पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में अब कुछ महीने की ही वक्त बचा है। इसे देखते हुए बिहार में एनडीए हो या फिर महागठबंधन, दोनों में सीटों की खींचतान का दौर शुरू हो चुका है। इस बार विरोधियों से पहले अपनों के बीच प्रेशर पॉलिटिक्स शुरू हो चुकी है। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और मुकेश सहनी अपने-अपने बयानों से अपने गठबंधन पर दबाव बनाने की रणनीति में दिख रहे हैं। चिराग पासवान बिहार में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं, वहीं महागठबंधन के साथी मुकेश सहनी 'मोदी के लिए जान देने को तैयार' हैं। दोनों नेताओं की ओर से जैसे बयान सामने आ रहे हैं, उनमें बीजेपी का भी गेम प्लान नजर आता है। आइए जानते हैं...
चिराग का दावा: 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान या BJP को अल्टीमेटम?
एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने जब यह कहा कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर तैयारी कर रही है, तो यह सिर्फ आत्मविश्वास नहीं था, बल्कि एनडीए के दो बड़े दल बीजेपी और जेडीयू को एक सीधा संदेश भी था। बीते कुछ चुनावों में चिराग की भूमिका एनडीए के भीतर 'गेम चैंजर' जैसी रही है। खासकर 2020 में जब उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ अपनी रणनीति से JDU को बड़ा नुकसान पहुंचाया। अब चिराग जानते हैं कि बीजेपी को अगर दलित और युवा वोट बैंक चाहिए, तो उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
माना जा रहा है कि चिराग का '243 सीटों पर चुनाव लड़ने' वाला दावा असल में एनडीए गठबंधन में 40 से 50 सीटें पाने के लिए दबाव बनाने की रणनीति है। दरअसल अंदरखाने एनडीए में सीटों को लेकर जो फॉर्मूला चल रहा है, उसमें बीजेपी और जेडीयू लगभग 100-101 सीटों पर लड़ेंगे, शेष 43 सीटों में से चिराग को 20, मांझी को 12 और उपेंद्र कुशवाहा को 10 सीटें दी जा सकती हैं। लेकिन चिराग पासवान लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के 100 फीसदी प्रदर्शन वाले रेकॉर्ड के सहारे ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो बीजेपी-जेडीयू उन्हें कम सीटों पर राजी करने की कोशिश करेगी।
क्या मुकेश सहनी को सता रहा 2020 वाला डर?
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन के साथी वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने हाल ही में पीएम मोदी के लिए 'जान देने' की बात कहकर सबको चौंका दिया। लेकिन यह बयान जितना भावनात्मक लग रहा है, उतना ही रणनीतिक भी है, क्योंकि मुकेश सहनी को 2020 वाला डर भी सता रहा होगा। 2020 में महागठबंधन में शामिल होने वाले मुकेश सहनी को कोई सीट नहीं मिली थी। इसके बाद उन्होंने तेजस्वी का साथ छोड़ दिया था। मुकेश सहनी ने उस वक्त कहा था कि वो डिप्टी सीएम का पद और 20 सीटों के वादे के साथ महागठबंधन में शामिल हुए थे। लेकिन उनके साथ विश्वासघात किया गया।
इस चुनाव में भी महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान मची हुई है। 2020 के चुनाव में महागठबंधन में राजद को 144 सीटें और कांग्रेस को 70 सीटें लड़ने के लिए मिली थीं। जबकि महागठबंधन के अन्य साथी भाकपा माले को 19, भाकपा को 6 और माकपा को 4 सीटें मिली थीं। माना जा रहा है कि इस बार भी पिछले चुनाव की तरह राजद 144 से 150 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। वहीं कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते उनकी सीटें कुछ कम हो सकती है।
महागठबंधन के साथी मुकेश सहनी जानते हैं कि उनका निषाद वोट बैंक सीमित है, लेकिन निर्णायक है। इसी के चलते मुकेश सहनी महागठबंधन को अपनी अहमियत बताने के लिए पीएम मोदी की तारीफ करने से नहीं चूकते और उनके लिए 'जान देने' की बात कहते नजर आते हैं।
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BJP का गेम प्लान क्या?
बीजेपी खुद चाहती है कि वह और जेडीयू दोनों लगभग बराबरी की सीटों पर लड़ें, यानी 100–100 के करीब। यह 2020 के चुनाव के बाद के राजनीतिक समझौते के तहत फिट बैठता है। शेष 43 सीटों का हिस्सा छोटे दलों को दिया जाना तय है। लेकिन यह तभी संभव है जब सभी सहयोगी चुपचाप मान जाएं, जो हो नहीं रहा है। माना जा रहा है कि चिराग पासवान अगर एनडीए से अलग होकर पिछली बार चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो बीजेपी मुकेश सहनी को अपने पाले में लाने के लिए सहनी को फिर से मंत्री का पद और 20 सीटें आसानी से दे सकती है। बता दें, मुकेश सहनी को बीजेपी ने ही पहली बार बिहार में मुकेश सहनी को मंत्री बनाया था।
माना जा रहा है कि बीजेपी की अंदरखाने मुकेश सहनी से भी बात चल रही है। तभी मुकेश सहनी बिहार बीजेपी के नेताओं पर हमला बोलते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के लिए जान देने की बात कहते हैं। क्योंकि मुकेश सहनी भी जानते हैं कि बीजेपी में होता वही है जो पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा तय करते हैं।
चिराग का दावा: 243 सीटों पर लड़ने का ऐलान या BJP को अल्टीमेटम?
एलजेपी (रामविलास) प्रमुख चिराग पासवान ने जब यह कहा कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर तैयारी कर रही है, तो यह सिर्फ आत्मविश्वास नहीं था, बल्कि एनडीए के दो बड़े दल बीजेपी और जेडीयू को एक सीधा संदेश भी था। बीते कुछ चुनावों में चिराग की भूमिका एनडीए के भीतर 'गेम चैंजर' जैसी रही है। खासकर 2020 में जब उन्होंने नीतीश कुमार के खिलाफ अपनी रणनीति से JDU को बड़ा नुकसान पहुंचाया। अब चिराग जानते हैं कि बीजेपी को अगर दलित और युवा वोट बैंक चाहिए, तो उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।
माना जा रहा है कि चिराग का '243 सीटों पर चुनाव लड़ने' वाला दावा असल में एनडीए गठबंधन में 40 से 50 सीटें पाने के लिए दबाव बनाने की रणनीति है। दरअसल अंदरखाने एनडीए में सीटों को लेकर जो फॉर्मूला चल रहा है, उसमें बीजेपी और जेडीयू लगभग 100-101 सीटों पर लड़ेंगे, शेष 43 सीटों में से चिराग को 20, मांझी को 12 और उपेंद्र कुशवाहा को 10 सीटें दी जा सकती हैं। लेकिन चिराग पासवान लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के 100 फीसदी प्रदर्शन वाले रेकॉर्ड के सहारे ज्यादा सीटों की मांग कर रहे हैं। अगर वो ऐसा नहीं करेंगे तो बीजेपी-जेडीयू उन्हें कम सीटों पर राजी करने की कोशिश करेगी।
क्या मुकेश सहनी को सता रहा 2020 वाला डर?
वहीं दूसरी ओर, महागठबंधन के साथी वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने हाल ही में पीएम मोदी के लिए 'जान देने' की बात कहकर सबको चौंका दिया। लेकिन यह बयान जितना भावनात्मक लग रहा है, उतना ही रणनीतिक भी है, क्योंकि मुकेश सहनी को 2020 वाला डर भी सता रहा होगा। 2020 में महागठबंधन में शामिल होने वाले मुकेश सहनी को कोई सीट नहीं मिली थी। इसके बाद उन्होंने तेजस्वी का साथ छोड़ दिया था। मुकेश सहनी ने उस वक्त कहा था कि वो डिप्टी सीएम का पद और 20 सीटों के वादे के साथ महागठबंधन में शामिल हुए थे। लेकिन उनके साथ विश्वासघात किया गया।
इस चुनाव में भी महागठबंधन में सीटों को लेकर खींचतान मची हुई है। 2020 के चुनाव में महागठबंधन में राजद को 144 सीटें और कांग्रेस को 70 सीटें लड़ने के लिए मिली थीं। जबकि महागठबंधन के अन्य साथी भाकपा माले को 19, भाकपा को 6 और माकपा को 4 सीटें मिली थीं। माना जा रहा है कि इस बार भी पिछले चुनाव की तरह राजद 144 से 150 सीटों पर चुनाव लड़ सकता है। वहीं कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के चलते उनकी सीटें कुछ कम हो सकती है।
महागठबंधन के साथी मुकेश सहनी जानते हैं कि उनका निषाद वोट बैंक सीमित है, लेकिन निर्णायक है। इसी के चलते मुकेश सहनी महागठबंधन को अपनी अहमियत बताने के लिए पीएम मोदी की तारीफ करने से नहीं चूकते और उनके लिए 'जान देने' की बात कहते नजर आते हैं।
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BJP का गेम प्लान क्या?
बीजेपी खुद चाहती है कि वह और जेडीयू दोनों लगभग बराबरी की सीटों पर लड़ें, यानी 100–100 के करीब। यह 2020 के चुनाव के बाद के राजनीतिक समझौते के तहत फिट बैठता है। शेष 43 सीटों का हिस्सा छोटे दलों को दिया जाना तय है। लेकिन यह तभी संभव है जब सभी सहयोगी चुपचाप मान जाएं, जो हो नहीं रहा है। माना जा रहा है कि चिराग पासवान अगर एनडीए से अलग होकर पिछली बार चुनाव लड़ने का फैसला करते हैं तो बीजेपी मुकेश सहनी को अपने पाले में लाने के लिए सहनी को फिर से मंत्री का पद और 20 सीटें आसानी से दे सकती है। बता दें, मुकेश सहनी को बीजेपी ने ही पहली बार बिहार में मुकेश सहनी को मंत्री बनाया था।
माना जा रहा है कि बीजेपी की अंदरखाने मुकेश सहनी से भी बात चल रही है। तभी मुकेश सहनी बिहार बीजेपी के नेताओं पर हमला बोलते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के लिए जान देने की बात कहते हैं। क्योंकि मुकेश सहनी भी जानते हैं कि बीजेपी में होता वही है जो पीएम नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा तय करते हैं।
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