चित्रकूट, 31 जुलाई . धार्मिक नगरी चित्रकूट में संत तुलसीदास के जयंती समारोह (तुलसी जयंती) में उत्तर प्रदेश के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 500 वर्ष पूर्व जब इस गांव की स्थिति शायद साधनों के अभाव और कठिनाइयों से ग्रस्त रही होगी, ऐसे समय में एक दिव्य आत्मा ने जन्म लिया और बाल्यावस्था में ही प्रभु श्रीराम के चरणों में स्वयं को समर्पित कर दिया.
उन्होंने कहा कि उस कालखंड में जब अकबर का साम्राज्य विस्तार पर था और दरबार में जगह पाने की होड़ थी, तब तुलसीदास जी ने रामबोला के रूप में खुद को किसी दरबारी की सेवा में नहीं बल्कि केवल प्रभु श्रीराम की भक्ति में समर्पित किया.
सीएम योगी ने कहा कि जब देश के राजे-रजवाड़े विदेशी आक्रांता की अधीनता स्वीकार कर रहे थे, उस समय तुलसीदास जैसे संत भक्ति और शक्ति के अद्भुत संगम के रूप में जनचेतना को जाग्रत कर रहे थे. उन्होंने प्रतिकार का मार्ग तलवार नहीं, रामलीला और रामचरितमानस के माध्यम से चुना.
Chief Minister ने उस समय की राजनीतिक चालबाजियों की ओर भी संकेत किया. उन्होंने कहा कि अकबर ने अपने शासन का एक सॉफ्ट चेहरा प्रस्तुत किया, पर उसके पीछे की क्रूरता आज भी हमें दिखती है. संतों की परंपरा उस समय भी दृढ़तापूर्वक उसका प्रतिकार कर रही थी. Chief Minister ने इस ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित किए जाने पर जगतगुरु रामभद्राचार्य जी और पूज्य मुरारी बापू के प्रति कृतज्ञता प्रकट की. कार्यक्रम में रामकथा के प्रचारकों को तुलसी अवार्ड व रत्नावली अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
चित्रकूट की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर Chief Minister ने कहा कि यह वही धरती है जहां ऋषि-मुनियों ने तप किया, जहां भगवान श्रीराम ने अपने वनवास का सबसे लंबा समय बिताया. यह वही धरती है जिसने रामायण और रामचरितमानस जैसे ग्रंथों की रचना की आधारभूमि प्रदान की. पूज्य संतों के दर्शन के लिए हम यहां आ सके, यह हमारा सौभाग्य है. संत तुलसीदास जी की स्मृति को जीवित रखने के लिए पूज्य मुरारी बापू द्वारा किया गया प्रयास सराहनीय है.
Chief Minister ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में चित्रकूट को विरासत के साथ विकास से जोड़ने का कार्य प्रारंभ हो चुका है. यह स्थान केवल एक ऐतिहासिक स्थल नहीं, बल्कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था और प्रेरणा का केंद्र है.
Chief Minister ने रामजन्मभूमि आंदोलन के संदर्भ में जगतगुरु रामभद्राचार्य जी महाराज के योगदान की भी चर्चा की और कहा कि जब प्रमाण मांगे गए तो उनके सामने महाराज जी ने धाराप्रवाह बोलना शुरू किया, तो वे भौचक्के रह गए. यही भगवान की सिद्धि है. उन्होंने पूज्य मुरारी बापू द्वारा आगामी रामकथा आयोजनों को प्रयागराज, अयोध्या और काशी में किए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि राम नाम का स्मरण कर हर कोई अपने जन्म को धन्य करेगा.
सीएम योगी ने अपनी मॉरीशस यात्रा का भी उल्लेख करते हुए बताया कि गुलामी के काल में जब पूर्वजों को वहां मजदूरी के लिए ले जाया गया, तब उनका एकमात्र सहारा तुलसीदास जी की रामचरितमानस थी. वे पढ़े-लिखे नहीं थे, लेकिन मानस के माध्यम से उन्होंने अपनी संस्कृति को जीवित रखा. आज वहीं के मजदूरों के वंशज राष्ट्राध्यक्ष बने हैं और घरों में पूजा के केंद्र में अब भी रामचरितमानस ही है.
Chief Minister ने पूज्य संतों को विवादों से जोड़ने वाले लोगों पर भी करारा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर पूज्य संतों को विवादित करने की कोशिश करते हैं. जिनका जीवन विवादित है, वही ऐसा करते हैं. वे लगातार विघ्न और बाधा खड़ी करने की कोशिश करेंगे, लेकिन हमें इसकी चिंता न करते हुए सनातन धर्म और भारत की समृद्ध विरासत की रक्षा के लिए एकजुट होकर प्रयास करना होगा. कार्यक्रम के अंत में उन्होंने तुलसी अवार्ड और रत्नावली अवॉर्ड से सम्मानित सभी रामकथा मर्मज्ञों को बधाई दी और इसे सनातन धर्म के प्रति उनके योगदान का सम्मान बताया.
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एसके/
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