Indians on H-1B Visa: अमेरिका लंबे समय से एजुकेशन और जॉब अवसरों की तलाश कर रहे लोगों के लिए एक चुंबक की तरह रहा है। लेकिन पॉलिसी में मौजूदा बदलाव ने स्थिति बदल दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने H-1B वीजा की फीस बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दी है। ऐसे में विदेशी वर्कर्स के लिए यहां नौकरी पाना नामुमकिन हो गया है। भारतीय इंजीनियर श्रेया मिश्रा रेड्डी के लिए भी कुछ ऐसी ही स्थिति है। ये हाल तब है, जब उन्होंने ड्यूक यूनिवर्सिटी से डिग्री ली हुई है।
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बिजनेस इनसाइडर से बात करते हुए श्रेया ने कहा, ट्रंप सरकार के फैसले से अनिश्चितता पैदा हो गई है। उन्होंने बताया कि वह अपने पैरेंट्स के साथ रहना चाहती थीं, लेकिन फिर अच्छे जॉब अवसर की वजह से उन्होंने दिसंबर 2021 में ड्यूक यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट के मास्टर्स प्रोग्राम में हिस्सा लिया। 2022 में ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने 2023 में OPT पर वीजा कंपनी में टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया। लेकिन वर्क एक्सपीरियंस के बाद भी उन्हें तीन बार H-1B वीजा नहीं मिला।
अमेरिका में कोई उम्मीद नहीं बची: श्रेया
सबसे बड़ी परेशानी H-1B वीजा की फीस है। श्रेया ने कहा, 'नई 1 लाख डॉलर की H-1B वीजा फीस की वजह से ऐसा लगता है कि कोई उम्मीद ही नहीं बची है।' ट्रंप सरकार का फैसला ऐसे समय पर आया है, जब उनका OPT जनवरी 2026 में एक्सपायर होने वाला है। उन्होंने कहा, 'मैंने भारत लौटने और फिर से अप्लाई करने का सोचा था, लेकिन अब वित्तीय चुनौतियों को पार करना असंभव लगता है।' ऐसा ही हाल यहां पढ़ाई कर रहे लगभग हर विदेशी छात्र का है, जिसे H-1B वीजा नहीं मिल रहा है।
श्रेया ने कहा, 'मुझे लगा कि मैं अमेरिका छोड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हूं, लेकिन जब मैंने नतीजे देखे तो ऑफिस में ही टूट गयी।' अब वह अमेरिका से इतर भी अन्य विकल्पों की ओर देख रही हैं। उन्होंने कहा, 'हार्वर्ड, ड्यूक और वीजा से हासिल एक्सपीरियंस के आधार पर, मुझे लगता है कि मेरे पास भारत या अन्य देशों में जॉब के लिए ज्यादा मजबूत बायोडाटा है।' H-1B वीजा फीस बढ़ने की वजह से बहुत से स्किल प्रोफेशनल्स अब धीरे-धीरे अमेरिका के अलावा अन्य विकल्प की तरफ देख रहे हैं।
किसके लिए बेस्ट है अमेरिका?
भारतीय इंजीनियर ने अमेरिका में बदलते हुए माहौल का जिक्र किया और बताया कि यहां आकर पढ़ना किसके लिए बेस्ट है। उन्होंने कहा, 'यहां पढ़ाई करना तभी उचित होगा, जब आप अपने स्टूडेंट वर्क ऑथराइजेशन के खत्म होने के बाद अमेरिका से जाने के लिए तैयार हों, बशर्ते कि आपको H-1B वीजा भी ना मिले।'
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बिजनेस इनसाइडर से बात करते हुए श्रेया ने कहा, ट्रंप सरकार के फैसले से अनिश्चितता पैदा हो गई है। उन्होंने बताया कि वह अपने पैरेंट्स के साथ रहना चाहती थीं, लेकिन फिर अच्छे जॉब अवसर की वजह से उन्होंने दिसंबर 2021 में ड्यूक यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग मैनेजमेंट के मास्टर्स प्रोग्राम में हिस्सा लिया। 2022 में ग्रेजुएट होने के बाद उन्होंने 2023 में OPT पर वीजा कंपनी में टेक्निकल प्रोग्राम मैनेजर के तौर पर ज्वाइन किया। लेकिन वर्क एक्सपीरियंस के बाद भी उन्हें तीन बार H-1B वीजा नहीं मिला।
अमेरिका में कोई उम्मीद नहीं बची: श्रेया
सबसे बड़ी परेशानी H-1B वीजा की फीस है। श्रेया ने कहा, 'नई 1 लाख डॉलर की H-1B वीजा फीस की वजह से ऐसा लगता है कि कोई उम्मीद ही नहीं बची है।' ट्रंप सरकार का फैसला ऐसे समय पर आया है, जब उनका OPT जनवरी 2026 में एक्सपायर होने वाला है। उन्होंने कहा, 'मैंने भारत लौटने और फिर से अप्लाई करने का सोचा था, लेकिन अब वित्तीय चुनौतियों को पार करना असंभव लगता है।' ऐसा ही हाल यहां पढ़ाई कर रहे लगभग हर विदेशी छात्र का है, जिसे H-1B वीजा नहीं मिल रहा है।
श्रेया ने कहा, 'मुझे लगा कि मैं अमेरिका छोड़ने के लिए मानसिक रूप से तैयार हूं, लेकिन जब मैंने नतीजे देखे तो ऑफिस में ही टूट गयी।' अब वह अमेरिका से इतर भी अन्य विकल्पों की ओर देख रही हैं। उन्होंने कहा, 'हार्वर्ड, ड्यूक और वीजा से हासिल एक्सपीरियंस के आधार पर, मुझे लगता है कि मेरे पास भारत या अन्य देशों में जॉब के लिए ज्यादा मजबूत बायोडाटा है।' H-1B वीजा फीस बढ़ने की वजह से बहुत से स्किल प्रोफेशनल्स अब धीरे-धीरे अमेरिका के अलावा अन्य विकल्प की तरफ देख रहे हैं।
किसके लिए बेस्ट है अमेरिका?
भारतीय इंजीनियर ने अमेरिका में बदलते हुए माहौल का जिक्र किया और बताया कि यहां आकर पढ़ना किसके लिए बेस्ट है। उन्होंने कहा, 'यहां पढ़ाई करना तभी उचित होगा, जब आप अपने स्टूडेंट वर्क ऑथराइजेशन के खत्म होने के बाद अमेरिका से जाने के लिए तैयार हों, बशर्ते कि आपको H-1B वीजा भी ना मिले।'
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