नई दिल्ली: अमेरिका की एक संघीय अदालत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को गैरकानूनी बताया है। अदालत ने कहा कि ट्रेड डेफिसिट और बॉर्डर इश्यू को 'राष्ट्रीय आपातकाल' बताकर अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया है। अदालत के इस फैसले का क्या असर होगा, आइए समझते है।
क्या टैरिफ तुरंत हट गए है?नहीं। अदालत ने कहा कि फिलहाल टैरिफ लागू रहेंगे। ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका है। यानी व्यापारी, उपभोक्ता और भारत समेत बाकी देश अब भी लागू टैरिफ के असर में हैं। हालांकि ट्रंप पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी संसद में विदेश मामलों की कमेटी ट्रंप के टैरिफ पर एक्शन ले सकती है।
ट्रंप की ताकत पर क्या असर पड़ेगा? टैरिफ ट्रंप का सबसे बड़ा नेगोशिएशन हथियार रहा है। वे देशों को भारी शुल्क की धमकी देकर समझौते करवाते रहे हैं। अगर यह हथियार अदालत ने छीन लिया तो ट्रंप की ताकत घटेगी और दुनिया अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर सकती है। खासकर, ऐसे समय में जबकि अमेरिकी टैरिफ से परेशान होकर कई देश आपस में नजदीकियां बढ़ा रहे हैं।
कितना पैसा दांव पर है?जुलाई तक अमेरिका ने इन टैरिफ से 159 अरब डॉलर जुटाए हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें अवैध करार दिया, तो यह पैसा लौटाना पड़ सकता है। न्याय विभाग ने चेताया है कि ऐसा होने पर देश को 'वित्तीय तबाही' झेलनी पड़ सकती है।
अगला कदम क्या होगा?ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर फैसला उनके खिलाफ गया तो यह अमेरिका को तबाह कर देगा। अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप का साथ देता है, तो टैरिफ बने रहेंगे। अगर नहीं, तो अरबों डॉलर लौटाने होंगे और अमेरिका को नई व्यापार नीति बनानी पड़ेगी। ट्रंप की अदालत में हार के बाद भी टैरिफ बढ़ाने के विकल्प होंगे, लेकिन ये सीमित होंगे।
भारत को क्या राहत मिलेगी? यह फैसला उन टैक्स पर ही लागू होता है जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल के कानून के तहत लगाए गए थे। अगर सुप्रीम कोर्ट भी फैसले को बरकरार रखता है तो भारत पर लगाया गया 25% टैरिफ हटाया जा सकता है। हालांकि, साफ नहीं है कि रूस से तेल लेने पर लगा 25% शुल्क भी इसमें शामिल है या नहीं।
क्या टैरिफ तुरंत हट गए है?नहीं। अदालत ने कहा कि फिलहाल टैरिफ लागू रहेंगे। ट्रंप प्रशासन को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का मौका है। यानी व्यापारी, उपभोक्ता और भारत समेत बाकी देश अब भी लागू टैरिफ के असर में हैं। हालांकि ट्रंप पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी संसद में विदेश मामलों की कमेटी ट्रंप के टैरिफ पर एक्शन ले सकती है।
ट्रंप की ताकत पर क्या असर पड़ेगा? टैरिफ ट्रंप का सबसे बड़ा नेगोशिएशन हथियार रहा है। वे देशों को भारी शुल्क की धमकी देकर समझौते करवाते रहे हैं। अगर यह हथियार अदालत ने छीन लिया तो ट्रंप की ताकत घटेगी और दुनिया अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर सकती है। खासकर, ऐसे समय में जबकि अमेरिकी टैरिफ से परेशान होकर कई देश आपस में नजदीकियां बढ़ा रहे हैं।
कितना पैसा दांव पर है?जुलाई तक अमेरिका ने इन टैरिफ से 159 अरब डॉलर जुटाए हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें अवैध करार दिया, तो यह पैसा लौटाना पड़ सकता है। न्याय विभाग ने चेताया है कि ऐसा होने पर देश को 'वित्तीय तबाही' झेलनी पड़ सकती है।
अगला कदम क्या होगा?ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट जाने का ऐलान किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर फैसला उनके खिलाफ गया तो यह अमेरिका को तबाह कर देगा। अगर सुप्रीम कोर्ट ट्रंप का साथ देता है, तो टैरिफ बने रहेंगे। अगर नहीं, तो अरबों डॉलर लौटाने होंगे और अमेरिका को नई व्यापार नीति बनानी पड़ेगी। ट्रंप की अदालत में हार के बाद भी टैरिफ बढ़ाने के विकल्प होंगे, लेकिन ये सीमित होंगे।
भारत को क्या राहत मिलेगी? यह फैसला उन टैक्स पर ही लागू होता है जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक आपातकाल के कानून के तहत लगाए गए थे। अगर सुप्रीम कोर्ट भी फैसले को बरकरार रखता है तो भारत पर लगाया गया 25% टैरिफ हटाया जा सकता है। हालांकि, साफ नहीं है कि रूस से तेल लेने पर लगा 25% शुल्क भी इसमें शामिल है या नहीं।
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