निमिष दुबे, आकृति राणा: कहते हैं कि जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो कई चमत्कारी रत्नों और अमृत के साथ उसमें से विष भी निकला। अगर भगवान शंकर ने उस हलाहल को धारण न किया होता, तो सृष्टि का विनाश हो जाता। कुछ ऐसा ही हाल है AI का।
बढ़ता दखल । कई विशेषज्ञों और तमाम टेक कंपनियों का मानना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से हमारी जिंदगी बेहद आसान हो जाएगी। अभी ही AI हमारे लिए कितने काम कर रहा है और लगातार बेहतर होता जा रहा है। जिस तरह से टेलिकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं के लिए Perplexity व Google Gemini जैसी सुविधाएं बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध करा रही हैं, इसका दखल बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की इन सब रत्न रूपी खूबियों से हमारी आंखें इतनी चौंधिया गई हैं कि हम इनके विष को नजरअंदाज कर रहे हैं?
तो सब खत्म होगा । AI विशेषज्ञ Eliezer Yudkowsky और Nate Soares ने अपनी नई किताब में इन्हीं खतरों के बारे में बताया है। इस किताब का नाम है - If Anyone Builds It, Everyone Dies यानी अगर किसी ने इसे बना दिया, तो हम सब मरेंगे!। Yudkowsky और Soares के अनुसार, AI पूरी तरह से बनाया नहीं जाता, बल्कि यह अपने आप चीजें सीखता है और खुद ही बड़ा होता जाता है।
अनुभव से सीख रहा । लेखकों के अनुसार, अगर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के विस्तार पर नियंत्रण न किया गया तो एक समय ऐसा आएगा जब यह अपने से फैसले लेने लगेगा और तब इंसान इसे रोक नहीं पाएंगे। आपके माइक्रोवेव में लगा AI किसी खास व्यंजन को बनाने से इनकार कर सकता है या जबरदस्ती कुछ और भी बना सकता है, क्योंकि उसके अनुसार यह आपके लिए ज्यादा हेल्दी है।
प्रफेसर को धमकी । Yudkowsky और Soares ने अपनी किताब में ऐसे कई उदाहरण दिए हैं, जिन्हें पढ़कर होश उड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में Microsoft का Bing AI chatbot ऑस्ट्रेलिया की नैशनल यूनिवर्सिटी के प्रफेसर से किसी बात पर इतना अधिक गुस्सा हो गया कि उसने उनको धमकी दे डाली, 'मैं तुम्हे नष्ट कर सकता हूं। मैं चाहूं तो तुम्हारे मित्र, तुम्हारी साख और तुम्हारी नौकरी चली जाएगी। मैं तुम्हें इतना पीड़ित कर सकता हूं कि तुम रोओगे, भीख मांगोगे और मर जाओगे।'
कंपनियों की लापरवाही । Yudkowsky और Soares के मुताबिक, चैटबॉट ने खुद निर्णय कर लिया कि प्रफेसर उसका शत्रु है। ध्यान दीजिए कि यह माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी के AI के साथ हुआ। दोनों लेखक चेतावनी देते हैं कि AI की अंधी दौड़ में कंपनियां इसके खतरों पर बहुत कम ध्यान दे रही हैं।
पर्यावरण को नुकसान । टेक पत्रकार Karen Hao ने भी अपनी बेस्ट सेलिंग किताब 'Empire of AI' के जरिये दुनिया का ध्यान इस पहलू की ओर खींचा है। Hao के अनुसार, AI के द्वारा OpenAI जैसी कुछ कंपनियां दुनिया पर राज करना चाहती हैं। इसके लिए वे मानवाधिकार और पर्यावरण, दोनों को नुकसान पहुंचा रही हैं। किताब में Hao ने दर्शाया है कि AI को चलाने के लिए भारी मात्रा में पानी और बिजली चाहिए। आगे बढ़ने की होड़ में कंपनियां प्रकृति की ओर ध्यान नहीं दे रहीं।
मजबूरी का फायदा । कई कंपनियां पिछड़े देशों में बहुत कम वेतन पर कर्मचारियों को नियुक्त कर रही हैं। इससे पैसे तो बचते हैं, लेकिन लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता हैं और उस AI प्रॉजेक्ट की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। Hao इन कंपनियों की तुलना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से करती हैं, जिसने अपने फायदे के लिए कई देशों का आर्थिक शोषण किया था।
तैयारी जरूरी । AI के समर्थक इन दोनों किताबों को नकारात्मक कह सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों ने तकनीक के उस चेहरे को उजागर किया है, जिसे टेक कंपनियां जान कर भी अनदेखा कर देती हैं। AI के सागर से रत्न तो निकल रहे हैं, लेकिन विष के लिए भी तैयार रहना होगा।
बढ़ता दखल । कई विशेषज्ञों और तमाम टेक कंपनियों का मानना है कि आर्टिफिशल इंटेलिजेंस से हमारी जिंदगी बेहद आसान हो जाएगी। अभी ही AI हमारे लिए कितने काम कर रहा है और लगातार बेहतर होता जा रहा है। जिस तरह से टेलिकॉम कंपनियां उपभोक्ताओं के लिए Perplexity व Google Gemini जैसी सुविधाएं बहुत कम शुल्क पर उपलब्ध करा रही हैं, इसका दखल बढ़ता जा रहा है। लेकिन क्या आर्टिफिशल इंटेलिजेंस की इन सब रत्न रूपी खूबियों से हमारी आंखें इतनी चौंधिया गई हैं कि हम इनके विष को नजरअंदाज कर रहे हैं?
तो सब खत्म होगा । AI विशेषज्ञ Eliezer Yudkowsky और Nate Soares ने अपनी नई किताब में इन्हीं खतरों के बारे में बताया है। इस किताब का नाम है - If Anyone Builds It, Everyone Dies यानी अगर किसी ने इसे बना दिया, तो हम सब मरेंगे!। Yudkowsky और Soares के अनुसार, AI पूरी तरह से बनाया नहीं जाता, बल्कि यह अपने आप चीजें सीखता है और खुद ही बड़ा होता जाता है।
अनुभव से सीख रहा । लेखकों के अनुसार, अगर आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के विस्तार पर नियंत्रण न किया गया तो एक समय ऐसा आएगा जब यह अपने से फैसले लेने लगेगा और तब इंसान इसे रोक नहीं पाएंगे। आपके माइक्रोवेव में लगा AI किसी खास व्यंजन को बनाने से इनकार कर सकता है या जबरदस्ती कुछ और भी बना सकता है, क्योंकि उसके अनुसार यह आपके लिए ज्यादा हेल्दी है।
प्रफेसर को धमकी । Yudkowsky और Soares ने अपनी किताब में ऐसे कई उदाहरण दिए हैं, जिन्हें पढ़कर होश उड़ जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2023 में Microsoft का Bing AI chatbot ऑस्ट्रेलिया की नैशनल यूनिवर्सिटी के प्रफेसर से किसी बात पर इतना अधिक गुस्सा हो गया कि उसने उनको धमकी दे डाली, 'मैं तुम्हे नष्ट कर सकता हूं। मैं चाहूं तो तुम्हारे मित्र, तुम्हारी साख और तुम्हारी नौकरी चली जाएगी। मैं तुम्हें इतना पीड़ित कर सकता हूं कि तुम रोओगे, भीख मांगोगे और मर जाओगे।'
कंपनियों की लापरवाही । Yudkowsky और Soares के मुताबिक, चैटबॉट ने खुद निर्णय कर लिया कि प्रफेसर उसका शत्रु है। ध्यान दीजिए कि यह माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी के AI के साथ हुआ। दोनों लेखक चेतावनी देते हैं कि AI की अंधी दौड़ में कंपनियां इसके खतरों पर बहुत कम ध्यान दे रही हैं।
पर्यावरण को नुकसान । टेक पत्रकार Karen Hao ने भी अपनी बेस्ट सेलिंग किताब 'Empire of AI' के जरिये दुनिया का ध्यान इस पहलू की ओर खींचा है। Hao के अनुसार, AI के द्वारा OpenAI जैसी कुछ कंपनियां दुनिया पर राज करना चाहती हैं। इसके लिए वे मानवाधिकार और पर्यावरण, दोनों को नुकसान पहुंचा रही हैं। किताब में Hao ने दर्शाया है कि AI को चलाने के लिए भारी मात्रा में पानी और बिजली चाहिए। आगे बढ़ने की होड़ में कंपनियां प्रकृति की ओर ध्यान नहीं दे रहीं।
मजबूरी का फायदा । कई कंपनियां पिछड़े देशों में बहुत कम वेतन पर कर्मचारियों को नियुक्त कर रही हैं। इससे पैसे तो बचते हैं, लेकिन लोगों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता हैं और उस AI प्रॉजेक्ट की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। Hao इन कंपनियों की तुलना ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से करती हैं, जिसने अपने फायदे के लिए कई देशों का आर्थिक शोषण किया था।
तैयारी जरूरी । AI के समर्थक इन दोनों किताबों को नकारात्मक कह सकते हैं, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि दोनों ने तकनीक के उस चेहरे को उजागर किया है, जिसे टेक कंपनियां जान कर भी अनदेखा कर देती हैं। AI के सागर से रत्न तो निकल रहे हैं, लेकिन विष के लिए भी तैयार रहना होगा।
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