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वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत की आर्थिक वृद्धि पटरी पर बनी हुई है : रिपोर्ट

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New Delhi, 11 जुलाई . बैंक ऑफ बड़ौदा (बीओबी) की Friday को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि पटरी पर बनी हुई है. सेवाओं और विनिर्माण दोनों के हाई फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर में सुधार हुआ है और वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही की तुलना में वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में खपत में तेजी दर्ज की गई है.

बीओबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पहली तिमाही के लिए उपलब्ध अब तक के हाई फ्रिक्वेंसी डेटा से पता चलता है कि पिछली तिमाही की तुलना में खपत मांग में सुधार हो रहा है. यह स्टील की खपत में वृद्धि, इलेक्ट्रॉनिक आयात में वृद्धि और केंद्र सरकार के राजस्व व्यय में वृद्धि से दिखाई देता है.

सर्विस इंडीकेटर में भी एक्टिविटी में तेजी देखी जा रही है, जैसा कि सर्विसेज पीएमआई, वाहन पंजीकरण, डीजल खपत, राज्यों के राजस्व संग्रह और ई-वे बिल जनरेशन के मामले में देखा जा सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, दोपहिया वाहनों की बिक्री के प्रदर्शन में कुछ तनाव देखा जा सकता है और कंज्यूमर ड्यूरेबल और एफएमसीजी उत्पादन में नरमी देखी जा सकती है. घरेलू मुद्रास्फीति अनुकूल बनी हुई है, जो नरम मौद्रिक नीति का संकेत देती है जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा.

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मानसून की गतिविधि 9 जुलाई तक लंबी अवधि के औसत से 15 प्रतिशत अधिक है, जिससे कृषि क्षेत्र को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति मजबूत है और राजकोषीय घाटा अनुपात अप्रैल 2025 के 4.6 प्रतिशत से घटकर मई 2025 तक 4.5 प्रतिशत हो गया है.

रिपोर्ट रुपए के भविष्य के बारे में भी सकारात्मक है. इसमें कहा गया है कि मई में 1.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद जून में रुपए में 0.2 प्रतिशत की मामूली गिरावट आई. भू-राजनीतिक तनाव कम होने और डॉलर के कमजोर होने के कारण महीने के आखिरी 15 दिनों में घरेलू मुद्रा में सीमित दायरे में कारोबार हुआ.

रिपोर्ट में कहा गया है, “जुलाई में, अमेरिकी टैरिफ नीतियों को लेकर बनी चिंताओं के बावजूद रुपया मजबूती के साथ कारोबार कर रहा है. हमें उम्मीद है कि यह रुझान जारी रहेगा. निवेशकों को 1 अगस्त की समयसीमा से पहले भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के सफलतापूर्वक पूरा होने की उम्मीद है, जिससे रुपए को समर्थन मिलेगा.”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ग्लोबल फ्रंट पर, टैरिफ की आशंकाएं विकास-मुद्रास्फीति की गतिशीलता को प्रभावित कर रही हैं. नई वस्तु-विशिष्ट और देश-विशिष्ट टैरिफ दरों की आशंका के साथ मुद्रास्फीति संबंधी चिंताएं फिर से बढ़ गई हैं.

हाल ही में फेड मिनट्स में भी इसे मौद्रिक नीति में ढील की राह में एक बाधा के रूप में उजागर किया गया है. अंतर्निहित अस्पष्ट वैश्विक पृष्ठभूमि के आधार पर, घरेलू बाजारों में कुछ हद तक अस्थिरता दिखाई देने की संभावना है.

एसकेटी/

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