तुमकुरु, 2 जून . कर्नाटक सरकार ने नक्सल विरोधी बल की तर्ज पर एक ‘सांप्रदायिकता विरोधी बल’ लागू करने का आदेश जारी किया है. ‘सांप्रदायिकता विरोधी बल’ के कर्मियों को अलग वर्दी, शक्तियां और वाहन प्रदान किए जाएंगे. गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि ये तैयारियां 10 दिनों के भीतर पूरी की जानी हैं, जिसके बाद बल को तीन तटीय जिलों में तैनात किया जाएगा.
तुमकुरु में मीडिया से बात करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि सांप्रदायिकता विरोधी बल में करीब 300 पुलिस अधिकारी शामिल होंगे, जिनमें एक डीआईजी, एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर, सब-इंस्पेक्टर और अन्य कर्मचारी शामिल होंगे. चूंकि यह एक विशेष बल है, इसलिए प्रशिक्षण आवश्यक है और कर्मचारियों को करकला के प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण दिया जाएगा.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कानून तोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, वह मुस्लिम हों, हिंदू हों या कोई और. उन्होंने कहा, “किसी भी तरह की नरमी किसी भी कानून तौड़ने वाले के खिलाफ नहीं बरती जाएगी.”
परमेश्वर ने तटीय इलाकों के निवासियों, खास तौर पर मंगलुरु के निवासियों से सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में सहयोग की अपील की. उन्होंने कहा, “जब मंगलुरु, उडुपी और राज्य के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक सद्भाव कायम रहेगा तो दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से बचा जा सकता है.”
कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर उन्होंने हैदराबाद के एक विश्वविद्यालय द्वारा किए गए अध्ययन का हवाला दिया, जिसमें कर्नाटक की तुलना अन्य राज्यों से की गई थी और निष्कर्ष निकाला गया था कि कर्नाटक सबसे सुरक्षित राज्यों में से एक है. उन्होंने स्पष्ट किया, “यह मेरा व्यक्तिगत दावा नहीं है; यह विश्वविद्यालय की रिपोर्ट पर आधारित है.”
इससे पहले पत्रकारों से बात करते हुए गृह मंत्री जी परमेश्वर ने कहा था, ‘हमने नक्सल विरोधी बल को भंग करने की योजना बनाई थी, जिसके आधे हिस्से को ‘सांप्रदायिकता विरोधी बल’ में तब्दील कर दिया गया है. उन्हें सभी आवश्यक शक्तियां और सुविधाएं प्रदान की जाएंगी. वे तीन जिलों – शिवमोग्गा, उडुपी और दक्षिण कन्नड़ – में काम करना शुरू करेंगे.’
परमेश्वर ने कहा कि दक्षिण कन्नड़, उडुपी, शिवमोग्गा और सांप्रदायिक गतिविधियों वाले अन्य स्थानों को ‘संवेदनशील’ माना जाएगा और ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ ‘कठोर कार्रवाई’ की जाएगी.
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एएसएच/जीकेटी
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