रामपुर: रामपुर रियासत के अंतिम नवाब रजा अली खान की पुत्री नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का अमेरिका में निधन हो गया। उन्होंने मंगलवार को वॉशिंगटन डीसी में 93 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। निधन के बाद वॉशिंगटन डीसी में ही उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। शाही परिवार के कुछ करीबी सदस्यों ने उनकी कब्र पर फातिहा पढ़ी। उनके निधन की खबर से रामपुर के शाही परिवार और शहर में गहरा शोक व्याप्त है। नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम के बारे में कहा जा रहा है कि उनका जीवन रामपुर की नवाबी तहजीब, भारतीय संस्कृति और वैश्विक संवाद का अनोखा संगम था। उनके निधन से रामपुर की गौरवशाली विरासत के एक युग का अंत हुआ।
सादगीपूर्ण था जीवनशाही परिवार के सदस्य नवाब काज़िम अली खान उर्फ नवेद मियां का कहना है कि नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का जाना हमारे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। वह सादगी, तहजीब और गरिमा की मिसाल थीं। वहीं, पूर्व सांसद बेगम नूरबानो ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मेहरून्निसा बेगम का निधन न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि रामपुर की संस्कृति और तहजीब के लिए भी बड़ी क्षति है।
रामपुर के नागरिकों ने भी उनके निधन को एक युग का अंत बताया। शहर में लोग उन्हें हमेशा एक तहजीबदार, सादगीभरी और शिक्षित शख्सियत के रूप में याद कर रहे हैं।
1933 में हुआ था जन्मरामपुर इंटेक रुहेलखंड चैप्टर के सह-संयोजक काशिफ खान का कहना है कि नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का जन्म 24 जनवरी 1933 को रामपुर में हुआ था। उनकी माता तलअत जमानी बेगम, नवाब रजा अली खान की तीसरी पत्नी थीं। मेहरून्निसा का बचपन रामपुर की शाही परंपराओं में बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी और लखनऊ में हुई। बचपन से ही उनमें सांस्कृतिक परिष्कार और भाषा की गहरी समझ थी, जो आगे चलकर उनकी पहचान बनी।
भारत-पाकिस्तान से अभिन्न नातामेहरून्निसा बेगम के जीवन में दो विवाह हुए। उन्होंने पहला विवाह भारतीय सिविल सेवा अधिकारी सैयद तकी नकी से हुआ। वहीं, उनका दूसरा विवाह पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल अब्दुर्रहीम खान से हुआ। वे बाद में स्पेन में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे। इस प्रकार मेहरून्निसा का जीवन भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की संस्कृतियों और इतिहास से गहराई से जुड़ा रहा।
भारतीय संस्कृति अमेरिका में दूतवर्ष 1977 में बेगम मेहरून्निसा अमेरिका चली गईं। वहां उन्होंने इंटरनेशनल सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज, वॉशिंगटन डीसी में उर्दू और हिंदी की शिक्षिका के रूप में कार्य किया। उन्होंने विदेशी छात्रों को भारतीय भाषा और संस्कृति से परिचित कराया। उनकी पहचान एक संस्कृति-दूत, विदुषी और सरल स्वभाव की महिला के रूप में बनी। उन्होंने हमेशा अपनी रामपुरी तहजीब को जिंदा रखा और विदेश में रहते हुए भी भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ाया।
मेहरून्निसा बेगम के परिवार में उनका बेटा जैन नकी है। उन्होंने उनके अंतिम समय तक देखभाल की। उनकी दो बेटियां जेबा हुसैन और मरयम खान हैं। उनके एक बेटा आबिद खान का पहले ही निधन हो चुका है।
छह बहनों में दूसरे नंबर पर थीं मेहरून्निसानवाब रजा अली खान के तीन पुत्र मुर्तजा अली खान, जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां और आबिद अली खान उर्फ सलीम मियां थे। उनका पहले ही निधन हो चुका है। नवाब रजा अली खान की छह पुत्रियां थीं। मेहरून्निसा बेगम छह बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। रामपुर के वरिष्ठ नागरिकों और सांस्कृतिक संस्थान मेहरून्निसा बेगम को शाही वंश की सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक मानते हैं। उनकी शालीनता, विनम्रता और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण ने उन्हें हर वर्ग में प्रतिष्ठित किया।
क्या है रामपुर रियासत?रामपुर के नवाब रियासत का इतिहास अठारहवीं सदी से शुरू होता है। नवाब अली मोहम्मद खान ने इसकी स्थापना की थी। आजादी से पहले रामपुर अपनी स्वतंत्र व्यवस्था बनाई थी। रामपुर के नवाब के पास अपनी फौज, रेलवे, बिजलीघर और कोर्ट थे। इस कारण यह रियासत काफी प्रसिद्ध था। स्वतंत्रता के बाद 1949 में नवाब सैय्यद रजा खान ने रामपुर रियासत को भारत में मिला दिया। उनके उत्तराधिकारी जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और पांच बार कांग्रेस के सांसद बने। उनकी पत्नी बेगम नूरबानो ने भी दो बार रामपुर से लोकसभा चुनाव जीता।
सादगीपूर्ण था जीवनशाही परिवार के सदस्य नवाब काज़िम अली खान उर्फ नवेद मियां का कहना है कि नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का जाना हमारे परिवार के लिए अपूरणीय क्षति है। वह सादगी, तहजीब और गरिमा की मिसाल थीं। वहीं, पूर्व सांसद बेगम नूरबानो ने भी गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मेहरून्निसा बेगम का निधन न सिर्फ परिवार के लिए, बल्कि रामपुर की संस्कृति और तहजीब के लिए भी बड़ी क्षति है।
रामपुर के नागरिकों ने भी उनके निधन को एक युग का अंत बताया। शहर में लोग उन्हें हमेशा एक तहजीबदार, सादगीभरी और शिक्षित शख्सियत के रूप में याद कर रहे हैं।
1933 में हुआ था जन्मरामपुर इंटेक रुहेलखंड चैप्टर के सह-संयोजक काशिफ खान का कहना है कि नवाबजादी मेहरून्निसा बेगम का जन्म 24 जनवरी 1933 को रामपुर में हुआ था। उनकी माता तलअत जमानी बेगम, नवाब रजा अली खान की तीसरी पत्नी थीं। मेहरून्निसा का बचपन रामपुर की शाही परंपराओं में बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी और लखनऊ में हुई। बचपन से ही उनमें सांस्कृतिक परिष्कार और भाषा की गहरी समझ थी, जो आगे चलकर उनकी पहचान बनी।
भारत-पाकिस्तान से अभिन्न नातामेहरून्निसा बेगम के जीवन में दो विवाह हुए। उन्होंने पहला विवाह भारतीय सिविल सेवा अधिकारी सैयद तकी नकी से हुआ। वहीं, उनका दूसरा विवाह पाकिस्तान के एयर चीफ मार्शल अब्दुर्रहीम खान से हुआ। वे बाद में स्पेन में पाकिस्तान के राजदूत भी रहे। इस प्रकार मेहरून्निसा का जीवन भारत और पाकिस्तान दोनों देशों की संस्कृतियों और इतिहास से गहराई से जुड़ा रहा।
भारतीय संस्कृति अमेरिका में दूतवर्ष 1977 में बेगम मेहरून्निसा अमेरिका चली गईं। वहां उन्होंने इंटरनेशनल सेंटर फॉर लैंग्वेज स्टडीज, वॉशिंगटन डीसी में उर्दू और हिंदी की शिक्षिका के रूप में कार्य किया। उन्होंने विदेशी छात्रों को भारतीय भाषा और संस्कृति से परिचित कराया। उनकी पहचान एक संस्कृति-दूत, विदुषी और सरल स्वभाव की महिला के रूप में बनी। उन्होंने हमेशा अपनी रामपुरी तहजीब को जिंदा रखा और विदेश में रहते हुए भी भारतीय मूल्यों को आगे बढ़ाया।
मेहरून्निसा बेगम के परिवार में उनका बेटा जैन नकी है। उन्होंने उनके अंतिम समय तक देखभाल की। उनकी दो बेटियां जेबा हुसैन और मरयम खान हैं। उनके एक बेटा आबिद खान का पहले ही निधन हो चुका है।
छह बहनों में दूसरे नंबर पर थीं मेहरून्निसानवाब रजा अली खान के तीन पुत्र मुर्तजा अली खान, जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां और आबिद अली खान उर्फ सलीम मियां थे। उनका पहले ही निधन हो चुका है। नवाब रजा अली खान की छह पुत्रियां थीं। मेहरून्निसा बेगम छह बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। रामपुर के वरिष्ठ नागरिकों और सांस्कृतिक संस्थान मेहरून्निसा बेगम को शाही वंश की सांस्कृतिक धरोहर की प्रतीक मानते हैं। उनकी शालीनता, विनम्रता और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण ने उन्हें हर वर्ग में प्रतिष्ठित किया।
क्या है रामपुर रियासत?रामपुर के नवाब रियासत का इतिहास अठारहवीं सदी से शुरू होता है। नवाब अली मोहम्मद खान ने इसकी स्थापना की थी। आजादी से पहले रामपुर अपनी स्वतंत्र व्यवस्था बनाई थी। रामपुर के नवाब के पास अपनी फौज, रेलवे, बिजलीघर और कोर्ट थे। इस कारण यह रियासत काफी प्रसिद्ध था। स्वतंत्रता के बाद 1949 में नवाब सैय्यद रजा खान ने रामपुर रियासत को भारत में मिला दिया। उनके उत्तराधिकारी जुल्फिकार अली खान उर्फ मिक्की मियां ने राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाई और पांच बार कांग्रेस के सांसद बने। उनकी पत्नी बेगम नूरबानो ने भी दो बार रामपुर से लोकसभा चुनाव जीता।
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