मुंबई, 2 जुलाई . एनसीपी (एससीपी) विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने बुधवार को तीन भाषा फार्मूले को लेकर महाराष्ट्र सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि हम भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वे तीसरी भाषा को जबरन क्यों थोप रहे हैं?
रोहित राजेंद्र पवार ने से बात करते हुए कहा, “सभी राज्यों में इंग्लिश पढ़ाई जाती है, लेकिन मुझे लगता है कि यहां की मातृभाषा मराठी है और महाराष्ट्र में इस पर ज्यादा फोकस देना चाहिए. हमारे यहां अंग्रेजी और मराठी भाषा पहले से ही हैं, मेरा सवाल सरकार से यह है कि वह तीसरी भाषा हिंदी को क्यों लेकर आ रहे हैं. हम भाषा के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन अगर कोई तीसरी भाषा जबरन थोपी जाती है, तो इसका बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है. इसलिए कोई भी नेता कुछ भी कहे, यह ज्यादा महत्वपूर्ण है कि जो फैसला वापस लिया गया, वह लोगों की मांग थी. सरकार को लोगों के दबाव में यह फैसला वापस लेना पड़ा.”
कांग्रेस के महानगर पालिका का चुनाव अकेले लड़ने पर रोहित पवार ने कहा, “मुंबई, नागपुर, पुणे, सोलापुर, कोल्हापुर और नासिक जैसे बड़े नगर निगमों में सभी पार्टी नेता एक साथ बैठकर फैसला लेंगे. फैसला लेने के बाद तय होगा कि चुनाव कैसे लड़ा जाएगा. अगर कोई बड़ा नेता इस तरह का बयान देता है, तो ये उनका निजी मत होगा. इसके बावजूद हम चुनाव को लेकर स्थानीय नेताओं से बात करके निर्णय करेंगे.”
महाराष्ट्र विधानसभा से कांग्रेस विधायक नाना पटोले के निलंबन पर एनसीपी-एससीपी विधायक रोहित राजेंद्र पवार ने कहा, “शुरू में नाना पटोले और हम सभी ने कहा था कि लोनिकर और माणिकराव कोकाटे को किसानों के खिलाफ दिए गए बयान के लिए माफी मांगनी चाहिए. हमें बस इतना ही कहना था, लेकिन स्पीकर हमें बोलने का मौका नहीं दे रहे थे और बार-बार व्यवधान आ रहा था. ऐसे में नाना के पास कोई दूसरा विकल्प नहीं था. वे किसानों की आवाज स्पीकर तक पहुंचाने के लिए ऊपर (स्पीकर के पोडियम) चले गए. अगर लोनिकर को बुलाकर किसानों से माफी मांगने के लिए कहा जाता तो मामला खत्म हो जाता, लेकिन लोनिकर को सामने लाने की बजाय नाना पटोले के खिलाफ कार्रवाई की गई. इससे यह संदेश गया कि सरकार को इस बात की परवाह नहीं है कि किसानों या आम आदमी के खिलाफ कुछ कहा जाए.”
रोहित पवार ने भाजपा पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “अगर आप भाजपा की बात करते हैं तो वे सच नहीं बोलते हैं, बल्कि वे सिर्फ झूठ बोलते हैं. वे हर वक्त इतिहास को बदलने का प्रयास करते हैं. इस देश के इतिहास को आरएसएस हो या भाजपा हो या उनके विचार के लोग हों, वे सिर्फ उन्हें बदलना चाहते हैं.”
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