथियम, कोबाल्ट निकल और रेयर अर्थ तत्वों जैसे खनिजों का उत्पादन बढ़ा रहा है। ये खनिज सौर पैनल, पवन टरबाइन, ईवी बैटरी और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बहुत जरूरी हैं।
57 लाख कुशल श्रमिकों का पूल तैयार करना मकसदसरकार का लक्ष्य 2030 तक खनन क्षेत्र में 57 लाख कुशल श्रमिकों का एक पूल तैयार करना है। यह ' मेक इन इंडिया ' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों के तहत भारत की घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत अपने मकसद में कामयाब होता है तो यह सबसे बड़ा इकोनॉमिक थ्रिलर होगा। इससे सप्लाई चेन में पूरा गेम चेंज हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक कुशल कार्यबल विकसित करने से न सिर्फ महत्वपूर्ण खनिजों में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी। अलबत्ता, देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का भी समर्थन होगा। यह भारत को प्रमुख कच्चे माल का एक ग्लोबल सप्लायर बनने में मदद करेगा। एनसीसीएम महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन को सुरक्षित करने, आयात पर निर्भरता कम करने और टिकाऊ खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह पहल भारत को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए तैयार करने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने में सहायक होगी।
इस मिशन के तहत खान मंत्रालय ने कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के तहत स्किल काउंसिल फॉर माइनिंग सेक्टर के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी नेशनल क्रिटिकल मिनिरल मिशन (एनसीएमएम) के तहत 2025-30 के लिए एक स्किल्स गैप स्टडी करेगी।
क्या करेगी यह कमेटी?
यह अध्ययन खनन क्षेत्र में विभिन्न नौकरियों के लिए वर्तमान और भविष्य की कार्यबल की जरूरतों का पता लगाएगा। इसमें मिनरल्स की खोज, खनन, प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन जैसे सभी चरण शामिल होंगे। इसका मुख्य लक्ष्य कौशल और प्रशिक्षण के बुनियादी ढांचे में मौजूद कमियों की पहचान करना और क्षेत्र के तेजी से विकास का समर्थन करने के लिए एक तैयार कार्यबल बनाने को ठोस समाधान सुझाना है।
सूत्रों के अनुसार, यह रिपोर्ट लाखों श्रमिकों को प्रशिक्षित करने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगी। इसमें नए लोगों को प्रशिक्षण देने के साथ मौजूदा श्रमिकों के कौशल को बढ़ाना भी शामिल होगा। यह कदम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत लिथियम, कोबाल्ट निकल और रेयर अर्थ तत्वों जैसे खनिजों का उत्पादन बढ़ा रहा है। ये खनिज सौर पैनल, पवन टरबाइन, ईवी बैटरी और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए बहुत जरूरी हैं।
57 लाख कुशल श्रमिकों का पूल तैयार करना मकसदसरकार का लक्ष्य 2030 तक खनन क्षेत्र में 57 लाख कुशल श्रमिकों का एक पूल तैयार करना है। यह ' मेक इन इंडिया ' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहलों के तहत भारत की घरेलू क्षमताओं को मजबूत करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत अपने मकसद में कामयाब होता है तो यह सबसे बड़ा इकोनॉमिक थ्रिलर होगा। इससे सप्लाई चेन में पूरा गेम चेंज हो जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक कुशल कार्यबल विकसित करने से न सिर्फ महत्वपूर्ण खनिजों में भारत की आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी। अलबत्ता, देश के स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का भी समर्थन होगा। यह भारत को प्रमुख कच्चे माल का एक ग्लोबल सप्लायर बनने में मदद करेगा। एनसीसीएम महत्वपूर्ण खनिजों की सप्लाई चेन को सुरक्षित करने, आयात पर निर्भरता कम करने और टिकाऊ खनन प्रथाओं को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
यह पहल भारत को भविष्य की ऊर्जा जरूरतों के लिए तैयार करने और वैश्विक स्तर पर अपनी स्थिति मजबूत करने में सहायक होगी।
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