सुमित शर्मा, कानपुर: यूपी के कानपुर ने रक्षा के क्षेत्र में अपना लोहा मनवाया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना पाकिस्तान में बने आतंकी कैंपों पर एयर स्ट्राइक कर ध्वस्त कर दिया था। इससे तिलमिलाए पाकिस्तान ने भारत पर सैकड़ों ड्रोन दागे थे। उसे भारतीय सेना ने एल-70, जू-23 और सिल्क गन सिस्टम से विफल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भविष्य में ड्रोन हमलों की आशंका को देखते हुए एयर डिफेंस गन सिस्टम की मांग बढ़ गई है।
ऐसे में रक्षामंत्रालय के पीएसयू एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कंपनी, कानपुर मुख्यालय के अधीन आयुध निर्माणियों में उन्नत संस्करण श्रेणी के स्वदेशी एयर डिफेंस गन सिस्टम पर अनुसंधान शुरू किया है। अनुसंधान में एयर गन वजन में हल्की हो। जिसकी मारक क्षमता और फायरिंग करने की समयावधि अधिक होनी चाहिए। रात के समय सटीक निशाना लगाने समेत अन्य बिंदुओं को शामिल किया गया है।
भविष्य के युद्ध ड्रोन से लड़े जाएंगे
एक्सपर्ट का मानना है कि अगले साल जुलाई तक उन्नत श्रेणी का एयर डिफेंस गन सिस्टम बना लिया जाए। ताकि ड्रोन के साथ ही मिसाइल, हेलीकॉप्टर को हवा में नष्ट करने में सक्षम हो। आयुध निर्माणी फैक्टरी के अधिकारियों का कहना है कि अब भविष्य में होने युद्ध में ड्रोन का इस्तेमाल अधिक होने के आसार हैं। ऐसे हालातों में हवा में ड्रोन को मार गिराने वाली स्वदेशी एयर डिफेंस गन की उपयोगिता अधिक बढ़ जाएगी।
रक्षा क्षेत्र में एयर डिफेंस गन की डिमांड बढने की संभावनाओं पर कंपनी ने बड़े पैमाने पर उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। फिलहाल कंपनी के आधीन आयुध निर्माणियों में 40 एमएम कैलिबर एयर डिफेंस गन सिस्टम बनाया जा रहा है। 2800 एमएम की लंबाई वाली बैरल से चार घंटे तक 12 किलोमीटर की रेंज तक 300 राउंड प्रति सेकेंड फायर कर सकती है। इसका गन सिस्टम 10 किलोमीटर के दायरे में लेजर किरणों को चिन्हित कर लक्ष्य पर सटीक मार करती है।
हवा और जमीन पर है सटीक मारक क्षमता
कंपनी के पास डीआरडीओ यानि रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) से मिली 12.7 मिमी कैलिबर की एयर डिफेंस गन की डिजाइन के आधार पर गन सिस्टम बनाने की तकनीकी दक्षता है। यह 25 किलोग्राम वजन की हवा में 1500 मीटर और जमीन में 2000 मीटर प्रभावी मारक क्षमता है। यह गन 800 राउंड प्रति मिनट फायरिंग करने में सक्षम है। दोनों गन सिस्टम एडब्ल्यूईआईएल कंपनी और इसके अधीन आयुध निर्माणियों की ताकत को दिखाता है।
ऐसे में रक्षामंत्रालय के पीएसयू एडवांस वेपन एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड कंपनी, कानपुर मुख्यालय के अधीन आयुध निर्माणियों में उन्नत संस्करण श्रेणी के स्वदेशी एयर डिफेंस गन सिस्टम पर अनुसंधान शुरू किया है। अनुसंधान में एयर गन वजन में हल्की हो। जिसकी मारक क्षमता और फायरिंग करने की समयावधि अधिक होनी चाहिए। रात के समय सटीक निशाना लगाने समेत अन्य बिंदुओं को शामिल किया गया है।
भविष्य के युद्ध ड्रोन से लड़े जाएंगे
एक्सपर्ट का मानना है कि अगले साल जुलाई तक उन्नत श्रेणी का एयर डिफेंस गन सिस्टम बना लिया जाए। ताकि ड्रोन के साथ ही मिसाइल, हेलीकॉप्टर को हवा में नष्ट करने में सक्षम हो। आयुध निर्माणी फैक्टरी के अधिकारियों का कहना है कि अब भविष्य में होने युद्ध में ड्रोन का इस्तेमाल अधिक होने के आसार हैं। ऐसे हालातों में हवा में ड्रोन को मार गिराने वाली स्वदेशी एयर डिफेंस गन की उपयोगिता अधिक बढ़ जाएगी।
रक्षा क्षेत्र में एयर डिफेंस गन की डिमांड बढने की संभावनाओं पर कंपनी ने बड़े पैमाने पर उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। फिलहाल कंपनी के आधीन आयुध निर्माणियों में 40 एमएम कैलिबर एयर डिफेंस गन सिस्टम बनाया जा रहा है। 2800 एमएम की लंबाई वाली बैरल से चार घंटे तक 12 किलोमीटर की रेंज तक 300 राउंड प्रति सेकेंड फायर कर सकती है। इसका गन सिस्टम 10 किलोमीटर के दायरे में लेजर किरणों को चिन्हित कर लक्ष्य पर सटीक मार करती है।
हवा और जमीन पर है सटीक मारक क्षमता
कंपनी के पास डीआरडीओ यानि रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एआरडीई) से मिली 12.7 मिमी कैलिबर की एयर डिफेंस गन की डिजाइन के आधार पर गन सिस्टम बनाने की तकनीकी दक्षता है। यह 25 किलोग्राम वजन की हवा में 1500 मीटर और जमीन में 2000 मीटर प्रभावी मारक क्षमता है। यह गन 800 राउंड प्रति मिनट फायरिंग करने में सक्षम है। दोनों गन सिस्टम एडब्ल्यूईआईएल कंपनी और इसके अधीन आयुध निर्माणियों की ताकत को दिखाता है।
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