नई दिल्ली: दिल्ली सरकार जल्द ही लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग पॉलिसी 2025 लाने की तैयारी में है। इसके ड्राफ्ट में ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो न केवल दिल्ली के ट्रैफिक जाम को कम करेंगे, बल्कि प्रदूषण भी घटाएंगे और व्यापार की क्षमता भी बढ़ाएंगे।
नाकाम रहीं पुरानी पॉलिसी
पॉलिसी के माध्यम से दिल्ली सरकार व्यापार के लिए डेडिकेटेड लॉजिस्टिक्स हब, ग्रीन फ्रेट कॉरिडोर और टेक्नोलॉजी आधारित सॉल्यूशंस लागू करने की दिशा में काम कर दिल्ली सरकार के पर्यावरण और उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने रविवार को यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि पिछली सरकारें लॉजिस्टिक्स फ्रेमवर्क बनाने में नाकाम रहीं, जिससे दिल्ली में जाम और प्रदूषण बढ़ा।
जाम और प्रदूषण में आएगी कमी
साथ ही दिल्ली की अर्थव्यवस्था को भी इसने बुरी तरह प्रभावित किया। अब हमारी सरकार नई पॉलिसी लाने जा रही है, जिससे प्रदूषण और जाम की समस्या का समाधान होगा और व्यापार में भी आसानी और बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में 3 आधुनिक अर्बन कंसॉलिडेशन एंड लॉजिस्टिक्स डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर (UCLDC) बनाए जाएंगे। इससे व्यापारियों को प्रोत्साहन और क्लीन फ्यूल वाली गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा।
शहर के बाहर शिफ्ट होंगे गोदाम
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि ड्राफ्ट पॉलिसी में वेयरहाउसों को शहर की सीमावर्ती इलाकों में शिफ्ट करना, आधुनिक UCLDCs पर माल कंसॉलिडेट करना और लास्टमाइल डिलिवरी के लिए इलेक्ट्रिक और CNG गाड़ियों का इस्तेमाल शामिल है। ये कदम आजादपुर, गाजीपुर, आनंद विहार, नारायणा, करोल बाग जैसे हॉट स्पॉट्स पर जाम और प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होंगे।
जनता से भी लिए जाएंगे सुझाव
पॉलिसी में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत 24x7 लॉजिस्टिक्स संचालन, डिजिटल मैनेजमेंट और वेयरहाउसिंग बिजनेस के लिए कम कागजी कार्रवाई जैसे प्रस्ताव भी शामिल होंगे। अंतिम नोटिफिकेशन जारी करने से पहले ड्राफ्ट पॉलिसी जारी करके उस पर जनता से सुझाव भी लिए जाएंगे।
सरकार इन विषयों पर कर रही काम
उद्योग मंत्री के मुताबिक, उद्योग विभाग द्वारा तैयार की जा रही यह पॉलिसी नियमों को सरल बनाने, एडवांस्ड लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी को अपनाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सालों से चली आ रही उन खामियों को दूर करना है, जो दिल्ली की सप्लाई चेन को प्रभावित करती है।
पॉलिसी में होगी कई सब्सिडी
ड्राफ्ट पॉलिसी में उद्योगों के लिए कई तरह की सब्सिडी का प्रस्ताव भी शामिल होगा, जिससे स्थायी और टिकाऊ उपायों को अपनाने में मदद मिलेगी। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों से वेयरहाउस शिफ्ट करने के लिए लीज पर जमीन लेने में छूट, नई तकनीक अपनाने के लिए सब्सिडी और कोल्ड चेन व स्टोरेज सुविधाओं के अपग्रेडेशन के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। ये सभी कदम ट्रक पार्किंग की कमी से लेकर पुराने फ्रेट हैडलिंग सिस्टम तक की समस्याओं को खत्म करेंगे, जिससे दिल्ली की सप्लाई चेन अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनेगी। ग्रीन एनर्जी और ईको-फ्रेंडली सॉल्यूशंस के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे। जैसे वेयरहाउस की छतों पर सोलर पैनल लगाना, इलेक्ट्रिक और CNG गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ाना, और ऊर्जा-कुशल बिल्डिंग डिजाइन अपनाना।
रोज आते हैं 1.93 लाख ट्रांसपोर्ट
सिरसा के मुताबिक, दिल्ली में हर दिन 1.93 लाख ट्रांसपोर्ट वीकल के जरिए लगभग 10 लाख टन माल का आता-जाता है। इनमें से 21% गाड़ियां ट्रैफिक से होकर गुजरती है। प्रतिदिन सबसे ज्यादा गाड़ियां बिल्डिंग मटिरियल (4,132 गाड़ियां), टेक्सटाइल्स (3,995), फल और सब्जियां (2,569) और खाद्य उत्पाद (2,468) लाते हैं। फार्मास्युटिकल (559) और ऑटोमोबाइल्स (588) सेक्टर से जुड़े मालवाहक गाड़ियां भी जनरल ट्रैफिक के साथ ही सड़कों से गुजरती हैं। शहर के बाहर सही वेयरहाउसिंग जोन न होने के कारण ये गाड़ियां शहर के अंदरूनी हिस्सों में आती है, जिससे प्रमुख रास्तों पर जाम लगता है और प्रदूषण बढ़ता है।
नाकाम रहीं पुरानी पॉलिसी
पॉलिसी के माध्यम से दिल्ली सरकार व्यापार के लिए डेडिकेटेड लॉजिस्टिक्स हब, ग्रीन फ्रेट कॉरिडोर और टेक्नोलॉजी आधारित सॉल्यूशंस लागू करने की दिशा में काम कर दिल्ली सरकार के पर्यावरण और उद्योग मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने रविवार को यह जानकारी साझा करते हुए कहा कि पिछली सरकारें लॉजिस्टिक्स फ्रेमवर्क बनाने में नाकाम रहीं, जिससे दिल्ली में जाम और प्रदूषण बढ़ा।
जाम और प्रदूषण में आएगी कमी
साथ ही दिल्ली की अर्थव्यवस्था को भी इसने बुरी तरह प्रभावित किया। अब हमारी सरकार नई पॉलिसी लाने जा रही है, जिससे प्रदूषण और जाम की समस्या का समाधान होगा और व्यापार में भी आसानी और बढ़ोतरी होगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली के बाहरी इलाकों में 3 आधुनिक अर्बन कंसॉलिडेशन एंड लॉजिस्टिक्स डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर (UCLDC) बनाए जाएंगे। इससे व्यापारियों को प्रोत्साहन और क्लीन फ्यूल वाली गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा।
शहर के बाहर शिफ्ट होंगे गोदाम
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि ड्राफ्ट पॉलिसी में वेयरहाउसों को शहर की सीमावर्ती इलाकों में शिफ्ट करना, आधुनिक UCLDCs पर माल कंसॉलिडेट करना और लास्टमाइल डिलिवरी के लिए इलेक्ट्रिक और CNG गाड़ियों का इस्तेमाल शामिल है। ये कदम आजादपुर, गाजीपुर, आनंद विहार, नारायणा, करोल बाग जैसे हॉट स्पॉट्स पर जाम और प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होंगे।
जनता से भी लिए जाएंगे सुझाव
पॉलिसी में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के तहत 24x7 लॉजिस्टिक्स संचालन, डिजिटल मैनेजमेंट और वेयरहाउसिंग बिजनेस के लिए कम कागजी कार्रवाई जैसे प्रस्ताव भी शामिल होंगे। अंतिम नोटिफिकेशन जारी करने से पहले ड्राफ्ट पॉलिसी जारी करके उस पर जनता से सुझाव भी लिए जाएंगे।
सरकार इन विषयों पर कर रही काम
उद्योग मंत्री के मुताबिक, उद्योग विभाग द्वारा तैयार की जा रही यह पॉलिसी नियमों को सरल बनाने, एडवांस्ड लॉजिस्टिक्स टेक्नोलॉजी को अपनाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य सालों से चली आ रही उन खामियों को दूर करना है, जो दिल्ली की सप्लाई चेन को प्रभावित करती है।
पॉलिसी में होगी कई सब्सिडी
ड्राफ्ट पॉलिसी में उद्योगों के लिए कई तरह की सब्सिडी का प्रस्ताव भी शामिल होगा, जिससे स्थायी और टिकाऊ उपायों को अपनाने में मदद मिलेगी। शहर के भीड़भाड़ वाले इलाकों से वेयरहाउस शिफ्ट करने के लिए लीज पर जमीन लेने में छूट, नई तकनीक अपनाने के लिए सब्सिडी और कोल्ड चेन व स्टोरेज सुविधाओं के अपग्रेडेशन के लिए वित्तीय सहायता शामिल है। ये सभी कदम ट्रक पार्किंग की कमी से लेकर पुराने फ्रेट हैडलिंग सिस्टम तक की समस्याओं को खत्म करेंगे, जिससे दिल्ली की सप्लाई चेन अधिक प्रभावी और पर्यावरण के अनुकूल बनेगी। ग्रीन एनर्जी और ईको-फ्रेंडली सॉल्यूशंस के लिए विशेष प्रोत्साहन दिए जाएंगे। जैसे वेयरहाउस की छतों पर सोलर पैनल लगाना, इलेक्ट्रिक और CNG गाड़ियों का इस्तेमाल बढ़ाना, और ऊर्जा-कुशल बिल्डिंग डिजाइन अपनाना।
रोज आते हैं 1.93 लाख ट्रांसपोर्ट
सिरसा के मुताबिक, दिल्ली में हर दिन 1.93 लाख ट्रांसपोर्ट वीकल के जरिए लगभग 10 लाख टन माल का आता-जाता है। इनमें से 21% गाड़ियां ट्रैफिक से होकर गुजरती है। प्रतिदिन सबसे ज्यादा गाड़ियां बिल्डिंग मटिरियल (4,132 गाड़ियां), टेक्सटाइल्स (3,995), फल और सब्जियां (2,569) और खाद्य उत्पाद (2,468) लाते हैं। फार्मास्युटिकल (559) और ऑटोमोबाइल्स (588) सेक्टर से जुड़े मालवाहक गाड़ियां भी जनरल ट्रैफिक के साथ ही सड़कों से गुजरती हैं। शहर के बाहर सही वेयरहाउसिंग जोन न होने के कारण ये गाड़ियां शहर के अंदरूनी हिस्सों में आती है, जिससे प्रमुख रास्तों पर जाम लगता है और प्रदूषण बढ़ता है।
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