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जीआई टैग पाने वाले गुजरात के अमलसाड़ चीकू में क्या है खास?

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नई दिल्ली, 28 अप्रैल . हाल ही में अमलसाड़ी चीकू को जीआई टैग मिला है. जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग, किसान इससे आह्लादित हैं. अपने दिखने में कोमल, चिकने परत वाले फल को वैश्विक बाजार तक पहुंचाने में मदद मिलेगी. बाकी चीकू की तरह ही इसके फायदे अनगिनत हैं.

यह पाचन में सुधार करता है, इम्युनिटी बूस्ट करता है और चेहरे की चमक बढ़ाता है. इसमें फाइबर, विटामिन सी, और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारी सेहत का ख्याल रखते हैं. अमलसाड़ी चीकू की बात करें तो ये असाधारण मिठास, बढ़िया बनावट और अच्छी शेल्फ लाइफ के लिए जाना जाता है. जीआई टैग तस्दीक करता है कि ये विशिष्ट और गुणों से भरपूर है. अमलसाड़ नवसारी जिले में है.

वैसे भी चीकू फल ही कई गुणों की खान है. इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंस एंड रिसर्च में प्रकाशित स्टडी के मुताबिक, इसमें मौजूद विटामिन ए, बी, सी, ई, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम, मैंगनीज, पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट के साथ फाइबर समेत कई पोषक तत्व हड्डियों और फेफड़ों से संबंधित समस्याओं को दूर करने के साथ ही पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक होते हैं. इतना ही नहीं, ये आंखों की रोशनी बनाए रखने में भी फायदेमंद होते हैं.

अब इस टैग से स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की उम्मीद है. जीआई टैग किसी भी उत्पाद को वो मुकाम देता है जो उसकी खूबी से जुड़ा होता है. जैसे बनारसी साड़ी या फिर गया के सिलाव का खाजा. यह टैग स्थानीय कारीगरों और उत्पादकों को आर्थिक लाभ पहुंचाता है साथ ही, यह उपभोक्ताओं को यह भरोसा दिलाता है कि वे असली और उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद खरीद रहे हैं.

अमलसाड़ चीकू या सपोडिला, भौगोलिक संकेतक टैग प्राप्त करने वाली गुजरात की 28वीं वस्तु बन गया है. अमलसाड़ चीकू के जीआई क्षेत्र में गणदेवी तालुका के 51 गांव, जलालपुर तालुका के 6 गांव और नवसारी तालुका के 30 गांव शामिल हैं, जो कुल उत्पादन में 30 प्रतिशत का योगदान देते हैं.

केआर/

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