बच्चों का पाचन तंत्र थोड़ा कमजोर होता है। बाहर का कुछ खाने या अनेहल्दी चीजें खाने पर बच्चे का पेट बहुत जल्दी खराब हो सकता है। कई बार बच्चों को पेट में इंफेक्शन भी हो जाता है। वहीं कुछ बच्चों को बार-बार इंफेक्शन होता रहता है। अगर आपके बच्चे को भी पेट में संक्रमण की शिकायत है, तो यहां आप जान सकते हैं कि इसके क्या कारण और उपाय हैं और इस स्थिति में बच्चे को क्या खिलाना ठीक रहता है। जयपुर के साकेत हॉस्पिटल एवं मातृत्व मदर एंड चाइल्ड क्लिनिक के कंसल्टेंट नियोनेटोलॉजिस्ट डॉक्टर अनुज यादव से जानें कि पेट या आंतों में संक्रमण होने पर बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार क्या खिलाना चाहिए?
क्या है पेट का संक्रमण, क्यों होता है?पेट का संक्रमण यानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन। इसे गैस्ट्रोएंट्राइटिस भी कहते हैं। 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में यह एक आम समस्या है। वैसे तो यह एक ऐसी बीमारी है जो जल्दी ठीक हो जाती है लेकिन पेरेंट्स इसकी वजह से कई बार डर जाते हैं। उन्हें समझ ही नहीं आ पाता है कि बीमार बच्चे की देखभाल कैसे करें। इसे अक्सर पेट का फ्लू के नाम से जाना जाता है। यह पाचन तंत्र से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है।
यदि इस स्थिति से ग्रस्त बच्चे की ठीक तरह से देखभाल न की जाए, तो बच्चे को डिहाइड्रेशन हो सकता है, क्योंकि उल्टी और दस्त के कारण शरीर से फ्लूइड्स कम हो सकते हैं। यह संक्रमण बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस और अन्य बीमारी जनित माइक्रोब्स के कारण होता है। छोटे बच्चों में रोटावायरल इंफेक्शन की वजह से भी पेट का फ्लू हो सकता है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी.चाहिए।
गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मुख्य लक्षण
पेट का 'फ्लू' होने पर डाइटचिल्ड्रेंस हेल्थ के अनुसार जब बच्चा उल्टी करना बंद कर दे, तब उसे खाना खिलाना शुरू किया जा सकता है। इस समय बच्चे को केला, चावल, एप्पल का जूस और टोस्ट यानी BRAT फूड्स देने चाहिए। ये चीजें आसानी से पच जाती है। पेट का फ्लू होने पर बच्चे को तला हुआ, भारी या मसालेदार खाना कुछ दिनों तक न खिलाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
कुछ ड्रिंक्स जैसे कि सेब का जूस या कार्बोनेटिड बेवरेज बच्चे में उल्टी या दस्त को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आप बच्चे को रिहाइड्रेशन घोल या सादा पानी देते रहें। यदि बच्चे को उल्टी या मतली दोबारा होता है, तब उसका पेट ठीक होने तक उसे कोई भी फूड नहीं देना चाहिए। हां किसी भी स्थिति में पानी की कमी न होने दें।
लगातार फ्लूइड्स देते रहना चाहिएbetterhealth.vic.gov के मुताबिक स्तनपान करने वाले शिशु को पेट का फ्लू होने पर दूध पिलाना जारी रखना चाहिए। 6 महीने से कम उम्र के शिशु पेट का फ्लू होने पर जल्दी बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए उनमें दस्त और उल्टी से निकले फ्लूइड्स की आपूर्ति करने के लिए अधिक फ्लूइड्स देने की जरूरत होती है।
स्तनपान या फॉर्मूला पीने वाले बच्चे को पहले 12 घंटे क्लियर फ्लूइड्स दें और फिर उसे थोड़ी मात्रा में फॉर्मूला मिल्क दें। पानी को दस मिनट तक उबालने के बाद उसे थोड़ा ठंडा कर के बच्चे को पिलाएं। ऐसा करने से बच्चे को पेट संबंधी समस्याओं से दूर रखा जा सकता है।
बच्चों की उम्र के हिसाब से डाइट
बच्चों में पेट के संक्रमण से जुड़े FAQs
पेट का फ्लू किन कारणों से होता है?पेट का फ्लू कई कारणों से हो सकता है। इनमें वायरस (Virus), बैक्टीरिया (Bacteria) और परजीवी (Parasite) शामिल हैं। नोरोवायरस (Norovirus), या रोटावायरस (Rotavirus) जैसे वायरस (Virus) पेट के फ्लू का कारण बन सकते हैं। साल्मोनेला (Salmonella), या स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) जैसे बैक्टीरिया (Bacteria) भी पेट के फ्लू का कारण बन सकते हैं।
पेट का फ्लू आखिर फैलता कैसे है?
आमतौर पर यह भोजन-पानी के सेवन से फैल सकता है। मतलब अगर बच्चा दूषित चीजों को खाता या छूता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाता है। इसके याद रखें संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु बहुत छोटे होते हैं। इसलिए, बच्चे के हाथ भले ही साफ दिखें, लेकिन उन पर बैक्टीरिया (Bacteria) हो सकते हैं।
भारत में पेट का फ्लू कितना आम है?यह आम बीमारी है। बच्चों को हर साल औसतन एक या दो बार पेट का फ्लू होता है। एक से पांच साल के बच्चों को यह अक्सर होती है। क्योंकि उनकी इम्यूनिटी बड़ों की तुलना में कमजोर होती है। आगे 6 साल की उम्र के बाद उनकी इम्युनिटी जैसे-जैसे बढ़ने लगती हैं, वैसे-वैसे वो इसके खिलाफ मजबूती से लड़ पाते हैं।
बच्चे के डॉक्टर को कब बुलाना चाहिए?अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को गैस्ट्रोएंटेराइटिस है, तो डॉक्टर को बुलाना ज़रूरी है। खासकर, अगर बच्चा 6 महीने से छोटा है। अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर को ज़रूर बताएं, जैसे: बच्चे को 24 घंटे से ज्यादा समय से उल्टी हो रही हो, अगर बच्चा बहुत ज़्यादा चिड़चिड़ा या सुस्त है। बच्चे को बुखार है और उसके मल में खून आ रहा हो। या फिर डिहाइड्रेशन के कोई भी लक्षण दिखें तो देरी न करें।
बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए क्या करें?बच्चे को पेट का फ्लू होता है तो डिहाइड्रेशन बड़ी समस्या बनती है। बच्चा बहुत छोटा है तो मां को ब्रेस्टफीड और पानी की सही मात्रा पर फोकस करना चाहिए। अगर आपका बच्चा दूध या पानी नहीं पी पा रहा है, तो डॉक्टर दिन भर में छोटे-छोटे घूंट में पीडियाट्रिक इलेक्ट्रोलाइट सोल्यूशन देने की सलाह दे सकते हैं।
छोटे बच्चे को गैस्ट्रोएंटेराइटिस से कैसे बचाएं?
बच्चों में डिहाइड्रेशन के संकेत क्या होते हैं?
बच्चों में पेट के संक्रमण से बचाव के उपाय
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों में पेट का फ्लू एक आम समस्या है, लेकिन सही देखभाल, सावधानी बरतने और उसके आहार में कुछ जरूरी बदलाव कर इसे रोका जा सकता है। माता-पिता को परेशान नहीं होना चाहिए। माता-पिता को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए ताकि समस्या को बढ़ने से रोका जा सके।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
क्या है पेट का संक्रमण, क्यों होता है?पेट का संक्रमण यानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल इंफेक्शन। इसे गैस्ट्रोएंट्राइटिस भी कहते हैं। 1 से 5 साल की उम्र के बच्चों में यह एक आम समस्या है। वैसे तो यह एक ऐसी बीमारी है जो जल्दी ठीक हो जाती है लेकिन पेरेंट्स इसकी वजह से कई बार डर जाते हैं। उन्हें समझ ही नहीं आ पाता है कि बीमार बच्चे की देखभाल कैसे करें। इसे अक्सर पेट का फ्लू के नाम से जाना जाता है। यह पाचन तंत्र से जुड़ी एक स्वास्थ्य समस्या है।
यदि इस स्थिति से ग्रस्त बच्चे की ठीक तरह से देखभाल न की जाए, तो बच्चे को डिहाइड्रेशन हो सकता है, क्योंकि उल्टी और दस्त के कारण शरीर से फ्लूइड्स कम हो सकते हैं। यह संक्रमण बैक्टीरिया, परजीवी, वायरस और अन्य बीमारी जनित माइक्रोब्स के कारण होता है। छोटे बच्चों में रोटावायरल इंफेक्शन की वजह से भी पेट का फ्लू हो सकता है। इसे हल्के में नहीं लेना चाहिए और तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी.चाहिए।

गैस्ट्रोएंटेराइटिस के मुख्य लक्षण
पेट का 'फ्लू' होने पर डाइटचिल्ड्रेंस हेल्थ के अनुसार जब बच्चा उल्टी करना बंद कर दे, तब उसे खाना खिलाना शुरू किया जा सकता है। इस समय बच्चे को केला, चावल, एप्पल का जूस और टोस्ट यानी BRAT फूड्स देने चाहिए। ये चीजें आसानी से पच जाती है। पेट का फ्लू होने पर बच्चे को तला हुआ, भारी या मसालेदार खाना कुछ दिनों तक न खिलाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
कुछ ड्रिंक्स जैसे कि सेब का जूस या कार्बोनेटिड बेवरेज बच्चे में उल्टी या दस्त को बढ़ा सकते हैं। इसलिए आप बच्चे को रिहाइड्रेशन घोल या सादा पानी देते रहें। यदि बच्चे को उल्टी या मतली दोबारा होता है, तब उसका पेट ठीक होने तक उसे कोई भी फूड नहीं देना चाहिए। हां किसी भी स्थिति में पानी की कमी न होने दें।
लगातार फ्लूइड्स देते रहना चाहिएbetterhealth.vic.gov के मुताबिक स्तनपान करने वाले शिशु को पेट का फ्लू होने पर दूध पिलाना जारी रखना चाहिए। 6 महीने से कम उम्र के शिशु पेट का फ्लू होने पर जल्दी बीमार पड़ सकते हैं, इसलिए उनमें दस्त और उल्टी से निकले फ्लूइड्स की आपूर्ति करने के लिए अधिक फ्लूइड्स देने की जरूरत होती है।
स्तनपान या फॉर्मूला पीने वाले बच्चे को पहले 12 घंटे क्लियर फ्लूइड्स दें और फिर उसे थोड़ी मात्रा में फॉर्मूला मिल्क दें। पानी को दस मिनट तक उबालने के बाद उसे थोड़ा ठंडा कर के बच्चे को पिलाएं। ऐसा करने से बच्चे को पेट संबंधी समस्याओं से दूर रखा जा सकता है।
बच्चों की उम्र के हिसाब से डाइट
बच्चों में पेट के संक्रमण से जुड़े FAQs
पेट का फ्लू किन कारणों से होता है?पेट का फ्लू कई कारणों से हो सकता है। इनमें वायरस (Virus), बैक्टीरिया (Bacteria) और परजीवी (Parasite) शामिल हैं। नोरोवायरस (Norovirus), या रोटावायरस (Rotavirus) जैसे वायरस (Virus) पेट के फ्लू का कारण बन सकते हैं। साल्मोनेला (Salmonella), या स्टैफिलोकोकस (Staphylococcus) जैसे बैक्टीरिया (Bacteria) भी पेट के फ्लू का कारण बन सकते हैं।
पेट का फ्लू आखिर फैलता कैसे है?
आमतौर पर यह भोजन-पानी के सेवन से फैल सकता है। मतलब अगर बच्चा दूषित चीजों को खाता या छूता है तो उसके संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाता है। इसके याद रखें संक्रमण फैलाने वाले कीटाणु बहुत छोटे होते हैं। इसलिए, बच्चे के हाथ भले ही साफ दिखें, लेकिन उन पर बैक्टीरिया (Bacteria) हो सकते हैं।
भारत में पेट का फ्लू कितना आम है?यह आम बीमारी है। बच्चों को हर साल औसतन एक या दो बार पेट का फ्लू होता है। एक से पांच साल के बच्चों को यह अक्सर होती है। क्योंकि उनकी इम्यूनिटी बड़ों की तुलना में कमजोर होती है। आगे 6 साल की उम्र के बाद उनकी इम्युनिटी जैसे-जैसे बढ़ने लगती हैं, वैसे-वैसे वो इसके खिलाफ मजबूती से लड़ पाते हैं।
बच्चे के डॉक्टर को कब बुलाना चाहिए?अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को गैस्ट्रोएंटेराइटिस है, तो डॉक्टर को बुलाना ज़रूरी है। खासकर, अगर बच्चा 6 महीने से छोटा है। अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिखें तो डॉक्टर को ज़रूर बताएं, जैसे: बच्चे को 24 घंटे से ज्यादा समय से उल्टी हो रही हो, अगर बच्चा बहुत ज़्यादा चिड़चिड़ा या सुस्त है। बच्चे को बुखार है और उसके मल में खून आ रहा हो। या फिर डिहाइड्रेशन के कोई भी लक्षण दिखें तो देरी न करें।
बच्चे को हाइड्रेटेड रखने के लिए क्या करें?बच्चे को पेट का फ्लू होता है तो डिहाइड्रेशन बड़ी समस्या बनती है। बच्चा बहुत छोटा है तो मां को ब्रेस्टफीड और पानी की सही मात्रा पर फोकस करना चाहिए। अगर आपका बच्चा दूध या पानी नहीं पी पा रहा है, तो डॉक्टर दिन भर में छोटे-छोटे घूंट में पीडियाट्रिक इलेक्ट्रोलाइट सोल्यूशन देने की सलाह दे सकते हैं।
छोटे बच्चे को गैस्ट्रोएंटेराइटिस से कैसे बचाएं?
- हर डायपर बदलने और बाथरूम जाने के बाद और खाना बनाने से पहले अपने हाथों को साबुन और गर्म पानी से अच्छी तरह धोएं। हैंड सैनिटाइजर का उपयोग करें। बच्चे के भी बार-बार हाथों धोएं।
- बच्चे को पेट का फ्लू होने से बचाने के लिए डॉक्टर की सलाह पर रोटावायरस वैक्सीन की डोज दिलवाएं। यह डोज आमतौर पर 2 से 6 महीने की उम्र के बीच ओरल ड्रॉप्स द्वारा दी जाती हैं।
- अगर बच्चा उल्टी और दस्त करता है तो साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। बिस्तर की चादरें व कपड़ों को अच्छे से धोने के बाद तेज धूप में सुखाने के बाद ही यूज करें। एक-दूजे से खाना-पानी शेयर न करें।
बच्चों में डिहाइड्रेशन के संकेत क्या होते हैं?
- मुंह और जीभ का सूखना
- पेशाब कम होना
- आंखों का धंस जाना
- ठंडे हाथ और पैर
- अधिक नींद आना या सुस्ती
बच्चों में पेट के संक्रमण से बचाव के उपाय
- बच्चों को नियमित रूप से हाथ धोने की आदत डालें।
- टॉयलेट के बाद और खाने से पहले हाथ धोना सुनिश्चित करें।
- संक्रमित बच्चे को कम से कम 48 घंटे तक अलग रखें।
- बर्तन, खिलौने, और घर की हर सतह को साफ रखें।
- दूषित भोजन व पानी से बचें, पानी की कमी न होने दें।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक बच्चों में पेट का फ्लू एक आम समस्या है, लेकिन सही देखभाल, सावधानी बरतने और उसके आहार में कुछ जरूरी बदलाव कर इसे रोका जा सकता है। माता-पिता को परेशान नहीं होना चाहिए। माता-पिता को लगातार डॉक्टर के संपर्क में रहना चाहिए ताकि समस्या को बढ़ने से रोका जा सके।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
You may also like
संसद में विपक्ष ने किया हंगामा, दोनों सदन की कार्यवाही स्थगित
एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर तंज, 'कुछ लोग कार्यकर्ताओं को नौकर समझते हैं'
40 साल से ज्यादा ऑपोजिशन में रहा हूं... कुछ मेरे से ट्यूशन ले लो, राज्यसभा में जेपी नड्डा ने क्यों कही ये बात
वनतारा से महादेवी को वापस लाने मांग, कोल्हापुर की सड़कों पर आए हजारों लोग, अब देवेंद्र फडणवीस निकालेंगे हल!
Asia Cup 2025: बांग्लादेश की टीम में एशिया कप के लिए हुई इस दिग्गज खिलाड़ी की एंट्री