H-1B Visa News: भारतीय वर्कर्स के अमेरिका में जॉब का सपना पूरा करने में सबसे बड़ा योगदान H-1B वीजा देते हुए आया है। हर साल हजारों भारतीय इस वीजा के जरिए अमेरिकी टेक कंपनियों में जॉब के लिए जाते हैं। फाइनेंस और हेल्थकेयर सेक्टर में भी भारतीयों को इस वीजा प्रोग्राम से जॉब मिलती है। हालांकि, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से ही H-1B वीजा प्रोग्राम निशाने पर है। अमेरिका में एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो चाहता है कि इस वीजा प्रोग्राम को जल्द से जल्द खत्म किया जाए।
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राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व रणनीतिकार स्टीव बैनन ने मांग की कि स्टूडेंट वीजा पर रोक लगा दी जाए, ताकि कोई भी विदेशी स्टूडेंट देश में ना रह पाए। ऐसा होने पर उन्हें यहां जॉब भी नहीं मिलेगी। इसी तरह से कांग्रेसवुमैन मारजरी टेलर ग्रीन ने भारतीय H-1B वीजा होल्डर्स पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना है कि वे अमेरिकी टेक ग्रेजुएट्स से मुकाबला कर रहे हैं। कुल मिलाकर ये कहा जा रहा है कि H-1B वीजा होल्डर्स अमेरिका में आकर यहां के लोगों की नौकरियां ले रहे हैं, जिससे वे बेरोजगार रह जा रहे हैं।
अमेरिका मे जॉब गई तो कहां जाएंगे H-1B होल्डर्स?
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को निर्देश दिया कि वे भारत में हायरिंग बंद कर दें। इसे देखते हुए वर्कप्लेस से जुड़ी चीजें पोस्ट करने वाली वेबसाइट ब्लाइंड ने एक पोल किया, जो 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच हुआ। इसमें 63 फीसदी अमेरिकी प्रोफेशनल्स ने कहा कि ट्रंप की बातों को मानने से उनकी कंपनी को फायदा मिलेगा। वहीं भारत में मौजूद 69 लोगों ने कहा कि इसकी वजह से उनकी कंपनी को नुकसान होगा। ये दिखाता है कि स्किल प्रोफेशनल्स के बीच भी एंटी-अमेरिका नैरेटिव भरा है।
ब्लाइंड के पोल में उन संभावनाओं को लेकर भी लोगों की राय जानी गई, जिसका असर भारतीयों पर होगा। उनसे पूछा गया कि अगर अमेरिका में जॉब जाने के बाद भारतीयों को देश छोड़ने पर मजबूर किया जाएगा, तो वे क्या करेंगे? इसके जवाब में 45 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भारत लौट जाएंगे। 29 फीसदी ने कहा कि वे अभी फैसला नहीं ले पाएं हैं और 26 फीसदी ऐसे लोग थे, जिन्होंने कहा कि वे दूसरे देश में बस जाएंगे। सिर्फ 35 फीसदी लोग ही थे, जिन्होंने फिर से अमेरिका में वर्क वीजा पाने की इच्छा जताई।
भारतीयों के लिए अमेरिका के क्या विकल्प हैं?
अब यहां सवाल उठता है कि अगर भारतीयों की जॉब चली जाती है, तो उन्हें किन देशों में जॉब के लिए जाना चाहिए। सबसे बढ़िया ऑप्शन खाड़ी के देश हैं, जहां उन्हें सैलरी पर टैक्स भी नहीं देना होगा। अमेरिका रिटर्न होने की वजह से उन्हें संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, कुवैत, ओमान और सऊदी अरब में अच्छी सैलरी वाली नौकरियां आसानी से मिल जाएंगी। इसके अलावा यूरोप के देशों, जैसे जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, फिनलैंड, लक्जमबर्ग में भी जॉब करने का ऑप्शन है। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का भी रास्ता खुला रहता है।
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राष्ट्रपति ट्रंप के पूर्व रणनीतिकार स्टीव बैनन ने मांग की कि स्टूडेंट वीजा पर रोक लगा दी जाए, ताकि कोई भी विदेशी स्टूडेंट देश में ना रह पाए। ऐसा होने पर उन्हें यहां जॉब भी नहीं मिलेगी। इसी तरह से कांग्रेसवुमैन मारजरी टेलर ग्रीन ने भारतीय H-1B वीजा होल्डर्स पर रोक लगाने की मांग की। उनका कहना है कि वे अमेरिकी टेक ग्रेजुएट्स से मुकाबला कर रहे हैं। कुल मिलाकर ये कहा जा रहा है कि H-1B वीजा होल्डर्स अमेरिका में आकर यहां के लोगों की नौकरियां ले रहे हैं, जिससे वे बेरोजगार रह जा रहे हैं।
अमेरिका मे जॉब गई तो कहां जाएंगे H-1B होल्डर्स?
हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी कंपनियों को निर्देश दिया कि वे भारत में हायरिंग बंद कर दें। इसे देखते हुए वर्कप्लेस से जुड़ी चीजें पोस्ट करने वाली वेबसाइट ब्लाइंड ने एक पोल किया, जो 28 जुलाई से 8 अगस्त के बीच हुआ। इसमें 63 फीसदी अमेरिकी प्रोफेशनल्स ने कहा कि ट्रंप की बातों को मानने से उनकी कंपनी को फायदा मिलेगा। वहीं भारत में मौजूद 69 लोगों ने कहा कि इसकी वजह से उनकी कंपनी को नुकसान होगा। ये दिखाता है कि स्किल प्रोफेशनल्स के बीच भी एंटी-अमेरिका नैरेटिव भरा है।
ब्लाइंड के पोल में उन संभावनाओं को लेकर भी लोगों की राय जानी गई, जिसका असर भारतीयों पर होगा। उनसे पूछा गया कि अगर अमेरिका में जॉब जाने के बाद भारतीयों को देश छोड़ने पर मजबूर किया जाएगा, तो वे क्या करेंगे? इसके जवाब में 45 फीसदी लोगों ने कहा कि वे भारत लौट जाएंगे। 29 फीसदी ने कहा कि वे अभी फैसला नहीं ले पाएं हैं और 26 फीसदी ऐसे लोग थे, जिन्होंने कहा कि वे दूसरे देश में बस जाएंगे। सिर्फ 35 फीसदी लोग ही थे, जिन्होंने फिर से अमेरिका में वर्क वीजा पाने की इच्छा जताई।
भारतीयों के लिए अमेरिका के क्या विकल्प हैं?
अब यहां सवाल उठता है कि अगर भारतीयों की जॉब चली जाती है, तो उन्हें किन देशों में जॉब के लिए जाना चाहिए। सबसे बढ़िया ऑप्शन खाड़ी के देश हैं, जहां उन्हें सैलरी पर टैक्स भी नहीं देना होगा। अमेरिका रिटर्न होने की वजह से उन्हें संयुक्त अरब अमीरात, कतर, बहरीन, कुवैत, ओमान और सऊदी अरब में अच्छी सैलरी वाली नौकरियां आसानी से मिल जाएंगी। इसके अलावा यूरोप के देशों, जैसे जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन, फिनलैंड, लक्जमबर्ग में भी जॉब करने का ऑप्शन है। ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया का भी रास्ता खुला रहता है।
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