अभय सिंह राठौड़, लखनऊ/प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार की संवेदनशीलता और त्वरित कार्रवाई एक बड़ी मिसाल बनकर सामने आई है। पुराने फर्जी मुकदमों के चलते नौकरी गंवाने की कगार पर खड़े हाल में चयनित हुए 24 पुलिस अभ्यर्थियों (सिपाही) को प्रयागराज डीएम ने न सिर्फ न्याय दिलाया है, बल्कि उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी चिंता भी खत्म कर दी है। बता दें, बुधवार को डीएम कार्यालय पहुंचे अभ्यर्थियों ने अपनी पीड़ा साझा की थी। इस मामले का डीएम रविन्द्र कुमार ने गंभीरता से संज्ञान लिया था।
दरअसल, ये सभी युवा अभ्यर्थी हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस में चयनित हुए थे, लेकिन उनके खिलाफ सालों पुराने फर्जी मुकदमे नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा बन रहे थे। युवाओं ने बताया कि अधिकतर मामलों में वे उस समय घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं थे। कई को बाद में पता चला कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। यह सब कुछ निजी रंजिश के चलते हुआ था। जनता दर्शन में सुनवाई के दौरान डीएम रविंद्र कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल शासकीय अधिवक्ता को बुलाया था।
पुलिस में चयनित 24 अभ्यर्थियों को राहतइसके साथ ही पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर त्वरित जांच के आदेश भी दिए थे। कलेक्ट्रेट में विशेष टीम गठित कर सभी 24 अभ्यर्थियों की फाइलों की समीक्षा की गई थी। जांच में सामने आया कि सभी अभ्यर्थियों के मुकदमों में पुलिस पहले ही अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी थी, लेकिन सिर्फ दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी न होने के कारण इनकी नियुक्ति अटकी थी।
डीएम ने तत्परता दिखाते हुए इन सभी मामलों को स्थायी रूप से समाप्त करने का आदेश जारी किया और आवश्यक दस्तावेज तुरंत उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय भेजा गया। ताकि इन युवाओं की ट्रेनिंग प्रक्रिया शुरू हो सके।
बेकसूर युवाओं को फंसायाइन युवाओं में बहरिया के सराय अजीम गांव के संजय कुमार और हंडिया के हेमापुर गांव के जितेंद्र यादव जैसे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिन्होंने बताया कि वे पढ़ाई के सिलसिले में शहर में रह रहे थे, जबकि गांव में हुए विवादों में उन्हें नामजद कर दिया गया था। डीएम की त्वरित कार्रवाई के बाद सभी युवाओं ने राहत की सांस ली है।
दरअसल, ये सभी युवा अभ्यर्थी हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस में चयनित हुए थे, लेकिन उनके खिलाफ सालों पुराने फर्जी मुकदमे नियुक्ति प्रक्रिया में बाधा बन रहे थे। युवाओं ने बताया कि अधिकतर मामलों में वे उस समय घटनास्थल पर मौजूद भी नहीं थे। कई को बाद में पता चला कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। यह सब कुछ निजी रंजिश के चलते हुआ था। जनता दर्शन में सुनवाई के दौरान डीएम रविंद्र कुमार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल शासकीय अधिवक्ता को बुलाया था।
पुलिस में चयनित 24 अभ्यर्थियों को राहतइसके साथ ही पुलिस अधिकारियों से बातचीत कर त्वरित जांच के आदेश भी दिए थे। कलेक्ट्रेट में विशेष टीम गठित कर सभी 24 अभ्यर्थियों की फाइलों की समीक्षा की गई थी। जांच में सामने आया कि सभी अभ्यर्थियों के मुकदमों में पुलिस पहले ही अंतिम रिपोर्ट लगा चुकी थी, लेकिन सिर्फ दस्तावेजी प्रक्रिया पूरी न होने के कारण इनकी नियुक्ति अटकी थी।
डीएम ने तत्परता दिखाते हुए इन सभी मामलों को स्थायी रूप से समाप्त करने का आदेश जारी किया और आवश्यक दस्तावेज तुरंत उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय भेजा गया। ताकि इन युवाओं की ट्रेनिंग प्रक्रिया शुरू हो सके।
बेकसूर युवाओं को फंसायाइन युवाओं में बहरिया के सराय अजीम गांव के संजय कुमार और हंडिया के हेमापुर गांव के जितेंद्र यादव जैसे अभ्यर्थी भी शामिल थे, जिन्होंने बताया कि वे पढ़ाई के सिलसिले में शहर में रह रहे थे, जबकि गांव में हुए विवादों में उन्हें नामजद कर दिया गया था। डीएम की त्वरित कार्रवाई के बाद सभी युवाओं ने राहत की सांस ली है।
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