नेपाल में सोमवार (8 सितंबर) को हुए प्रदर्शनों और उसमें भड़की हिंसा को लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बड़ा बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि देशभर में जिस तरह विरोध-प्रदर्शन के दौरान हालात बेकाबू हुए और नागरिकों की जान गई, उससे वे गहराई से दुखी और व्यथित हैं। ओली ने अपने संबोधन में कहा, “हमें भरोसा था कि नई पीढ़ी अपनी मांगों को शांतिपूर्ण तरीके से रखेगी, लेकिन अफसोस कि कुछ असामाजिक और स्वार्थी तत्वों की दखलंदाजी ने वातावरण खराब कर दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि निर्दोष लोगों की जिंदगी चली गई, जो बेहद पीड़ादायक है।”Nepal Prime Minister K.P. Sharma Oli releases a statement on the large-scale protests in the country
— ANI (@ANI) September 9, 2025
Says, "I am deeply saddened by the tragic incident that took place during the protest called by the Gen-Z generation today. While we were confident that our children will… pic.twitter.com/wEXYW6hVAY
सोशल मीडिया बैन को लेकर सफाई
पीएम ओली ने इस मौके पर साफ किया कि सरकार सोशल मीडिया पर स्थायी रोक लगाने के पक्ष में कभी नहीं रही। उनका कहना था कि देश में नागरिकों को इसका इस्तेमाल करने का सुरक्षित और संतुलित माहौल उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, “इसके लिए निरंतर विरोध की कोई आवश्यकता नहीं थी। अब सरकार इस परिस्थिति को और आगे बढ़ने नहीं देगी।”
हिंसा की जांच और जिम्मेदारी तय होगी
प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया कि इस घटना की निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। उन्होंने घोषणा की कि एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया जाएगा, जो हिंसा की परिस्थितियों, नुकसान और कारणों का गहन अध्ययन करेगी। यह समिति 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम सुझाएगी।
युवाओं से शांति बनाए रखने की अपील
अपने बयान के अंत में ओली ने खास तौर पर युवाओं से आग्रह किया कि वे संयम रखें और हिंसा का रास्ता न अपनाएं। उन्होंने कहा कि सरकार जनता की आवाज सुनने और उनकी समस्याओं का समाधान खोजने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। साथ ही उन्होंने भरोसा दिलाया कि लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर युवाओं की मांगों को गंभीरता से लिया जाएगा।
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