हापुड़: उत्तर प्रदेश की मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री और मार्कशीट के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को देशव्यापी बड़ी कार्रवाई की। ईडी की टीमों ने उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली में कुल 16 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। कार्रवाई के दौरान विश्वविद्यालय और इससे जुड़े कई कॉलेजों के दफ्तरों, घरों और सर्वरों को खंगाला गया। फर्जी डिग्री घोटाले की जड़ें अब और गहरी होती दिख रही हैं।
ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मोनाड यूनिवर्सिटी ने न केवल सामान्य डिग्री, बल्कि मेडिकल, इंजीनियरिंग और एमबीए जैसी प्रोफेशनल डिग्रियां भी फर्जी तरीके से जारी की थीं। इन डिग्रियों की एवज में लाखों रुपये वसूले जा रहे थे। पिछले दिनों यह मामला काफी गरमाया था। अब इस पर एक्शन होता दिख रहा है।
हापुड़-लखनऊ में ईडी का छापाईडी की छापेमारी का दायरा अब अन्य कॉलेजों तक भी पहुंच गया है। उन्नाव जिले के सोहरामऊ स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सरस्वती कॉलेज पर भी छापेमारी की गई। लखनऊ में कॉलेज के प्रिंसिपल अखिलेश मौर्य के आवास पर ईडी की टीम ने तलाशी ली। उन्नाव में सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर ईडी की तीन गाड़ियों से पहुंची टीम ने अचानक छापा मारा।
ईडी की टीम ने पूरे कैंपस को घेर लिया गया और इमरजेंसी विभाग को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों में प्रवेश रोक दिया गया। टीम ने कॉलेज के प्रशासनिक भवन, प्राचार्य डॉ. आरएल श्रीवास्तव के कार्यालय और अन्य स्टाफ रूमों की तलाशी ली। स्टाफ के सभी मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और कर्मचारियों को अपने-अपने कमरों में रहने के निर्देश दिए गए।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने अकाउंट सेक्शन और सर्वर रूम को सील कर दिया है। सभी कंप्यूटरों की हार्ड डिस्क जब्त कर ली गई हैं। परिसर के मुख्य द्वार पर सीआरपीएफ जवानों ने सुरक्षा घेरा बना रखा है। किसी को भी अंदर या बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
2023 में सामने आया था रैकेटमोनाड यूनिवर्सिटी का यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2023 में एसटीएफ की जांच के दौरान उजागर हुआ था। जांच में पाया गया था कि यूनिवर्सिटी के कुछ अधिकारी और कर्मचारी फेल या ड्रॉपआउट छात्रों को 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेच रहे थे। ग्राहकों से वॉट्सएप के जरिए दस्तावेज मंगाए जाते थे। भुगतान यूपीआई, नकद या अन्य माध्यमों से लिया जाता था। पूरी रकम मिलने के बाद दो दिन के भीतर कूरियर से नकली डिग्री भेज दी जाती थी।
अवैध कमाई का मामलाएसटीएफ की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि पांच वर्षों में इस अवैध कारोबार से 18 से 22 करोड़ रुपये की कमाई की गई। इस घोटाले में विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह और कई कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार कर्मियों में सनी कश्यप, कुलदीप, विपुल चौधरी, इमरान और संदीप कुमार शामिल रहे हैं।
मनी ट्रेल पर ईडी की नजरअब ईडी इस पूरे रैकेट के मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही है। आयकर विभाग भी इस अवैध कमाई के अंतिम ठिकाने और निवेश के स्रोतों की तलाश में जुटा है। माना जा रहा है कि फर्जी डिग्री से कमाई गई रकम को रियल एस्टेट और निजी शिक्षण संस्थानों में लगाया गया था। इस बीच, मोनाड यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं में अपनी डिग्रियों की वैधता को लेकर चिंता गहरा गई है।
ईडी की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि मोनाड यूनिवर्सिटी ने न केवल सामान्य डिग्री, बल्कि मेडिकल, इंजीनियरिंग और एमबीए जैसी प्रोफेशनल डिग्रियां भी फर्जी तरीके से जारी की थीं। इन डिग्रियों की एवज में लाखों रुपये वसूले जा रहे थे। पिछले दिनों यह मामला काफी गरमाया था। अब इस पर एक्शन होता दिख रहा है।
हापुड़-लखनऊ में ईडी का छापाईडी की छापेमारी का दायरा अब अन्य कॉलेजों तक भी पहुंच गया है। उन्नाव जिले के सोहरामऊ स्थित सरस्वती मेडिकल कॉलेज और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित सरस्वती कॉलेज पर भी छापेमारी की गई। लखनऊ में कॉलेज के प्रिंसिपल अखिलेश मौर्य के आवास पर ईडी की टीम ने तलाशी ली। उन्नाव में सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर ईडी की तीन गाड़ियों से पहुंची टीम ने अचानक छापा मारा।
ईडी की टीम ने पूरे कैंपस को घेर लिया गया और इमरजेंसी विभाग को छोड़कर बाकी सभी हिस्सों में प्रवेश रोक दिया गया। टीम ने कॉलेज के प्रशासनिक भवन, प्राचार्य डॉ. आरएल श्रीवास्तव के कार्यालय और अन्य स्टाफ रूमों की तलाशी ली। स्टाफ के सभी मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए और कर्मचारियों को अपने-अपने कमरों में रहने के निर्देश दिए गए।
सूत्रों के अनुसार, ईडी ने अकाउंट सेक्शन और सर्वर रूम को सील कर दिया है। सभी कंप्यूटरों की हार्ड डिस्क जब्त कर ली गई हैं। परिसर के मुख्य द्वार पर सीआरपीएफ जवानों ने सुरक्षा घेरा बना रखा है। किसी को भी अंदर या बाहर जाने की अनुमति नहीं है।
2023 में सामने आया था रैकेटमोनाड यूनिवर्सिटी का यह फर्जीवाड़ा वर्ष 2023 में एसटीएफ की जांच के दौरान उजागर हुआ था। जांच में पाया गया था कि यूनिवर्सिटी के कुछ अधिकारी और कर्मचारी फेल या ड्रॉपआउट छात्रों को 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक में फर्जी डिग्री और मार्कशीट बेच रहे थे। ग्राहकों से वॉट्सएप के जरिए दस्तावेज मंगाए जाते थे। भुगतान यूपीआई, नकद या अन्य माध्यमों से लिया जाता था। पूरी रकम मिलने के बाद दो दिन के भीतर कूरियर से नकली डिग्री भेज दी जाती थी।
अवैध कमाई का मामलाएसटीएफ की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया था कि पांच वर्षों में इस अवैध कारोबार से 18 से 22 करोड़ रुपये की कमाई की गई। इस घोटाले में विश्वविद्यालय के चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह और कई कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार कर्मियों में सनी कश्यप, कुलदीप, विपुल चौधरी, इमरान और संदीप कुमार शामिल रहे हैं।
मनी ट्रेल पर ईडी की नजरअब ईडी इस पूरे रैकेट के मनी लॉन्ड्रिंग एंगल की जांच कर रही है। आयकर विभाग भी इस अवैध कमाई के अंतिम ठिकाने और निवेश के स्रोतों की तलाश में जुटा है। माना जा रहा है कि फर्जी डिग्री से कमाई गई रकम को रियल एस्टेट और निजी शिक्षण संस्थानों में लगाया गया था। इस बीच, मोनाड यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राओं में अपनी डिग्रियों की वैधता को लेकर चिंता गहरा गई है।
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