बलरामपुर: उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में अवैध धर्म परिवर्तन के रैकेट के मास्टरमाइंड जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के भतीजे सबरोज के खिलाफ आज जिला प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया। सबरोज के रेहरा माफी गांव में सरकारी जमीन पर बने अवैध मकान को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। यह कार्रवाई उत्तर प्रदेश पुलिस और आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) की जांच के बाद हुई, जिसमें सबरोज की अवैध धर्म परिवर्तन गिरोह में महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई थी।
सबरोज, बलरामपुर के उतरौला क्षेत्र के रेहरा माफी गांव का निवासी और छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन का भतीजा है। वह इस संगठित धर्म परिवर्तन नेटवर्क में एक अहम कड़ी था, जो हिंदू युवतियों और कमजोर वर्गों को निशाना बनाकर उन्हें प्रलोभन, धमकी, और प्रेमजाल के जरिए इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करता था। यूपी एटीएस की जांच के अनुसार, सबरोज को आजमगढ़ में विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जहां वह चार लोगों की टीम के साथ युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने का काम करता था।
अवैध धर्म परिवर्तन में सबरोज की भूमिका
सबरोज ने अपने चाचा छांगुर बाबा के साथ मिलकर पूर्वांचल, खासकर बलरामपुर और आजमगढ़, में अवैध धर्म परिवर्तन की गतिविधियों को अंजाम दिया। जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह हिंदू और गैर-मुस्लिम युवतियों को टारगेट करता था, जिन्हें पैसे, नौकरी, और शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता था। सबरोज का काम स्थानीय स्तर पर टारगेट्स की पहचान करना, उन्हें फंसाने के लिए मुस्लिम युवकों को प्रोत्साहित करना, और नेटवर्क के संचालन में सहायता करना था।
एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि इस गिरोह ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, और सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख रुपये, और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये की राशि तय की थी। सबरोज ने आजमगढ़ के देवगांव क्षेत्र में कई युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, वह विदेशी फंडिंग के लेन-देन में भी शामिल था, जो नेपाल के रास्ते भारत में लाई जाती थी।
गिरफ्तारी और जांच
सबरोज को 19 जुलाई 2025 को यूपी एटीएस ने बलरामपुर से गिरफ्तार किया था। इससे पहले, उसे एसटीएफ ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था, लेकिन 12 घंटे बाद छोड़ दिया गया था। जांच एजेंसियों ने रणनीति के तहत उस पर नजर रखी और बाद में उसे दोबारा गिरफ्तार किया। सबरोज के साथ शहाबुद्दीन नामक एक अन्य सहयोगी को भी गिरफ्तार किया गया। अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें छांगुर बाबा, उसका बेटा महबूब, नीतू उर्फ नसरीन, और नवीन वोहरा शामिल हैं।
सबरोज, बलरामपुर के उतरौला क्षेत्र के रेहरा माफी गांव का निवासी और छांगुर बाबा उर्फ जमालुद्दीन का भतीजा है। वह इस संगठित धर्म परिवर्तन नेटवर्क में एक अहम कड़ी था, जो हिंदू युवतियों और कमजोर वर्गों को निशाना बनाकर उन्हें प्रलोभन, धमकी, और प्रेमजाल के जरिए इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करता था। यूपी एटीएस की जांच के अनुसार, सबरोज को आजमगढ़ में विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जहां वह चार लोगों की टीम के साथ युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने का काम करता था।
अवैध धर्म परिवर्तन में सबरोज की भूमिका
सबरोज ने अपने चाचा छांगुर बाबा के साथ मिलकर पूर्वांचल, खासकर बलरामपुर और आजमगढ़, में अवैध धर्म परिवर्तन की गतिविधियों को अंजाम दिया। जांच में खुलासा हुआ कि यह गिरोह हिंदू और गैर-मुस्लिम युवतियों को टारगेट करता था, जिन्हें पैसे, नौकरी, और शादी का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता था। सबरोज का काम स्थानीय स्तर पर टारगेट्स की पहचान करना, उन्हें फंसाने के लिए मुस्लिम युवकों को प्रोत्साहित करना, और नेटवर्क के संचालन में सहायता करना था।
एटीएस की पूछताछ में सामने आया कि इस गिरोह ने ब्राह्मण, क्षत्रिय, और सिख लड़कियों के लिए 15-16 लाख रुपये, पिछड़ी जातियों के लिए 10-12 लाख रुपये, और अन्य जातियों के लिए 8-10 लाख रुपये की राशि तय की थी। सबरोज ने आजमगढ़ के देवगांव क्षेत्र में कई युवतियों को प्रेमजाल में फंसाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा, वह विदेशी फंडिंग के लेन-देन में भी शामिल था, जो नेपाल के रास्ते भारत में लाई जाती थी।
गिरफ्तारी और जांच
सबरोज को 19 जुलाई 2025 को यूपी एटीएस ने बलरामपुर से गिरफ्तार किया था। इससे पहले, उसे एसटीएफ ने पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था, लेकिन 12 घंटे बाद छोड़ दिया गया था। जांच एजेंसियों ने रणनीति के तहत उस पर नजर रखी और बाद में उसे दोबारा गिरफ्तार किया। सबरोज के साथ शहाबुद्दीन नामक एक अन्य सहयोगी को भी गिरफ्तार किया गया। अब तक इस मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें छांगुर बाबा, उसका बेटा महबूब, नीतू उर्फ नसरीन, और नवीन वोहरा शामिल हैं।
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